Banwarilal Purohit, Punjab New Governer, Panjab News In Hindi: देश के कुछ प्रमुख राज्यों में राजनितिक उठा-पटक तेज है. इसी बीच एक खबर पंजाब से आ रही है कि पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने अपने राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया है. बनवारी लाल ने आज ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, राष्ट्रपति मुर्मू को दिए स्तीफा पत्र में बनवारी ने लिखा है कि अपने व्यक्तिगत कारणों और कुछ अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण, मैं पंजाब के राज्यपाल पद से इतिफा देता हूँ. कृपया इसे स्वीकार करें.
बनवारी लाल पुरोहित कौन हैं?
who is Banwarilal Purohit: आपको बता दें कि बंजारी लाल पुरोहित ना सिर्फ पंजाब के राज्यपाल हैं बल्कि यूनियन टेरिटरी चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं. इनका जन्म 16 अप्रैल 1940 को राजस्थान में हुआ था. आइए जानते हैं बनवारी लाल पुरोहित की पूरी कहानी.
पुरोहित के राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1977 में हुई. फिर साल 1978 में इन्होने विधर्भ आंदोलन समिति के टिकट से विधायक चुने गए. बाद में 1980 में नागपुर से कांग्रेस के विधायक चुने गए. इसी दौरान 1982 में नगर विकास मंत्री का कार्यभार भी उन्हें सौंपा गया. साल 1991 में उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस को अपना इतिफा सौंपा और बीजेपी के साथ जुड़ गए. भाजपा के टिकट पर साल 1996 में उन्हें तीसरी बार जनता द्वारा सांसद चुना गया.
वर्तमान में पुरोहित पंजाब के राज्यपाल पद और चंडीगढ़ के प्रशासक के पद पर पदस्त हैं. हालाँकि इससे पहले वो और भी राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं.
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यहाँ के भी रह चुके हैं राज्यपाल
असम- 22 अगस्त 2016 से 29 सितम्बर 2017
मेघालय- 27 जनवरी से 5 ओक्टुबर 2017
तमिलनाडु- 6 ओक्टुबर से 17 सितम्बर 2021
पंजाब- 31 अगस्त से अब तक…
विववादों से है पुराना नाता
punjab new governer: रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब में अपने ढाई साल के कार्यकाल के दौरान पुरोहित बहुत से विवादों में बने रहें। मुख्यमंत्री भगवन्र मान से तो उनका छतीश का आंकड़ा रहा है. दोनों के बीच का मतभेद ऐसा रहा है कि अपने अधिकारों को लेकर उन्हें(दोनों को) सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक लांघनी पड़ी है.
मालुम हो कि पंजाब में विधानसभा सत्र बुलाने, विश्वविद्यालयों की नियुक्ति और विधानसभा में पारित बिलों को रोकने के मामले में राज्यसरकार और पुरोहित के बीच घना विवाद रहा है. जिससे विधानसभा सत्र की कार्यवाही भी रुकी रही. फिर जब सुप्रीम कोर्ट ने पूरोजित से यह कहा कि वह चुने हुए नुमाइंदे नहीं हैं, सर्कार चुने हुए नुमाइंदे ही चला सकते हैं. तब जाकर दोनों के बीच का विवाद शांत हुआ और विधानसभा का सत्र बुलाया गया.
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