ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष की बड़ी जीत माना जा रहा है, वो इसलिए क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के मुक़दमे के ट्रायल को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो 6 महीने में मामले की सुनवाई पूरी करे.
लम्बे समय से चल रहे वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और कशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के बीच स्वामित्व को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Arrangements Mosque Committee) की याचिकाएं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है. अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1991 के मुकदमें के ट्रायल को मंजूरी दे दी है.लम्बे समय से चल रहे वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) और कशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के बीच स्वामित्व को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (Sunni Central Waqf Board) और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी (Anjuman Arrangements Mosque Committee) की याचिकाएं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी है. अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1991 के मुकदमें के ट्रायल को मंजूरी दे दी है.
इसके आलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को निर्देश निर्देश दिया है कि वो 6 महीने में मामले की सुनवाई पूरी करे. हाईकोर्ट ने कहा कि Places of Worship Act इस याचिका की सुनवाई की राह में कील नहीं बनता। इस फैसले में इलाहाबद हाईकोर्ट ने 1991 के मुकदमे के ट्रायल को मंजूरी दे दी है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो 6 महीने में मामले की सुनवाई पूरी करे.
इस पूरे फैसले को हिन्दू पक्ष की बड़ी जीत माना जा रही है. जिन पांच याचिका पर अदालत का फैसला आया है, उनमे से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए केस की पोषणीयता से जुडी हुई थीं. जबकि बाकि दो अर्जियां ASI के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ थीं. भगवन आदि विश्वेश्वर विराजमान के वाद मित्रों की तरफ से वाराणसी की अदालत में 1991 में दाखिल मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुयों को सौंपे जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी.
वाराणसी कोर्ट को आदेश दिया?
Order given to Varanasi court: इलाहबाद हाई कोर्ट की जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने अंजुम अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उतर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक़्फ बोर्ड का प्रमुख तर्क यही रहा है कि इस मुकदमे को पूजा स्थल अधिनियम के तहत ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए। इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मस्जिद परिसर में मुस्लिम तत्व (Muslim character) या हिन्दू तत्व (Hindu Character) हो सकते हैं. लेकिन फ़िलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। इसके साथ ही, कोर्ट ने 1991 के मुकदमे की सुनवाई को मंजूरी दी है. इलाहबाद हाई कोर्ट ने कहा
“ये मुकदमा देश के दो प्रमुख समुदायों को प्रभावित करता है. हम ट्रायल कोर्ट को इस मामले में 6 महीने के अंदर फैसला देने के लिए निर्देश देते हैं.”
हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि एक मुकदमे में ASI का सर्वे कराया गया था. इसे बाकी मुकदमों में भी दायर किया जाएगा. इसके साथ ही, अगर निचली अदालत को लगता है कि किसी हिस्से का सर्वे कराने की जरूरत है तो अदालत ASI को सर्वे कराने के लिए निर्देश भी दे सकती है.
वाराणसी कोर्ट के सामने जो मुकदमा है, उसमें ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित स्थान पर एक प्राचीन मंदिर को बहाल करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ज्ञानवापी मस्जिद, दरअसल काशी विश्वनाथ मंदिर का ही हिस्सा है और औरंगजेब के शासनकाल में जबरदस्ती इस स्थान पर मस्जिद बना दी गई थी.
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