BJP-BJD Gathbandhan: Modi को क्यों पड़ी Biju की जरूरत?

History Of BJD: ओडिशा, भारत का एक पूर्वी राज्य जहां अनुसूचित जनजातियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी रहती है. 4 करोड़ की जनसंख्या वाले इस राज्य में पिछले 25 सालों से एक ही पार्टी राज कर रही है और यहां की जनता एक ही चेहरे को लगातार अपना सीएम बनते देखती आई है. उस चेहरे का नाम है नवीन पटनायक और पार्टी का नाम है BJD यानी बीजू जनता दल. साल 2000 से यहां BJD की सरकार है और मजाल है कि कोई दूसरी पार्टी यहां सेंधमारी कर पाए.

बीजू जनता दल की कहानी

Story Of Biju Janata Dal: ओडिशा ऐसा राज्य बन गया है जहां क्या बीजेपी क्या कांग्रेस दोनों की एक जैसी हालत है. वैसे आप ओडिशा से ज्यादा राजनीतिक खबरें भी नहीं देख पाते होंगे, क्योंकी BJD पार्टी और सीएम नवीन पटनायक कभी कोई कॉन्ट्रोवर्शियल बयान देते ही नहीं है. खैर BJD अब चर्चा में है क्योंकि 15 साल बाद BJD के NDA में शामिल होने की चर्चा हुई है. आज हम आपको इसी पार्टी की कहानी बताने जा रहे हैं.

बीजू जनता दल की स्थापना कब हुई

26 दिसंबर 1997 को BJD यानी बीजू जनता दल की स्थापना हुई. 1998 के चुनाव में BJD ने 10 लोकसभा सीट जीतीं और अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में नवीन पटनायक मंत्री बने। इसके बाद सन 2000 में BJP-BJD ने ओडिशा का विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा जिसमे BJD को 68, बीजेपी को 38 और कांग्रेस को सिर्फ 26 सीटों पर जीत मिली, और नवीन पटनायक राज्य के मुख्य मंत्री बन गए. 2004 में एक बार फिर BJD-BJU ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और फिर से नवीन पटनायक राज्य के सीएम बन गए. दोनों दफा BJD को BJD ने सपोर्ट दिया क्योंकि नवीन पटनायक की पार्टी 74 सीटों की मेजोरिटी तक नहीं पहुंच पा रही थी. लेकिन 2009 के इलेक्शन में बहुत बड़ा बदलाव हुआ 147 सीटों वाले राज्य में 103 सीटें BJD के खेमे में गईं तो कांग्रेस को 27 में जीत मिली और बीजेपी सिर्फ 6 सीटों में सिमट के रह गई. इसी चुनाव से BJD और BJP की दोस्ती टूट गई. ये दोस्ती चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर टूट गई थी. BJD चाहती थी कि 147 सीटों में बीजेपी सिर्फ 40 सीटों पर चुनाव लड़े, लेकिन बीजेपी 63 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतरना चाहती थी.

बीजेपी-बीजेडी की दोस्ती क्यों टूटी?

सीट शेरिंग का ये विवाद लोकसभा सीटों को लेकर भी हुआ था. राज्य में BJD 21 सीटों में से सिर्फ 6 बीजेपी को देना चाहती थी जबकि भाजपा 9 सीटों की डिमांड कर रही थी. इस गठबंधन के टूटने के बाद सुषमा स्वराज ने नवीन पटनायक से कहा था कि ये गठबन्धन तोडना उन्हें बेहद भारी पड़ेगा। लेकिन 2014 के चुनाव में BJD ने फिर से 117 सीटों पर जीत दर्ज की और चौथी बार नवीन पटनायक राज्य के सीएम बने. 2014 के आम चुनाव में भी BJD को 21 में से 20 सीटों में जीत मिली। 2019 के चुनाव में पांचवी पर 112 सीटों में जीतकर नवीन पटनायक सीएम बने लेकिन इस बार बीजेपी ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए 23 सीटों पर जीत दर्ज कर विपक्षी दल बन गई. 2019 के आम चुनाव में भी बीजेपी ने 8 सीटों में जीत दर्ज पर BJD को अपनी शक्ति का एहसास करा दिया।

हालांकि इस राजनीतिक जंग में बीजेपी से मतभेद होने के बाद भी नवीन पटनायक ने केंद्र से अपने रिश्ते बनाए रखे, भले ही BJD, NDA का हिस्सा नहीं था फिर भी नोटबंदी, 370, CAA-NRC, GST, सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर BJD ने केंद्र का समर्थन किया।

बीजू पटनायक की कहानी

Story Of Biju Patnaik: BJD का पहला शब्द बीजू, नवीन पटनायक के पिता का नाम है. वे भी ओडिशा के दो बार सीएम चुने गए थे. बीजू पटनायक पहले कांग्रेस में थे और बाद में जनता दल के साथ जुड़ गए. राजनीति में आने से पहले बीजू पटनायक एक पायलट थे और रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स में भी शामिल थे. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ही उनकी पंडित नहरू से मजबूत दोस्ती हो गई. इस दौरान उन्होंने वर्ल्ड वॉर 2 में भी ब्रिटिश परिवारों और चीनी क्रांतिकारियों को अपनी जान जोखिम में डालकर बचाया, उन्होंने इंडोनेशिया स्वतंत्रता संग्राम में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके लिए इंडोनेशियाई सरकार ने उन्हें मानद नागरिकता और भूमि पुत्र का टाइटल दिया था. काँग्रेस में रहते बीजू पटनायक जून 1961 में ओडिशा के सीएम बनें लेकिन 62 में हुए चीन आक्रमण के दौरान पंडित नहरू ने उन्हें सीक्रेट मिशन के लिए दिल्ली बुला लिया। लेकिन 1975 के आपातकाल में बीजू भी जेल भेज दिए गए. जेल से छूटने के बाद मोरारजी देसाई की अल्पकालीन सरकार में मंत्री रहे बाद में जलता दल के साथ जुड़कर दोबारा ओडिशा के सीएम बन गए. और इसके बाद एक बार जनता दल से ही सांसद रहे.

बीजू पटनायक के निधन के बाद उनके बेटे नवीन पटनायक ने राजनीतिक विरासत को संभाला और 1997 में अपने पिता के नाम पर बीजू जनता दल का गठन किया।

इसी कहानी को वीडियो में देखिये

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