Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव में आरएसएस के करीब एक दर्जन सक्रिय सदस्यों ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने से पार्टी में खलबली मच गई है। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद कांग्रेस भी परेशान हो गई है। कांग्रेस ने इन सदस्यों के प्रोफाइल की जांच शुरू कर दी है और दो वरिष्ठ नेताओं की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई का मन बना लिया है। कांग्रेस ने बिहार चुनाव प्रभारी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस पूरे मामले पर जवाब मांगा है।
कांग्रेस ने RSS के सदस्यों को बांट दिए टिकट
बिहार में राजनीतिक हलचल तब तेज हो गई जब कांग्रेस के अलकमान राहुल गांधी को ये जानकारी हुई कि पार्टी ने कई टिकट उन नेताओं के कहने पर बांटे हैं, जो असल में आरएसएस के सक्रिय सदस्य हैं। यह सदस्यता उन सदस्यों ने पार्टी के टिकट मिलने से कुछ ही दिनों पहले तक आरएसएस के कार्यक्रमों में भागीदारी की थी।
कांग्रेस के ये प्रत्याशी हैं RSS के सक्रिय सदस्य
पटना के कुम्हार विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी इंद्रदीप चंद्रवंशी और पश्चिम चंपारण के नौतन सीट के प्रत्याशी अमित गिरी के संबंध में इनपुट्स हैं, जिनके बारे में जानकारी है कि वे लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे हैं और बीजेपी सांसद संजय जायसवाल के करीबी भी हैं।
इसके बावजूद, कांग्रेस ने इन्हें प्रत्याशी बनाया है, जिसको लेकर पार्टी ने गंभीरता से लिया है और इनकी पैरवी करने वाले नेताओं पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। साथ ही फारबिसगंज विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनोज विश्वास, नालंदा के छोटे मुखिया, पूर्णिया के इरफान आलम, रक्सौल से श्याम बिहारी प्रसाद, सोनवर्षा से सरिता पसवान, साथ ही सिकंदरा और किशनगंज की सीटों के प्रत्याशियों के संबंध में भी सवाल उठ रहे हैं। ये सभी नेता बीजेपी, जदयू और लोजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं।
इन दो नेताओं की सिफारिश पर कांग्रेस ने की गलती
कांग्रेस ने आरएसएस के सद्सयों को क्यों टिकट दिया, इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर इन नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है, तो क्यों इसकी जानकारी मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से नहीं दी गई। पार्टी ने इन टिकटों की प्रक्रिया में पारदर्शिता का उल्लंघन किया है या नहीं, इस पर भी चर्चा हो रही है।
कांग्रेस ने इनकी टिकट के पीछे दो नेताओं की पैरवी का भी खुलासा किया है। 
माना जा रहा है कि इन दोनों नेताओं ने टिकट बांटने में अहम भूमिका निभाई, और इन पर आरोप है कि उन्होंने बड़ी राशि लेकर टिकट वितरण में अपना प्रभाव डाला। इन दोनों नेताओं में से एक आरजेडी से कांग्रेस में आया है, जबकि दूसरा अभी तक पार्टी की सदस्यता नहीं ले पाया है, लेकिन दोनों की टिकटों में भागीदारी चर्चा का विषय बनी हुई है।

 
		 
		 
		