कल यानी 23 जुलाई को देश का आम बजट पेश होने वाला है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को संसद में बजट पेश करेंगी लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। जेडीयू की मांग पर केंद्र सरकार ने संसद में जवाब दिया और कहा कि मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस जवाब से आने वाले दिनों में एनडीए के भीतर घमासान बढ़ सकता है। आपको बता दे कि नितीश कुमार फिलहाल एनडीए का हिस्सा है.
गौरतलब है कि नितीश कुमार लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देनें की मांग करते रहे है. जेडीयू पक्ष में हो या विपक्ष में हमेशा विशेष दर्जा की मांग केंद्र के सामने उठाती रही है। एनडीए में शामिल अन्य पार्टियों ने भी जेडीयू की इस मांग का समर्थन किया है। विपक्ष भी जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए दबाव बनाता रहा है।
विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए मानक
1. कठिन भूभाग.
2. कम जनसंख्या घनत्व और जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा.
3. पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान.
4. आर्थिक और अवसंरचनात्मक पिछड़ापन.
5. राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति.
एनडीसी मानदंडों पर खरा नहीं उतरता बिहार
बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (IMG) द्वारा विचार किया गया था, जिसने 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. आईएमजी इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है.
नितीश की बड़ी टेंशन
नितीश कुमार इस समय एनडीए घटक दल के एक अहम सहयोगी है. वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लगातार मांग करते रहे है. ऐसे में उनके लिए यह बड़ा झटका है। अब विपक्ष उन पर हमलावर है।
इससे पहले बीजेपी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) ने सोमवार को बिहार को विशेष आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की थी और कहा था कि राज्य को आर्थिक सहयोग की जरूरत है. हालांकि, वो बिहार को विशेष राज्य की दर्जा दिए जाने के सवाल को टाल गए थे. उन्होंने कहा था कि हम लोगों ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री से बिहार को विशेष आर्थिक मदद देने का आग्रह किया है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर निर्णय लेंगे.