Bihar Vishesh Rajya Darja: जैसा की आप जानते है बिहार देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। बिहार से देश भर में लोग दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए जाते हैं। सबसे ज्यादा पलायन वहीं से होती है. बिहार की सीमा भी अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटती है. ऐसे में अब सवाल यह है कि इतनी सारी खामियों के बावजूद भी क्यों नही मिल रहा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा।
बिहार में एक बार फिर से विशेष राज्य के दर्जे की की मांग होने लगी है. बिहार से लेकर दिल्ली तक इस मांग की आवाज गूंजने लगी है. जातीय जनगणना के बाद सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब इसकी मांग कर दी है. बिहार में यह मांग पूरे पांच साल बाद फिर से उठी है. इससे पहले इसकी मांग 2017 में उठी थी. उस वक्त बिहार सरकार ने केन्द्र को इसके लिए पत्र लिखा था. एक बार फिर से ऐसा ही कहा जा रहा है कि इस मांग को लेकर राज्य फिर से केंद्र को चिट्ठी लिखेगी।
इस मांग को लेकर 2010 में नीतीश कुमार ने पहली बार केंद्र को चिट्ठी लिखकर विशेष राज्य के दर्जे ( Vishesh Rajya Darja) की मांग की थी. इसके लिए सीएम नितीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने मुहीम भी चलाई थी. उस वक्त की तत्कालीन सरकार ने इस मांग को देखते हुए अर्थशास्री रघुराम राजन के नेतृत्व में एक कमिटी भी बना दी थी. 2013 में कमिटी ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी. लेकिन, विशेष राज्य के दर्जे को लेकर बात आगे नहीं बढ़ सकी.
दूसरी तरफ लोग नितीश के इस मांग को चुनावी स्टंट भी कहते है. पहली बार जब यह मांग 2010 में उठी थी उस वक्त भी बिहार विधानसभा के चुनाव नजदीक थे। 2014 और 2019 में भी इसकी मांग तब हुई जब लोकसभा चुनाव होने थे.
क्या होता है विशेष राज्य दर्जा?
किसी भी राज्य के समग्र विकास के लिए केंद्र कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी में रखती है. जब कोई राज्य केंद्र के इस विशेष श्रेणी में रहता है तो उसे ही विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्य कहा जाता है. हालाँकि, देश के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे किसी राज्य को विशेष सुविधा दी जाए.
देश में पहली बार 1969 में पांचवे वित्त आयोग की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने असम,नागालैंड और जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया था. उस वक्त इन तीन राज्यों को विशेष राज्य की श्रेणी में रखने के बाद से ही कई अन्य राज्यों ने भी इसकी मांग शुरू कर दी. केंद्र ने इसके बाद एक पैरामीटर बनाया और जो भी राज्य इस पैरामीटर पर खड़ा उतरा उसे ही यह दर्जा दिया गया. वर्तमान में 11 राज्य को इस श्रेणी में रखा गया है. पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. इसमें पहाड़ी राज्य उत्तरखंड और हिमाचल भी शामिल है.
कैसे मिलता है विशेष राज्य का स्टेटस?
2018 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने विशेष राज्य के दर्जे पर बताया कि किसे और कैसे मिलेगा ये दर्जा। मंत्रालय के मुताबिक विशेष राज्य का दर्जा देने का मानदंड राष्ट्रिय विकास परिषद के सिफारिश पर बनाया गया है, जिसमे इन बातों को ध्यान में रखा जाता है.
- राज्य का भौगौलिक संरचना किस तरह का है. पहाड़ी और दुर्गम इलाके वाले राज्य का विशेष तरजीह दी जाती है.
- किसी राज्य की सीमा से अगर कोई देश की सीमा लगती है, तो उसे भी विशेष राज्य का दर्जा देने पर विचार किया जा सकता है.
- जनसँख्या घनत्व अगर किसी राज्य का कम है या कीसी राज्य में जनजातीय लोगों की संख्या अधिक है, तो उसे भी यह स्टेटस मिल सकता है.
- आर्थिक रूप से कमजोर राज्य को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया जा सकता है. हालाँकि, इसका मूल्यांकन का कार्य केंद्र का है.
- राज्यों का जो फाइनेंस है या राज्यों के पास जो रकम है वो कितनी प्रैक्टिकल है. क्या वो रकम व्यवहारिक तौर पर खर्च किया जा सकता है.