Gopalganj Lok Sabha Seat: शक्तिपीठ थावें, भूरिश्रवा की धरती भोरे और बैकुंठ धाम बैकुंठपुर के लिए बिहार का जिला गोपालगंज जितना चर्चित हैं. उतना ही ख्याति इसे अपने राजनीतिक रंगों के लिए भी प्राप्त है. वैसे तो बिहार और पूर्वांचल के हर टोले में राजनीती की बयार बहा करती है पर बिहार के इस जिले ने राजनीति के बड़े-बड़े पुरोधाओं को अपनी आबो-हवा से तरासा है. ऐसे में, आज हम इस लोक सभा सीट के पूरे राजनीतिक समीकरण पर एक नज़र डालेंगे ख़ास कर JDU के राजनितिक समीकरण पर.
समता पार्टी का चुनावी सफर
इस लोक सभा चुनाव के छठे चरण के मतदान के तहत बिहार के जिन आठ सीटों पर मतदान हो रहे हैं उनमें गोपालगंज सीट भी शामिल है. इस बार यहाँ से JDU के आलोक कुमार सुमन और VIP के प्रेमनाथ चंचल आमने-सामने हैं. बात 2019 के आम चुनावों की करें तो JDU ने अलोक कुमार सुमन पर ही अपना दांव खेला था जो सफल भी रहा. इस सीट पर JDU की सक्रियता की बात करें तो, पार्टी द्वारा 1998 से ही यहाँ सक्रिय भूमिका निभाने का दावा ठोका जाता रहा है. तब इस पार्टी का नाम समता पार्टी हुआ करता था.
आज के समय में गोपालगंज सीट भले ही सुरक्षित सीट की श्रेणी में शामिल है, लेकिन जिस समय इसे असुरक्षित श्रेणी में रखा गया था उस वक़्त भी यहाँ सामंता पार्टी के दो सांसदों ने जीत हासिल की थी. साल 1998 में अब्दुल गफूर और 1999 के लोक सभा चुनाव में रघुनाथ झा.
2014 में गोपालगंज से पहली बार जीती बीजेपी
अपनी दावेदारी काबिज़ करने के मामले में JDU इस सीट से खूब दावें ठोकती है. कारण, जब यहाँ की सीट सुरक्षित हो गयी तो सबसे पहले यहाँ से जीत JDU के पूर्णमासी राम को मिली। लेकिन, साल 2014 में NDA के गठबंधन से अलग होने के बाद JDU को यहाँ से करारी हार का सामना करना पड़ा. प्रत्याशी अनिल राम को मात्रा 11.11% वोट ही मिले और वो तीसरे स्थान पर रहें। जबकि प्रत्यासी जनक राम ने यहाँ से पहली बार भाजपा के ललाट पर विजय तिलक लगाने का कार्य किया.
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2019 में फिर पालते पालतू चाचा
अब 2019 तक सीएम नितीश कुमार ‘पलटू चाचा’ के नाम की प्रसिद्धि पा चुके थे. इस नाम पर फिरसे एक बार मुहर मारते हुए उन्होंने इसी साल यानी २019 में ही भाजपा का दामन फिर थाम लिया. और गोपालगंज की सीट से डॉ. अलोक कुमार सुमन को प्रत्याशी के तौर पर चुना गया. इस साल उन्हें बम्पर जीत मिली. इनके खाते में लगभग 55% वोट डाले गए. उस वक़्त कुछ लोगों ने इसे मोदी लहर का नाम भी दिया था. अब इस साल 2024 के चुणाव में पुनः गोपालगंज की सीट से अलोक कुमार सुमन को ही JDU ने अपने प्रत्यासी के तौर पर चुना है.
गोपालगंज में नोटा का दबदबा
जानकारी के लिए बता दें कि 2019 के चुनाव में गोपालगंज बस अलोक कुमार सुमन की जीत के लिए ही नहीं सुर्ख़ियों में था. बल्कि इसके ख़बरों में बने रहने का एक और कारण भी था. और वो कारण था नोटा पर डाले हुए वोट. आंकड़ों के मुताबिक़ इस सीट से कुल 51660 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. जो की देश के किसी भी राज्य में नोटा पर डाले गए वोटों की संख्या से अधिक था. अब इस साल पार्टी पॉलिटिक्स और चुनाव का खेला किसके और कितना काम आता है, ये तो परिणामों के बाद ही पता चलेगा.