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Bihar Teacher News: बिहार के मास्टर जी आखिर क्यों परेशान है ?

Bihar Teacher News: बिहार में स्कूलों की दशा दिशा काफी बदल गई है . हालाकिं शिक्षकों की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। कोई स्कूल आने जाने की समस्या से दुखी है तो कोई मनचाही जगह ट्रांसफर नहीं मिलने से परेशान.

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गौरतलब है कि मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले घनश्याम जायसवाल सासाराम जिले में कैमूर पहाड़ी पर स्थित पीपरडीह स्कूल में शिक्षक थे. पिछले दिनों घनश्याम जायसवाल ने आत्महत्या कर ली. उनकी मां नीलम देवी ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि उनका बेटा ट्रांसफर नहीं होने से परेशान था. उन्होंने पुलिस को बताया कि स्कूल में कोई सुविधा नहीं होने के कारण वह नौकरी छोड़ना चाहता था. बताया गया कि पीपरडीह में मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलने के कारण उन्हें हाजिरी बनाने के लिए तीन किलोमीटर दूर पहाड़ी पर जाना पड़ता था.

स्कूलों में सुधार

आपको बता दे कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था में हाल के सुधारों के कारण शिक्षक और बच्चे, दोनों ही स्कूल आने लगे हैं. शिक्षकों की कमी दूर हुई है. स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या घटी है. बुनियादी ढांचे में भी सुधार हुआ है. बच्चों को स्मार्ट क्लासेज समेत तमाम सुविधाएं देने की कोशिश जारी है. कुल मिलाकर प्राइवेट स्कूलों से टक्कर के लिए सरकारी विद्यालयों को तैयार करने की  कोशिश है.

पूरा दिन स्कूल में व्यतीत कर रहे है शिक्षक

इसका यह नतीजा हुआ है कि शिक्षक हर दिन समय पर स्कूल पहुंचने के साथ ही पूरा दिन स्कूल में बिता रहे है . जो अध्यापक ऐसा नहीं करते उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होती है . जिन शिक्षकों का घर स्कूल के नजदीक है उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती है .लेकिन जिनका घर दूर है उन्हें खासा मशक़्क़त करनी पड़ती है .

बिहार में करीब साढ़े तीन लाख नियोजित और 5.77 लाख सामान्य शिक्षक हैं. इसके अलावा बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के जरिए दो चरणों में लगभग 2.5 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. इनमें बहुत से ऐसे शिक्षक हैं, जिनका स्कूल उनके आवास से दूर है.  

ऑनलाइन हाजिरी से परेशानी 

आपको बता दे कि राज्य में शिक्षकों की मोबाइल के जरिए फेस स्कैन्ड हाजिरी लगाई जा रही है. उन्हें अभी दो बार अपनी उपस्थिति दर्ज करानी पड़ रही है. सूत्रों के अनुसार अब उन्हें यह काम तीन बार करना पड़ेगा. कई जगहों से ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि शिक्षक बीच में ही स्कूल से गायब हो जाते हैं. तीसरी हाजिरी औचक तरीके से लगाने का प्रावधान किया जा रहा है. जल्दी ही बच्चों की हाजिरी भी डिजिटल करने की तैयारी है. 

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