Bihar Politics Update: क्या होगा अब इस बिहार का?

Nitish Kumar

Bihar Politics: बिहार में एक बार फिर से बदलाव की बयार है. खबर बहुत तेज गति से आ रही है कि बिहार उपमुख्यमंत्री (Bihar Deputy Chief Minister) के चाचा, सुशासन बाबू एक बार फिर से पलटी मारने वाले हैं. वैसे ये बदलाव आज से नहीं साल 2015 (Bihar Vidhan Sabha Elections) से ही हो रहा है. ये बदलाव ऐसा है कि इसके सामने मौसम भी शर्मा जाए.

BJP in Bihar: 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक है और बिहार के सीएम (Bihar Chief Minister) नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) जो कि अब तक गठबंधन (Bihar Gatbandhan Sarkar) बनाते घूम रहे थे अब वो अपने विधायक लेकर भाजपा के दरवाजे पर खड़े हैं. सीएम नीतीश ने जिस गठबंधन की पहल की आज वे उसी गठबंधन से बेवफाई कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से बिहार से ये खबर आ रही थी कि नीतीश कुमार I.N.D.I.A गठबंधन से नाराज (Nitish Kumar Upset with I.N.D.I.A) चल रहे हैं और कभी भी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। फिर 25 जनवरी को सुबह 11 बजे के करीब खबर आती है कि नीतिश कुमार की भाजपा (Nitish Kumar Join BJP) से बात चल रही है और थोड़े ही देर बाद भाजपा बिहार अध्यक्ष (BJP Samrat Chaudhary) को दिल्ली से बुलावा आ जाता है और इधर सीएम नीतीश ‘एक अणे मार्ग’ (1, Anney Marg Patna) में अपने बड़े नेताओं के साथ बैठक करते हैं। पटना से दिल्ली तक पॉलिटिकल पंडितों को कान खड़े हो जाते हैं।

कितना गजब है न बिहार, कर्पूरी (Karpoori Thakur) का बिहार, जयप्रकाश नरायण (Jayaprakash Narayan) का बिहार, दिनकर का बिहार जो पीछले 9 वर्षो से सिर्फ राजनितिक बदलाव झेल रहा है। इस राजनितिक बदलाव में बिहार में क्या बदला? बिहार में बदले 4 डिप्टी सीएम और कुछ नही। सीएम वही नितिश कुमार। जो संभवतः बिहार में 5 साल के कार्यकाल (Nitish Kumar 5 Year Tenure) में तीसरी बार (Bihar Political Crisis) सीएम पद की शपथ (CM Nitish Kumar Oath) लेने को बेक़रार हैं.

Bihar Political Background: अब आइए आपको बताते हैं बिहार की राजनीती की कुछ गजब किस्से। 2013 में NDA छोड़ 2015 में महागठबंधन (Mahagathbandhan) के साथ नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं और 2017 में NDA (Nitish Kumar Joined NDA) के साथ चले जाते हैं 2020 में NDA के साथ चुनाव लड़ते हैं और 2021 में महागठबंधन में चले जाते हैं और अब खबर के मुताबिक सीएम नीतीश फिर से NDA में आ रहे हैं। हां मै समझ रहा हूं कि आप मुख्यमंत्री जी के इस बदलाव के किस्से से कन्फ्यूज हो रहे हैं लेकिन ये मामला ही कुछ ऐसा है कि आपको कंफ्यूज कर सकता है।

Bihar Elections: राजनिति के स्तर को देखिए, 2 दिन पहले तक जो पार्टी नीतीश कुमार को बूढ़ा और थका हुआ बता रही थी आज वही पार्टी नीतीश कुमार में जोश की हवा भर रही है। वैसे ये कोई नई बात नहीं है जिस नीतीश को राजद फिनिश करना चाहती थी लेकिन फिर उसी नीतीश के सहारे अपने राजकूमार को 2 बार डिप्टी सीएम बनाई। ये वही राजकुमार हैं जो 2017 में चाचा के पलटने पर उनका नाम पलटू चाचा रख दिए थे और हर मंच से कहते थे कि चाचा के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगवाए हैं कार्यालय में. फिर पता नही कब और कैसे हृदय परिवर्तन हुआ और चाचा के साथ 2021 में ये राजकुमार फिर से गले मिल लिए और जमकर 2 साल डिप्टी सीएम के कुर्सी पर बैठे। अभी चाचा-भतीजे को सीएम बनाने का सपना दिखाना शुरु ही किए थे कि सपना चकनाचूर भी हो गया। पलटने की आदत से मजबूर नितीश एक बार फिर पलटी मार रहे हैं और जो कहते थे कि नितीश के लिए दरवाजे सदा के लिए बंद कर दिए गए हैं वो खुद पट खोलकर हाथ में थाली लिए स्वागत गीत गाने को तैयार खड़े हैं.

JD(U)-BJP Alliance: बिहार की राजनितिक गलियारों में तेज हलचल मची हुई है। I.N.D.I.A के संयोजक न बनाने और बिहार में राजद (RJD) द्वारा चोर दरवाजे से जदयू को नुकसान पहुंचाने से नाराज चल रहे नीतीश कुमार अब बीजेपी के साथ जदयू (Nitish Kumar JD(U)-BJP) का घर बसाना चाहते हैं.

बिहार की राजनीति को लेकर मीडिया भी अलग-अलग दावे करने लगी है. कहा जा रहा है कि सुशील मोदी (Sushil Modi) बिहार के डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister of Bihar) बन सकते हैं और पलटी मारने (Nitish Kumar will resign) के बाद नितीश कुमार को सीएम पद की ही शपथ दिलाई जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो नितीश कुमार का नाम गिनिस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होना चाहिए क्योंकि वो नई सदी के पहले नेता होंगे जो 5 साल के कार्यकाल में तीसरी बार मुख्य मंत्री बनेंगे.

उधर I.N.D.I.A गठबंधन और कांग्रेस अलग टेंशन में है. पैदल न्याय यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी बिहार (Rahul Gandhi Bihar Yatra) में खलबली मचते ही सांय से दिल्ली की उड़ान भर लिए. राहुल गांधी न्याय यात्रा को नॉन पॉलिटिकल बता रहे थे लेकिन जैसे ही थोड़ी उथल-पुथल मची तो न्याय को साइड में रखकर दिल्ली निकल (Rahul Gandhi Return To Delhi) लिए.

अभी बीजेपी में भी इस बात को लेकर मंथन हो रहा है कि वो हमेशा के लिए बंद हो चुके दरवाजे को जब खोला गया है तो खिड़की से झांक रही जनता की आँखों में चिलमन कैसे ढंका जाए? क्योंकि ये पूरा सियासी खेल जनता देख रही है लेकिन बात अलग है कि इस खेल का मजा देख रही जनता ही असल में मोहरा है जो राजा को बचाने के चक्कर में हंसी-हंसी डेमोक्रेसी की बलि चढ़ा रहा है.

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