Best MF for SIP: आज के समय में अधिकतर लोग Bank FD और निवेश के दूसरे माध्यमों से थोड़ा ऊपर उठकर Mutual funds SIP में निवेश कर रहे हैं, ऐसे में अगर आप भी लॉन्ग टर्म में SIP में पैसे लगा रहे हैं तो मिडकैप म्यूचुअल फंड्स के बारे मे जरूर जान लेना चाहिए. जी हां मिडकैप, स्मॉलकैप फंड्स की तुलना में आपको अच्छा मुनाफा दिया होगा.
स्टडी में भी हुआ साबित
Equirus Credence Family Office की एक स्टडी के मुताबिक, पिछले 10 सालों में Nifty Midcap 150 TRI ने औसतन 17.3% का रिटर्न दिया है, जबकि Nifty Smallcap 250 TRI का औसत रिटर्न 15.1% रहा. 15 साल की अवधि में भी मिडकैप इंडेक्स का परफॉर्मेंस बेहतर रहा.
Midcap 15 साल का ग्राफ
Midcap Mutual Funds ने 15 साल की अवधि में औसतन 16.9% का रिटर्न दिया. जबकि इस दौरान Small Cap ने 14.1% का रिटर्न दिया. Equirus के CIO चंचल अग्रवाल कहते हैं – मिडकैप शेयर लंबे समय में ज्यादा टिकाऊ साबित हुए हैं. इनमें स्मॉलकैप के मुकाबले रिस्क कम है, बेसिक स्ट्रेंथ ज्यादा है और रिटर्न भी बेहतर है.
मिडकैप और स्मॉलकैप में अंतर
जब भी शेयर बाजार की बात होती हैं, तो कंपनियों को उनके साइज यानी मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है. इस आधार पर जो कंपनियां साइज में सबसे बड़ी होती हैं, वे लार्जकैप कहलाती हैं. उनके बाद आती हैं मिडकैप कंपनियां और सबसे छोटी स्मॉलकैप कंपनियां होती हैं. म्यूचुअल फंड्स के नियमों के मुताबिक, मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से रैंक 101 से 250 तक की कंपनियां मिडकैप होती हैं. वहीं 251वीं रैंक से नीचे आने वाली कंपनियां स्मॉलकैप मानी जाती हैं.
Short Time में भी अच्छा रिटर्न
पिछले 3 साल में मिडकैप इंडेक्स ने औसतन 13.9% और 5 साल में 17.4% का रिटर्न दिया है. इसके मुकाबले स्मॉलकैप इंडेक्स ने 11.9% और 15.11% का रिटर्न दिया है. यानी छोटे समय में भी मिडकैप फंड्स का परफॉर्मेंस बेहतर रहा है.
मिडकैप क्यों बेहतर रिजल्ट्स दे रहे
एडलवाइस म्यूचुअल फंड के त्रिदीप भट्टाचार्य कहते हैं कि जो सबसे अच्छी स्मॉलकैप कंपनियां होती हैं, वही धीरे-धीरे मिडकैप बनती हैं. इसलिए लंबी अवधि में मिडकैप कंपनियां ज़्यादा अच्छा रिटर्न देती हैं.
लोगों को है मिडकैप में ज्यादा भरोसा
गौरतलब है कि मिडकैप शेयरों की कीमतें बड़ी कंपनियों (ब्लूचिप्स) से ज्यादा हो गई हैं. इसका मतलब है कि लोग इन कंपनियों में भरोसा दिखा रहे हैं. मिडकैप का PE रेशियो 35.21 है, जबकि Nifty (बड़ी कंपनियां) का PE 22.29 है.
आगे भी उम्मीद रहेगी कायम!
वर्तमान में मिडकैप शेयर अभी भी थोड़े महंगे हैं, फिर भी एक्सपर्ट को लगता है कि ये आगे भी अच्छा परफॉर्म करेंगे. Equirus के CIO चंचल अग्रवाल ने बताया मिडकैप कंपनियां अब मजबूत हो चुकी हैं. इनके पास अच्छा बिजनेस मॉडल, एक्सपीरियन्स्ड मैनेजमेंट और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की दिलचस्पी है.