एमपी और महाराष्ट्र सरकार का पानी पर बड़ा हस्ताक्षर, तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना पर बनी सहमति

भोपाल। तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना में एमपी और महाराष्ट्र सरकार ने एक मत होकर एमओयू में हस्ताक्षर किए है। जिससे इस जलाशय पर दोनों राज्यों की सहमति बन गई है। बताया गया है कि इससे मध्य प्रदेश के लगभग 01 लाख 23 हजार तथा महाराष्ट्र के 2 लाख 37 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा विकसित होगी।

सीएम मोहन ने दी जानकारी

सीएम मोहन ने कहा कि यह विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंडवॉटर रीचार्ज परियोजना है। यह एक अनूठी परियोजना है जो पूरे विश्व में भूजल पुनर्भरण का नया अध्याय लिखेगी। इससे प्रदेश के बड़े क्षेत्र विशेष रूप से निमाड़ का भूजल स्तर बढ़ेगा और यह वहां के लिए जीवन दायिनी सिद्ध होगी। यह सौभाग्य का विषय है कि आज महाराष्ट्र सरकार के साथ इस परियोजना के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं। दशकों से रूकी पड़ी मेगा रिचार्ज योजना की दिशा में हम आगे बढ़े हैं। पहले भी केन-बेतवा तथा पार्वती काली सिंध चंबल परियोजनाओं की दशकों से अटकी परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं। एमओयू के उपरांत दोनों राज्य सरकारें भारत सरकार को ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना को अंतर्राज्यीय राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना की स्वीकृति के लिए अनुरोध करेंगी।

गहन चर्चा के बाद हुए हास्ताक्षर

इससे पहले मंत्रालय वल्लभ भवन में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक में ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना सहित दोनों राज्यों की अन्य सिंचाई परियोजनाओं के संबंध में चर्चा हुई और निर्णय लिए गए। कार्यक्रम में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन, जनजातीय कल्याण मंत्री कुंवर विजय शाह, सांसद वी.डी. शर्मा, पूर्व मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस, मुख्य सचिव अनुराग जैन, अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री कार्यालय एवं जल संसाधन विभाग डॉ. राजेश राजौरा तथा महाराष्ट्र सरकार एवं प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

एमपी में 247 से अधिक बहती है नदियां

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारा मध्य प्रदेश नदियों का मायका है तथा यहां 247 से अधिक नदियां प्रवाहित होती हैं। उन्होने बताया कि राजस्थान सरकार के साथ पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना तथा उत्तर प्रदेश सरकार के साथ केन बेतवा लिंक परियोजना के बाद महाराष्ट्र सरकार के साथ तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना न केवल संबंधित राज्यों अपितु पूरे देश के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगी।

जल योजनाएं ले रही है मूर्त रूप

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कई दशकों से भारत में कई अंतरराज्यीय नदी परियोजनाएं राज्यों के बीच आपसी सहमति न होने के कारण अटकी हुई थीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद अब ये योजनाएं मूर्त रूप ले रही है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सक्रियता के कारण आज 25 साल बाद मध्य प्रदेश महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक हुई है और उसमें तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना एवं अन्य सिंचाई योजनाओं पर सहमति बनी है। यह दोनों राज्यों के लिए अत्यंत लाभकारी है। उन्होने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर कई क्षेत्रों में कार्य करेगी। श्री फडणवीस ने कहा कि तापी बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना विश्व की सबसे बड़ी वॉटर रिचार्ज स्कीम है जो की दुनिया का एक अजूबा है। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर तापी नदी की घाटी में बजाडा जोन तैयार हुआ है जो ताप्ती नदी के समानान्तर जाता है, जिसमें वॉटर रीचार्ज की अद्भुत क्षमता है। इस परियोजना से दोनों राज्यों के बड़े क्षेत्र में वॉटर रीचार्ज होगा, जिसका लाभ लाखों किसानों को मिलेगा। कार्यों को गति देने के लिए पुनः अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की बैठक आगामी अक्टूबर माह में महाराष्ट्र में आयोजित की जाएगी।

तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना

तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों की संयुक्त परियोजना है। इस योजना से मध्यप्रदेश के 1,23,082 हेक्टेयर क्षेत्र में एवं महाराष्ट्र के 2,34,706 सेक्टर में सिंचाई प्रस्तावित है. योजना में भूजल भंडारण का विस्तार किया जाएगा, जिससे प्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा जिलों की बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार एवं खालवा तहसीलें लाभान्वित होंगी।

परियोजना में मुख्य रूप से चार जल संरचनाएं प्रस्तावित

खरिया गुटीघाट बांध स्थल पर लो डायवर्सन वियर रू- यह वियर दोनों राज्यों की सीमा पर मध्य प्रदेश

की खंडवा जिले की खालवा तहसील एवं महाराष्ट्र की अमरावती तहसील में प्रस्तावित है. इसकी जल भराव क्षमता 8.31 टीएमसी प्रस्तावित है।

प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर क़े दाएं तट से 221 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है, जो मध्य प्रदेश में 110 किलोमीटर बनेगी. इस नहर से मध्य प्रदेश के 55 हज़ार 89 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।

प्रस्तावित खरिया गुटीघाट वियर के बाएं तट से 135.64 किलोमीटर लंबी नहर प्रस्तावित है जो मध्यप्रदेश में 100.42 किलोमीटर बनेगी। इस नहर से मध्यप्रदेश के 44 हज़ार 993 हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है।

यह नहर बाईं तट नहर प्रथम चरण के आर डी 90.89 कि मी से 14 किलोमीटर लम्बी टनल के माध्यम से प्रवाहित होगी. इसकी लंबाई 123.97 किलोमीटर होगी, जिससे केवल महाराष्ट्र के 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।

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