RSS के खिलाफ बिल पेश करेगी कर्नाटक सरकार! ये पाबंदिया लगेंगी

Bill Against RSS In Karnataka: कर्नाटक सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों पर सख्त कदम उठाते हुए सार्वजनिक स्थानों और सरकारी संस्थानों में इन पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया है। 16 अक्टूबर 2025 को हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियंक खरगे (Priyank Kharge) ने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया। खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramaiah) को पत्र लिखकर RSS और इसके सहयोगी संगठनों की गतिविधियों पर प्रतिबंध की मांग की थी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। नए नियमों के तहत मार्च, रैलियां और सरकारी संपत्तियों पर आयोजनों को अनुमति के बिना प्रतिबंधित किया जाएगा।

खरगे का पत्र और कांग्रेस का रुख

प्रियंक खरगे ने अपने पत्र में कहा कि RSS की गतिविधियां सार्वजनिक स्थानों और सरकारी संस्थानों में व्यवस्था को बिगाड़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि इन गतिविधियों से सामाजिक सौहार्द (Social Harmony Concerns) को खतरा पैदा हो रहा है। कांग्रेस सरकार का यह कदम RSS पर लगाम कसने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जो पिछले कुछ महीनों से राज्य में अपने प्रभाव को बढ़ाने में सक्रिय रही है। खरगे ने कहा, “हम सार्वजनिक स्थानों पर शांति बनाए रखना चाहते हैं, और इसके लिए सख्त नियम जरूरी हैं।

क्या होगा लागू?

  • अनुमति की शर्त: सरकारी संपत्तियों और सड़कों पर RSS की मार्च, रैलियां या अन्य आयोजन केवल जिला प्रशासन की लिखित अनुमति से ही होंगे।
  • निगरानी: पुलिस और स्थानीय प्रशासन RSS गतिविधियों की निगरानी करेगा, और उल्लंघन पर कार्रवाई होगी।
  • शैक्षिक संस्थान: स्कूलों और कॉलेजों में RSS से जुड़े कार्यक्रमों पर भी रोक लगाई जा सकती है।
  • अपवाद: सांस्कृतिक या धार्मिक आयोजनों को छोड़कर बाकी गतिविधियों पर सख्ती।

खरगे ने कहा कि यह नियम RSS को पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं करते, लेकिन अनुशासित ढांचे में लाने की कोशिश हैं।

RSS और विपक्ष की प्रतिक्रिया: तीखी निंदा

RSS और उससे जुड़े संगठनों ने इस फैसले को “लोकतंत्र पर हमला” करार दिया। RSS के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह कदम संविधान की भावना के खिलाफ है। हम कानूनी रास्ता अपनाएंगे।” भाजपा ने भी विरोध जताया, राज्य अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र (BY Vijayendra BJP) ने इसे “कांग्रेस का डर” बताया और कहा, “यह हिंदू संगठनों को दबाने की साजिश है।” विपक्ष ने इसे चुनावी चाल करार देते हुए सिद्धारमैया सरकार पर हमला बोला।

यह फैसला 2028 के विधानसभा चुनावों (Karnataka Assembly Elections 2028) से पहले कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में RSS और BJP के बीच टकराव बढ़ा है, खासकर कर्नाटक में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर। खरगे के पिता, राज्यसभा सांसद मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने भी इस कदम का समर्थन किया है, जो पार्टी के कड़े रुख को दर्शाता है।

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