सियासी सरगर्मी के बीच ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि बिहार विधानसभा (Bihar Vidhansbha) भंग हो सकती है. दिल्ली से लेकर पटना तक के सियासी पंडित ऐसा अनुमान लगा रहे थे कि नीतीश कुमार की खामोशी और कैबिनेट विस्तार न होना बता रहा है कि बिहार में कुछ होने वाला है.
हालांकि, अब बीजेपी खेमे से जो खबर आ रही है, उसके मुताबिक़ लोकसभा चुनावग से ठीक पहले बिहार विधानसभा (Bihar Vidhansbha) को भंग नहीं किया जाएगा।
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाईकमान ने विधानसभा भंग करने पर विचार करने से इनकार कर दिया है, इसलिए अब जल्द ही कैबिनेट विस्तार हो सकता है. यानी बिहार में जल्द ही सरकार का पूर्ण गठन हो जाएगा।
कहा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की भी मांग कर रहे हैं.
विधानसभा भंग करने को क्यों नहीं है बीजेपी तैयार?
बीजेपी सूत्रों के हवालें से बिहार विधानसभा भंग नहीं करने की 3 मुख्य वजहें हैं-
- ज्यादातर विधायक तैयार नहीं
बिहार विधानसभा में BJP है सबसे बड़ी पार्टी है. उसके पास वर्तमान में 81 विधायक हैं. सूत्रों का कहाँ है कि बीजेपी के अधिकांश विधायक अभी चुनाव में उतरने के लिए तैयार नहीं हैं.
विधायकों कहा कहना है कि अभी कार्यकाल के करीब 2 साल का समय बचा है और अगर समय से पहले चुनावी मैदान में जाते हैं तो अधिकांश विधायक अपनी सीट रिपीट नहीं कर सकेंगे।
विधायक इसके पीछे 2015 और 2020 का आंकड़ा देते हैं. 2015 में बीजेपी के 50 से ज्यादा विधायक चुनाव नहीं जीत पाए. हालांकि, इस चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन काफी फिसड्डी था.
2020 में जब बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ तो उस चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ,लेकिन पार्टी के 18 विधायक दोबारा जीत कर सदन नहीं पहुँच पाए. ऐसे में कई विधायकों को समय से पहले चुनाव में जाने पर समीकरण गड़बड़ होने का डर सता रहा है.
- विधानसभा का लोकसभा में होगा नुकसान
दूसरी BJP के लिए सबसे बड़ी जो घटना है वो है लोकसभा का चुनाव। BJP हाईकमान को लगता है कि अगर साथ चुनाव कराते हैं तो लोगों का गुस्सा उस पर उतर सकता है, जिसका असर सीधे-सीधे लोकसभा की सीटों पर पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में BJP इस बार बिहार में क्लीन स्वीप के मूड में हैं. 2019 में पार्टी ने NDA गठबंधन के तहत 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी.
हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा (Bihar Vidhansbha) का चुनाव अगर साथ होता है, तो नीतीश कुमार को फिर से से विधायकों की संजीवनी मिल सकती है. जो पार्टी के भविष्य की राजनीती के लिए समस्या खड़ा कर सकता है.
- अन्य राज्यों में भी उठेगी मांगें
महाराष्ट्र और हरियाणा में भी गठबंधन की सरकार में बीजेपी है. यहां भी आतंरिक स्तर पर सबकुछ ठीक नहीं है. ऐसे में अगर बिहार विधानसभा भंग होता है, तो इन राज्यों में भी एकसाथ चुनाव कराने की मांग उठ सकती है. महाराष्ट्र में जब से एकनाथ सिंधे के साथ मिलकर बीजेपी ने सरकार बनाई है तब से ही गठबंधन में वहां भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कई सर्वे ऐसे सामने आये हैं जिनमे दिखाया जा रहा है कि NDA गठंबंधन वहां एक फिसड्डी गठबंधन है.