Bangladesh Quota Protest:बांग्लादेश में लगा राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू , अब तक 105 की मौत

Bangladesh Quota Protest: बांग्लादेश सरकार ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगा दिया। अब पूरी स्थति को सेना नें अपने हाथो में ले लिया है. आपको बता दे कि , ऐसा कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि देशभर में जारी हिंसा को रोकने में पुलिस नाकाम रही है. आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी छात्र और पुलिस के बीच झड़प में अब तक 105 से ज्यादा लोंगो की मौत हो गई है. हालत पर काबू पाने के लिए अब सेना का सहारा लिया जा रहा है.

सार्वजनिक समारोह पर रोक

बांग्लादेश की राजधानी ढांका में सार्वजानिक समारोह पर बैन लगा दिया गया है. हिंसा को रोकने के लिए यह कठोर कदम उठाया गया है. हालांकि, रैलियों के आयोजन को विफल करने के मकसद से इंटरनेट भी बंद किया गया लेकिन 20 मिलियन की आबादी वाले इस विशाल महानगर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव का एक और दौर नहीं रुका.

बिगड़ते हालत

हर गुजरते दिन के साथ बांग्लादेश के हालत बिगड़ रहे हैं। यहाँ मेट्रो -रेल और बस सेवा पूरी तरह से ठप है. हिंसा और न भड़के इसके लिए इंटरनेट सेवा भी बंद है. कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सरकारी नेशनल टेलीविजन पर आकर राष्ट्र के नाम सन्देश जारी किया था. उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की थी. लेकिन उसके बाद भी हिंसा का दौर जारी रहा और जगह जगह आगजनी , तोड़फोड़ की घटना सामने आती रही.

भारतीय उच्चायोग ने जारी की एडवायजरी

बांग्लादेश की मौजूदा स्थति को देखकर भारतीय उच्चायोग नें एडवायजरी जारी की हैं। उच्चायोग ने भारतीय मूल के लोंगो और वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों से दूतावास के संपर्क में बने रहने की सलाह दी है. साथ ही उच्चायोग नें आपातकालीन नंबर भी जारी किया है. एडवायजरी में कहा गया है कि बांग्लादेश की यात्रा से बचे।

प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग

ढाका और अन्य शहरों में यूनिवर्सिटी छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए कुछ सरकारी नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे है.

मौजूदा आरक्षण में 56% नौकरियां आरक्षित है. इसमें से 30% 1971 के मुक्ति स्वतंत्रता संग्राम के वंशजों को आरक्षित है,10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों, 10 प्रतिशत महिलाओं, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों और एक प्रतिशत नौकरियां दिव्यांगों के लिए आरक्षित हैं. विरोध प्रदर्शन 30प्रतिशत आरक्षित नौकरियों के लिए हो रहा है , जो मुक्ति स्वतंत्रता संग्राम के वंशजों को मिल रहा है. आपको बता दे कि बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां निकलती हैं. जिसके लिए करीब 4 लाख से अधिक आवेदन आते है.

इस व्यवस्था को 2018 में निलंबित कर दिया गया था, जिससे उस समय इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रुक गए थे. लेकिन, पिछले महीने बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल करने का आदेश दिया. इससे नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।

पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर चार हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी. चीफ जस्टिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि वे विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर अपनी कक्षाओं में वापस लौट जाएं. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह चार सप्ताह के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा. इसके बावजूद, विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है. 

क्‍या है मुक्ति बाहिनी

मुक्ति वाहनी एक बंगाली शब्द है जिसका मतलब होता है स्वतंत्रता सेनानी। इसे बांग्लादेश फोर्सेस के नाम से भी जाना जाता है. पाकिस्तान इसे आतंकी संगठन मनाता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि 1971 में पूर्वी पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश के तौर पर सामने आया. इसके लिए एक और नाम मुक्ति फौज का भी प्रयोग होता है.  बांग्‍लादेश के संस्‍थापक मुजीब-उर-रहमान ने पूर्वी पाकिस्‍तान के लोगों से अपील की थी कि वो खुद को एक संपूर्ण संघर्ष के लिए तैयार करें. रहमान, बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना के पिता थे.आज शेख हसीना की बांग्लादेश में सरकार है.

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