Bihar: बिहार की नील गायों को पालतू बनाया जाएगा. इनके दूध से उत्पाद बनाकर बिक्री करने की भी तैयारी हो रही है. साथ ही इनके किशोर की बिक्री भी की जाएगी. पर्यटन और मनोरंजन के लिए भी इनका इस्तेमाल होगा. यह सारी प्रक्रिया किस तरह से होगी इस पर कृषि विभाग शोध करेगा. नीलगायों की इथोग्राम बाहरी संरचना और विविधता पर शोध होगा. नीलगाईयों के खानपान व्यवहार और वंशावली की पता लगाया जाएगा. व्यवहारिक कोनों पर अध्ययन होगा ताकि इनको अन्य पालतू जानवरों की तरह ही बनाया जा सके . शाहाबाद की नील गायों पर शोध कार्य शुरू किया जाएगा.
डुमरा स्थित हरियाणा फार्म में पशु बड़े का निर्माण कर इनको पाल जाएगा. सरकार की और से इस पर कल एक करोड़ 14 लख रुपए खर्च होंगे. इसमें केंद्र की ओर से 68.91 लख रुपए तथा राज्य सरकार की ओर से 45.94 लख रुपए दिए जाएंगे.
ग्रामीण युवकों को रोजगार
नीलगाईयों के पालतू बनने एक और फालतू जानवर की संख्या बढ़ जाएगी. नीलगाईयों को पालतू बनाने को लेकर ग्रामीण युवा किशोर और वयस्कों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें ग्रामीण युवकों को रोजगार भी मिलेगा. कृषि विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि 431 एकड़ में पहले डुमरा स्थित हरियाणा फॉर्म में नीलगाय की आबादी पाई गई है. डुमरांव में पहले 100 एकड़ का कृषि अनुसंधान फॉर्म शोध कार्य के लिए बेहतर होगा.
सभी जिलों से मांगे गए नीलगाय के आंकड़े
सभी जिलों से नीलगायों की संख्या कृषि मुख्यालय की ओर से मांगी गई है. मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, भोजपुर, शिवहर, पश्चिम चंपारण तथा बक्सर में नीलगाईयों की ओर से फसल बर्बाद करने की ज्यादा समस्या सामने आ रही है इसके साथ ही बिहार के सभी जिलों के किसी न किसी क्षेत्र में नीलगाय खेती को प्रभावित कर रहे हैं।