गुजरात दंगों की रेप पीड़िता बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों को फिर से जेल भेजने का आदेश सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के रिहाई आदेश को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार के पास कोई अधिकार ही नहीं है कि वो जेल में बंद दोषियों को रिहा कर सके.
बिलकिस के दोषियों के पास क्या विकल्प हैं
अब सभी 11 दोषियों को एक सप्ताह के अंदर सरेंडर करना होगा। उन्हें फिर से जेल जाना होगा। लेकिन कानून इन दोषियों को फिर से रिहा होने के विल्कप भी देता है. यानी बिलकिस के बलात्कारी सुप्रीम कोर्ट से रिहाई का आदेश रद्द होने के बाद भी छूट सकते हैं. कैसे? आइये जानते हैं.
दोषियों के पास रिहाई के लिए दो विकल्प हैं. पहला वो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं. और दूसरा ये कि जेल में कुछ समय बिताने के बाद रिमिशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं. लेकिन इस बार रिमिशन की अपील महाराष्ट्र सरकार से करनी होगी।
दरअसल संविधान का अनुच्छेद 137, सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वो किसी पुराने फैसले पर पुनर्विचार कर सकता है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के नियम कहते हैं कि किसी भी फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका फैसला सुनाए जाने के 30 दिन के अंदर दायर होनी चाहिए और उसी बेंच के सामने जिसने फैसला सुनाया है.
बात अब कोर्ट के फैसले की करें तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा- गुजरात सरकार के पास दोषियों को रिहा करने का कोई अधिकार नहीं था क्योंकि दोषियों को सज़ा महाराष्ट्र में सुनाई गई थी. ऐसे में गुजरात सरकार द्वारा जारी रिहाई का आदेश रद्द किया जाता है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना ने फिलॉस्फर प्लैटो की एक फिलोसॉफी दोहराते हुए कहा कि न्याय का मतलब बदला लेना नहीं, बल्कि सुधार है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में पीड़िता और उसके घरवालों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
बिलकिस के साथ क्या हुआ था?
अगर बात करें बिकलीस के साथ हुई उस दरिंदगी की तो गुजरात गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दो दंगे भड़के थे. दंगाइयों की एक भीड़ दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिकलीस बानो के घर में घुस गई थी. दंगाइयों से बचने के लिए बिकलीस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थी. वो 21 साल की थी और 5 महीने की गर्भवती थी.
दंगाइयों ने बिकलीस का बारी-बारी से रेप किया, उसकी माँ और अन्य तीन महिलाओं के साथ भी दरिंदगी की. उसके परिवार के 7 लोगों को मार डाला। और 6 का कभी पता नहीं चल पाया. 17 लोगों के परिवार में बिकलीस, एक शख्स और तीन साल का एक बच्चा भी बच पाया।
CBI जांच और 15 साल की कोर्ट-कचहरी के बाद मई 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बलात्कार और हत्या के 11 दोषियों को उम्रकैद दे दी। सब जेल में थे, लेकिन 2022 में 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सबको आजादी बख्श दी। सभी 11 दोषी जेल से बाहर आ गए। बिकलीस फिर लड़ी और अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के रिहाई के आदेश को रद्द कर दोषियों को दोबारा जेल भेजने का आदेश जारी कर दिया।