‘Bheegi Raat’ A Film Based On Love Triangle | न्याज़िया बेगम: सन 1965 को रुपहले पर्दे पर झिलमिलाती” भीगी रात” फिल्म दो रातों की कहानी कहती है एक रूमानियत से भीगी, दूसरी आंसुओं से और दोनों पुर कशिश अंदाज़ में अपना फलसफा बयान करती हैं , दिल जो न कह सका वही राज़ ए दिल कहने की रात आ गई नग़्मे के ज़रिए, जिसे रूमानी अंदाज़ में गाया है लता मंगेशकर ने और इसी रूमानियत का हवाला देते हुए मुबारकबाद की आड़ में तंज़ कसते हुए गाया है मो .रफी ने।
फिल्म भीगी रात की कहनी
फिल्म में अभिनेता और सहायक अभिनेता दोनों नायिका को अपना बनाना चाहते हैं, कैसे? वो ऐसे कि नीलिमा यानी मीना कुमारी अपने चाचा से परेशान होकर घर से भागती है और रास्ते में बेहोश हो जाती है। जिसे वहां से गुज़रते हुए पुष्पा यानी कामिनी कौशल देख लेती है और उसे अपने घर ले जाती है, नीलिमा का सब हाल जानने के बाद वो उसे अपने घर पर आसरा देती है, वो खुद अपाहिज है और उसे अपनी भतीजी यानी बिन मां की छोटी सी बच्ची के लिए गवर्नेस की तलाश है। ये जानकर नीलिमा बच्ची की देखभाल का काम करने लगती है, इस दौरान नीलिमा बच्ची को घुमाने लेके जाती है और वो अजय यानी प्रदीप कुमार की गाड़ी से टकरा जाती है। जिससे दोनों की बहस हो जाती है अजय बच्ची को डॉक्टर के पास लेकर जाता है। और इस तरह दोनों की जान पहचान हो जाती है धीरे धीरे मुलाकातें प्यार में बदल जाती हैं, अजय नीलिमा के पड़ोस में किराए से रहने लगता है।
कुछ दिनों बाद पुष्पा के भइया आनंद बाबू यानी अशोक कुमार घर आते हैं और नीलिमा को देखकर उससे नज़र नहीं हटा पाते क्योंकि वो बहुत हद तक उनकी गुज़री हुई पत्नी जैसी लगती है, फिर उनकी बेटी की मां जैसी देखभाल करती है तो वो उसे दिल ही दिल में प्यार करने लगते हैं, उस पर हक़ भी जताने लगते हैं, बिना उसकी मर्ज़ी जाने।
इस बीच उनकी मुलाक़ात अजय से होती है, जो एक अमीर बाप की बेहिसाब दौलत का इकलौता वारिस होने के साथ-साथ एक आर्टिस्ट भी है। जो हुबहू किसी की तस्वीर बना लेता है, अब आनंद बाबू से रहा नहीं जाता और वो अजय को चुपके से नीलिमा के लिए अपने जज़्बातों के बारे में बता देते हैं। ये सब जानकर भी अजय, आनंद बाबू से कुछ नहीं कहता और उन्हें धोखा देते हुए नीलिमा की तस्वीर बनाता है। यहां एक गीत है- “जाने वो कौन क्या नाम है उन आंखों का ….”, पर थोड़ा बदगुमान होने के बाद समझ जाता है कि नीलिमा के दिल में उनके लिए कुछ नहीं है और दोनों उनसे आंख मिचौली खेलते रहते हैं। पर एक दिन आनंद बाबू की आंखों से पट्टी खुल जाती है और वो ये राज़ जानकार अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते, और अजय को शिकार पर चलने को मनाते हैं, नीलिमा को भी साथ ले जाते हैं, इस नियत से की आज वो अजय को शिकार के बहाने खत्म कर देंगे। उन्हें मौका भी खूब मिलता है, जंगल में इस बीच आग लग जाती है और वो एक हाथी पर गोली चला देते हैं। जिससे हाथियों का झुंड उनपर हमला कर देता है, वो नीलिमा को लेकर जीप से भागते हैं और अजय को छोड़ देते हैं। वो हाथी के पैरों तले आते आते बचता है, ये देखकर नीलिमा आनंद बाबू से अजय को बचाने और गाड़ी में बैठाने की गुहार लगाते हुए बेहोश हो जाती है। उसकी तड़प देखकर आनंद बाबू का मन बदल जाता है, ग़ुस्सा ठंडा जाता है और वो अजय को बचाकर साथ ले आते हैं।
इधर अजय घर पहुंचता है तो उसके पिताजी उस लड़की से उसे शादी करने को कहते हैं, जिसे वो नहीं पसंद करता, मगर विनीता यानी शशिकला उससे किसी भी शर्त पर शादी करने की ज़िद पर अड़ी है। पिताजी को भी वही लेकर आई है, नीलिमा के बारे में बता कर ख़ैर अजय उस वक़्त शादी के लिए हां कर देता है। पर शादी के वक़्त मंडप में अपने दोस्त प्रीतम यानी राजेन्द्रनाथ को सेहरे में बिठा देता है, और विनीता की शादी उसके दोस्त से हो जाती है। लेकिन विनीता इसके बाद से बदले की आग में जलने लगती है वो उसे बर्बाद करने की पूरी कोशिश करती है, जिससे अजय की पूरी प्रॉपर्टी उसके हांथ से निकल जाती है और उसे वहम हो जाता है, कि अब नीलिमा उससे शादी नहीं करेगी, विनीता उसे नीलिमा को आज़माने को कहती है।
