Site icon SHABD SANCHI

MP: भोपाल एम्स और पतंजलि मिलकर बनाएंगे मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन

AIIM bhopal

AIIM bhopal

MP’s Largest Herbal Garden: एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि यह हर्बल गार्डन कोई साधारण बगीचा नहीं होगा। इसमें मध्यप्रदेश के स्थानीय, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों और देश भर के दुर्लभ औषधीय पौधों को शामिल किया जाएगा। यह गार्डन केवल पेड़-पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सस्ते और प्रभावी इलाज के नए रास्ते खोलने में भी मदद करेगा।

MP’s Largest Herbal Garden: भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अब न केवल एलोपैथी चिकित्सा होगी, बल्कि प्राचीन भारतीय आयुर्वेद और आदिवासी औषधीय ज्ञान का खजाना भी उपलब्ध होगा। बाबा रामदेव की पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से भोपाल एम्स मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा हर्बल गार्डन विकसित करने जा रहा है। यह गार्डन केवल पेड़-पौधे लगाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह सस्ते और प्रभावी इलाज के नए रास्ते खोलने में भी मदद करेगा।

विशिष्ट औषधीय पौधों का संरक्षण और अनुसंधान

एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि यह हर्बल गार्डन कोई साधारण बगीचा नहीं होगा। इसमें मध्यप्रदेश के स्थानीय, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों और देश भर के दुर्लभ औषधीय पौधों को शामिल किया जाएगा। ये पौधे कई गंभीर बीमारियों के इलाज में सक्षम हैं, जिनका ज्ञान धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। इस गार्डन का उद्देश्य इन पौधों का संरक्षण और उनके औषधीय गुणों पर शोध करना है।

आदिवासी औषधीय ज्ञान का संरक्षण

डॉ. सिंह के अनुसार, मध्यप्रदेश के आदिवासी समुदायों के पास पेड़-पौधों, जड़ों, पत्तियों और छालों से इलाज करने का प्राचीन और समृद्ध ज्ञान है। यह ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित होता रहा है। एम्स की टीम इस ज्ञान को संरक्षित करने के लिए आदिवासी इलाकों में जाकर दुर्लभ औषधियों की खोज करेगी और उनकी वैज्ञानिक पहचान करेगी। यह पहल न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोलेगी, बल्कि आदिवासी संस्कृति को भी सम्मान देगी।

तीन चरणों में बनेगा हर्बल गार्डन

हर्बल गार्डन को तीन चरणों में विकसित किया जाएगा

आसानी से उगने वाले पौधे: पहले चरण में उन औषधीय पौधों को लगाया जाएगा, जिन्हें उगाने के लिए विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता नहीं होती।

आदिवासी इलाकों की खोज: दूसरे चरण में एम्स की टीम मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में जाकर वहां प्रचलित औषधीय जड़ी-बूटियों की खोज करेगी और उनकी वैज्ञानिक पहचान करेगी।

दुर्लभ और विदेशी पौधे: अंतिम चरण में उत्तराखंड के महत्वपूर्ण औषधीय पौधों और देश-विदेश की दुर्लभ जड़ी-बूटियों को शामिल किया जाएगा।

चिकित्सा और शोध को मिलेगा बढ़ावा

इस हर्बल गार्डन से एम्स के आयुष विभाग को मरीजों के इलाज के लिए ताजी औषधीय जड़ी-बूटियां उपलब्ध होंगी। साथ ही, मेडिकल छात्रों को इन पौधों पर गहन शोध करने का अवसर मिलेगा। डॉ. सिंह ने कहा कि अभी तक छात्र इन पौधों के बारे में केवल किताबों में पढ़ते थे, लेकिन अब वे इन्हें प्रत्यक्ष रूप से देख सकेंगे, उनके गुणों को समझ सकेंगे और उन पर शोध कर सकेंगे।

Exit mobile version