Bihar Politics on CM : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। एनडीए दल में शामिल जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार की कुर्सी पर खतरा मंडराता दिख रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने सीएम नीतीश कुमार की टेंशन बढ़ा दी है। भाजपा नेता ने बिहार में मुख्यमंत्री पद को लेकर कहा कि बिहार में अब ओबीसी का समय समाप्त हो गया है। अब दलित समाज से मुख्यमंत्री बनना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है।
बिहार में दलित बनेगा मुख्यमंत्री (Bihar Politics on CM)
रविवार को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने बिहार में राजनीतिक पारा बढ़ा दिया। एक टीवी चैनल में इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बिहार में एक नई मांग रख दी। संजय पासवान ने कहा कि बिहार की जनता अब राज्य में बदलाव चाहती है। उन्होंने राज्य में अब ओबीसी का समय खत्म हो गया है। अब मुख्यमंत्री दलित समाज से बनना चाहिए। सभी को मौका मिला है तो अब दलितों को भी मौका मिलना चाहिए।
संजय पासवान के बयान से भाजपा असहज
संजय पासवान भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में संजय पासवान के बेटे गुरु प्रकाश बिहार में भाजपा के प्रदेश मंत्री हैं। ऐसे में संजय पासवान का बिहार में अच्छी पकड़ है। बिहार विधानसभा उप चुनाव (Bihar Politics on CM) से पहले उनके बयान से राज्य में हलचल मच गई है। यही नहीं उनके इस बयान ने भाजपा को भी असहज कर दिया है।
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कांग्रेस ने 12 जातियों को दिया मौका (Bihar Politics on CM)
संजय पासवान ने अपने बयान के साथ स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य राजग को नुकसान पहुँचाना नहीं है। वह समाज के हित की बात लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं। वह दलित समाज की बात को नेतृत्व तक पहुंचा रहें हैं। उन्होंने आगे कहा कि दलित समाज को भी मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने का मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस ने 12 जातियों को मुख्यमंत्री पद पर मौका दिया है। बिहार में राजग को भी अब नेतृत्व परिवर्तन करना चाहिए और दलितों को आगे लाना चाहिए। वर्तमान समय और राजनीति दोनों की ही यह मांग है।
नीतीश के कैबिनेट में ओबीसी मंत्री ज्यादा
गौरतलब है कि बिहार (Bihar Politics on CM) में जेडीयू कि सरकार है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में जातीय समीकरण की बात करें तो सीएम को छोड़कर 29 मंत्री हैं। जिसमें 12 ओबीसी, 9 सवर्ण समुदाय, 7 दलित समाज और एक अल्पसंख्यक कोटे से मंत्री शामिल हैं। यानी नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में ज्यादा मंत्री ओबीसी समाज से हैं। ऐसे में अब भाजपा नेता द्वारा दलित समाज से मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग ने जेडीयू के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
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