Begums of Bhopal History In Hindi: वैसे तो देश में कई रियासतें रहीं हैं, उनमें भोपाल भी एक प्रमुख रियासत थी, जिसकी स्थापना दोस्त मुहम्मद नाम के एक अफ़गान ने की थी। हालांकि भोपाल को अपने बेग़मों के शासन के लिए भी जाना जाता है, यहाँ 1819 से लेकर 1926 तक लगातार 107 वर्ष तक कुदासिया बेगम, सिकंदर बेगम, शाहजहाँ बेगम और सुल्तानजहाँ नाम की चार बेगमों ने शासन किया था।
कुदसिया बेगम | Begums of Bhopal
भोपाल पर शासन करने वाली सबसे पहली बेगम कुदसिया थी। उसका मूल नाम गौहर बेगम था। बहुत संभव था, उसक जन्म 1801 में हुआ था। वह भोपाल के नवाब गौस मुहम्मद खान की लड़की थी। मराठों से पराजित होकर नवाब गौस रायसेन चले गए थे, और राज्य का संरक्षक वजीर मुहम्मद नाम के एक अफ़गान सरदार को नियुक्त कर दिया था। साथ ही अपनी लड़की का विवाह भी वजीर मुहम्मद के बेटे सरदार नजर मोहम्मद के साथ कर दिया था।
कम उम्र में हुई पति की मृत्यु | Begums of Bhopal
आगे चलकर नजर मुहम्मद भोपाल के संरक्षक बने। 11 नवंबर 1819 को अपने परिवार के साथ शिकार पर गए नजर मोहम्मद की दुर्घटनावश मृत्यु हो गई। जब कुदसिया बेगम के 8 वर्षीय भाई ने नजर मुहम्मद के कमर से पिस्तौल चली और धोखे से चल गई, नवाब वहीं ढेर हो गए। बेगम तब महज 18 वर्ष की थी और उसकी सिकंदर नाम की केवल एक ही औलाद थी, जो उस वक्त महज दो वर्ष की थी।
भोपाल की पहली नवाब बेगम कुदसिया | Begums of Bhopal
19 वर्ष की कुदसिया ने पर्दा छोड़ दिया और अपनी बेटी के उत्तराधिकार का दावा किया, और सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ली। लेकिन राज्य के कई सामंत और सरदारों को उनका शासन जम नहीं रहा था। जिसके बाद राज्य के सामंतों और ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक शर्त रखी पूर्व नवाब के भतीजे मुनीर मुहम्मद का विवाह, बेगम की बेटी से कर दिया जाए और वह भोपाल के अगले नवाब बनेंगे। उस वक्त तो बेगम ने यह स्वीकार कर लिया पर वह सत्ता अपने हाथ में ही रखना चाहती थी। इसीलिए वह अपनी बेटी की शादी में देर करती रही, वास्तविकता में वह मुनीर मोहम्मद को सत्ता नहीं देना चाहती थी।
महत्वाकांक्षी थीं बेगम कुदसिया | Begums of Bhopal
ब्रिटिश अधिकारियों ने दोनों पक्षों में समझौता करवाया, मुनीर मोहम्मद को 40 हजार प्रतिवर्ष मुआवजा देने का वादा किया गया। बदले में बेगम की लड़की का निकाह, मुनीर मुहम्मद के छोटे भाई जहांगीर मुहम्मद से तय हुआ। लेकिन उसके बाद भी वह अपनी बेटी की शादी में देर करती रही। लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों के दखल के बाद 1835 में शादी हो गई। ब्रिटिश सरकार के शर्तों के अनुसार जहांगीर मोहम्मद भोपाल के नवाब बने, आगे चलकर 1838 में जहाँगीर और बेगम सिकंदर के भी एक लड़की पैदा हुई, जिसका नाम शाहजहाँ रखा गया।
अपने रिश्तेदारों के साजिश को किया नाकाम | Begums of Bhopal
बेगम कुदसिया 5 लाख रुपये वार्षिक पेंशन लेकर राज्यभार से मुक्त हो गईं और इस्लामनगर में रहने लगीं। लेकिन बेगम कुदसिया शासन में लगातार दखल देती रहीं। जिसके कारण गौहर बेगम और जहांगीर मोहम्मद के मध्य मतभेद पैदा हो गए। आगे चलकर जहांगीर और सिकंदर बेगम के बीच भी मतभेद मतभेद पैदा हो गए, जब जहाँगीर ने उन्हें जहर देकर मारना चाहा, पर वह बच गई। एक दिन दावत के अवसर पर जहांगीर ने नवाब कुदसिया बेगम और अपनी पत्नी सिकंदर बेगम को कैद करना चाहा पर वह बच निकलीं और नवाब जहांगीर को ही गिरफ्तार करवा लिया।
अपनी पोती को दिलवाया राज्याधिकार | Begums of Bhopal
उसके बाद उन्होंने अपनी पोती शाहजहाँ के राज्याधिकार का दावा किया। जिसे कंपनी सरकार ने स्वीकार कर लिया और उनकी पोती शाहजहाँ को भोपाल की नवाब घोषित किया गया। जबकी उनकी बेटी सिकंदर को राज्य की संरक्षिका बना दिया गया। अपनी बेटी और पोती को अधिकार मिलने के बाद बेगम कुदसिया राज्यभार से मुक्त हो गईं।
बेगम ने सफलता के साथ किया भोपाल पर शासन | Begums of Bhopal
कुदसिया बेगम एक योग्य शासक थी। उसने बड़ी सूझ-बूझ के साथ शासन चलाया। उसने कई मौके पर अपनी सेनाओं के साथ युद्ध का नेतृत्व भी किया। वह दरबार लगा कर खुद मामले और फ़रियाद सुनती थी। उसने भोपाल में गौहर महल का निर्माण करवाया। उसने रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अपने कोश से 10 लाख रुपये दिए। उसके राज्य के बड़े अधिकारियों में हिंदू और मुस्लिम सब थे। 1877 में उन्हें ऑर्डर ऑफ इंपीरियल क्रॉस से सम्मानित किया गया, अपनी सारी निजी संपत्ति उन्होंने अपनी पोती शाहजहाँ के नाम कर दी थी। उसके चार वर्ष बाद 1881 में लगभग 80 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।