MP Politics : लोकसभा चुनाव के रण बीच टाइम्स नाउ सर्वे के आकंड़े सामने आए हैं. आकंड़ें कहते हैं कि कांग्रेस को इस बार करीब 37 फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है.
MP Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर तस्वीर साफ हो गई है. कांग्रेस ने आज बची हुई 3 लोकसभासीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों का एलान कर दिया है. खजुराहों से इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी मीरा यादव का नामांकन निरस्त हो गया है. फिलहाल उन्हें कोर्ट से बची खुची उम्मीद है. एक तरफ बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां अपनी पूरी ताकत चुनावी अभियान में झोक रही है. लेकिन इन सब के बावजूद कांग्रेस के लिए ओपिनियन पोल कुछ खास नहीं आ रहे हैं.
हम ऐसा इसलिए कह प् रहा हैं क्योंकि मतदाताओं का रे जानने के लिए टाइम्स नाउ ईटीजी (Times Now ETG Survey) ने सर्वे किया है. इस सर्वे में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर भरी बहुमत के साथ जितने जा रही है. इतना ही नहीं कांग्रेस की सर्वे के अनुसार खस्ता हालत नजर आ रही है. सर्वे में एमपी लोकसभा चुनाव में बीजेपी (NDA) सभी 28-29 सेटों पर जीत हासिल कर सकती है. वहीं इस सर्वे में कांग्रेस (INDIA) को 0-1 सीट मिलती दिख रही है.
वोट शेयर में किसकी जीत?
टाइम्स नाउ ईटीजी (TOE) के अनुसार वोट शेयर की बात की जाए तो BJP को करीब 59 प्रतिशत वोट शेयर मिलने का अनुमान जताया गया है. इसके अलावा कांग्रेस के वोट शेयर की बात करें तो पिछले चुनाव के मुताबिक बढ़ती नजर आ रही है. सर्वे के मुताबिक गठबंधन को महज 37 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. जो पिछले चुनाव से करीब 3 प्रतिशत अधिक है. इसके अलावा अन्य दल और निर्दलीय प्रत्याशियों को भी 4 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है.
2019 का परिणाम जान लेते हैं
2019 किए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एकतरफा जीत हासिल की थी, तब भाजपा ने 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज चेहरे जैसे दिग्विजय सिंह, अरूण यादव, उस सयम कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी हार का मुंह देखना पड़ा था. वोट शेयर की बात करें तो 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खाते में 58 प्रतिशत वोट आए थे. वहीं कांग्रेस को 34.5 परसेंट वोट मिले थे. इस बार कांग्रेस की एकमात्र सीट छिंदवाड़ा भी मुश्किलों में नजर आ रही है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जिस प्रकार लगातार कांग्रेस में टूट देखने को मिल रही है. ऐसे में कमलनाथ को अपना किला बचा पाना काफी मुश्किल साबित होगा।