दूसरी तरफ आनंद बाबू की बहन पुष्पा अपनी बीमारी के चलते दम तोड़ देती हैं, उस वक्त आनंद बाबू के घर को, उनकी बच्ची को नीलिमा की बहोत ज़रूरत होती है, और ऐसे में अजय बिना नीलिमा की मर्ज़ी जाने एक रात सगाई के लिए पार्टी रख लेता है, और उसे टाइम देकर चला जाता है। ये जानकर आनंद बाबू भी उसे जाने को कहते हैं तो वो रात में निकलती है और उसका बहुत बुरा एक्सीडेंट हो जाता है। आनंद बाबू आते हैं उसका इलाज करवाते हैं, अजय को फोन लगवाते हैं, लेकिन विनीता अजय तक ये ख़बर पहुंचने नहीं देती और अजय नीलिमा को धोखेबाज़ समझकर उससे ख़फ़ा हो जाता है। दूसरी तरफ नीलिमा की हालत कुछ सुधर जाती है, लेकिन उसके दोनों पैर बेकार हो जाते हैं डॉक्टर कह देते हैं अब वो चल नहीं पाएगी, तो आनंद बाबू उसे घर ले आते हैं। उसकी खूब सेवा करते हैं पर ज़माना उन्हें जीने नहीं देता, नीलिमा किस हक़ से अब उनके पास रह रही है। हर कोई पूछता है और सोसायटी वाले उन्हें कहते हैं कि अगर अब वो नीलिमा की देखभाल करना चाहते हैं, तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी। नीलिमा भी उनकी इज़्ज़त बचाने के लिए शादी के लिए हां कर देती है, सगाई के लिए सबको इन्वाइट किया जाता है, अजय भी आता है और बतौर नज़राना गीत गाता है- ” दिल जो न कह सका ….चलिए मुबारक जश्न दोस्ती का दामन तो थामा आपने किसी का, हमें तो खुशी यही है तुम्हे भी किसी को अपना कहने की रात आई ….”
ये बोल नीलिमा बर्दाश्त नहीं कर पाती और मेहमानों को छोड़कर अंदर चली जाती है, अजय भी उसके पीछे पहुंचता है उसे उसकी तस्वीरें देता है और कहता है कि तुम्हे शर्म नहीं आ रही है, मुझसे प्यार करने के बाद तुम शादी किसी और से कर रही हो। इतने में आनंद बाबू आते हैं और वो भी उसे इल्ज़ाम देते हुए खड़ा कर देते हैं, कि जाओ अजय से माफी मांगो और नीलिमा उनके हाथों का सहारा छूटते ही ज़मीन पर गिर जाती है। तब अजय के सामने सारी हक़ीक़त आ जाती है और वो कहता है कि उसके लिए वो आज भी वही नीलिमा है, जो कल थी, उसके न चल पाने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन वो आनंद बाबू से सगाई कर रही है तो करे वो जा रहा है।
ये सुनकर और दोनों के प्यार का एहसास होने के बाद आनंद बाबू नीलिमा को बाहर लेकर आते हैं, और अजय और नीलिमा की सगाई का ऐलान कर देते हैं, और फिर से लंदन के लिए रवाना होते हैं जाते जाते, अपनी बेटी को नीलिमा के हाथों में सौंप जाते हैं कि वो उसे अपने जैसा बना देगी और जब वो बड़ी हो जाएगी तब वो उसे अपने साथ ले जाएंगे। ये वो भीगी रात है जिसने एक ही पल में तीन हृदय परिवर्तित कर दिए उनके एक दूसरे के लिए ख्याल बदल दिए ,अजय तो सच्चाई से बेखबर होकर नीलिमा को ग़लत समझ रहा था, नीलिमा आनंद बाबू के एहसान का बदला चुका रही थी आनंद बाबू ये नहीं जानते थे कि दोनों में इतना प्यार है, एक वक़्त पर वो भी ख़ुदग़र्ज़ हुए थे।
अमेरिकी फिल्म का रीमेक है यह फिल्म
ये फिल्म आपको फिल्म मन की याद दिलाएगी, क्योंकि ये फिल्म 1957 की अमेरिकी फिल्म एन अफेयर टू रिमेंबर की रीमेक थी। जो बदले में 1939 की फिल्म लव अफेयर की रीमेक थी और इस तरह भीगी रात फिल्म ने आमिर खान और मनीषा कोइराला अभिनीत 1999 की फिल्म मन को प्रेरित किया। इस फिल्म के निर्माता और निर्देशक हैं कालिदास।
फिल्म का लोकप्रिय संगीत
फिल्म” भागी रात “के दिग्गज कलाकार, जहां अपने जीवंत अभिनय से हमें आखिर तक बांधे रखने में कामयाब होते हैं, वहीं इसके गीतों ने खूब दिल जीता है, जिन्हें लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने और संगीतबद्ध किया है रौशन ने। मो .रफी, लता मंगेशकर, आशा भोसले के साथ बतौर गुलूकारा हैं सुमन कल्याणपुर। गीत के बोल हैं- “ऐसे तो ना देखो के बहक जाएं कहीं हम आख़िर तो इक इंसा हैं फरिश्ता तो नहीं हम “। तो आप भी फिल्म “भीगी रात “देखिए और अपने अनुभव चाहें तो हमसे साझा कीजिए।