Bangladesh Protest Video: बांग्लादेश में इन दिनों एक अजीब नाटक चल रहा है। अमेरिका और इजराइल के खिलाफ “प्रतिरोध” के नाम (Bangladesh Boycott US-Israel Products) पर लोग सड़कों पर उतर आए हैं, लेकिन उनका तरीका देखकर लगता है कि यह बहिष्कार कम और लूटपाट का बहाना ज्यादा है। गाजा में इजराइली हमलों के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है। भीड़ ने कोल्ड्रिंक्स से लदे ट्रकों को लूटा, शोरूम में तोड़फोड़ की, और जूतों की दुकानों को खाली कर दिया। मजेदार बात यह है कि ये “बहिष्कारी” लूटे हुए जूतों को पहनकर गर्व से घूम रहे हैं और कोल्ड्रिंक पीकर अपनी “क्रांति” का जश्न मना रहे हैं। इसे कहते हैं बहिष्कार या मुफ्त की शॉपिंग का सुनहरा मौका?
Bangladesh KFC Boycott Video
7 अप्रैल, 2025 को बांग्लादेश में शुरू हुए ये प्रदर्शन मूल रूप से फिलिस्तीन (Palestine Supporters In Bangladesh) के समर्थन में थे। ढाका, सिलहट, बोगरा और कॉक्स बाजार जैसे शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। नारे लगे, “इजराइल मुर्दाबाद, अमेरिका मुर्दाबाद,” लेकिन जल्द ही यह “आंदोलन” अपनी दिशा भूल गया। भीड़ ने बाटा के शोरूम (Bangladesh Bata Showroom Video), केएफसी (Bangladesh Boycott KFC Video), डोमिनोज़ पिज़्ज़ा (Bangladesh Domino’s Video) और पिज़्ज़ा हट जैसे प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिन्हें वे “अमेरिकी” या “इजराइली” मानते हैं। सिलहट में डोमिनोज़ के एक आउटलेट को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया, वहीं बोगरा में बाटा के शोरूम से जूते लूटे गए। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, “लोग जूतों के डिब्बे लेकर भाग रहे थे, जैसे कोई मेला लगा हो।” अब सवाल यह है कि क्या इजराइल और अमेरिका को सबक सिखाने के लिए अपने ही देश की संपत्ति को नष्ट करना जरूरी था?
Bangladesh Boycott Bata Showroom Video
इस “क्रांतिकारी” भीड़ का असली चेहरा तब सामने आया जब कई प्रदर्शनकारियों को ISIS (Bangladeshi Protesters With ISIS Posters)और आतंकी ओसामा बिन लादेन (Bangladeshi Protesters With Osama Bin Laden Photo) की तस्वीरें लिए देखा गया। ढाका की सड़कों पर कुछ लोग “लादेन जिंदाबाद” के नारे लगाते दिखे। लगता है, बांग्लादेशी मुसलमानों ने सोच लिया है कि अमेरिका और इजराइल से बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका आतंकवाद की तारीफ करना और अपने ही देश को बर्बाद करना है। यहाँ तक कि कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इसे “जिहाद” का नाम दे दिया, लेकिन जूतों और कोल्ड्रिंक की लूट को जिहाद कहना शायद दुनिया के लिए एक नया मजाक है।
बांग्लादेश में यह पहली बार नहीं है जब प्रदर्शन हिंसक हुए हों। पिछले साल भी छात्र आंदोलनों ने सरकार को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी। लेकिन इस बार का खेल कुछ अलग है। यहाँ न तो कोई स्पष्ट मांग है, न ही कोई ठोस रणनीति। बस एक अंधी भीड़ है, जो गुस्से में कुछ भी तोड़-फोड़ रही है। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, “मेरी दुकान तोड़ दी, माल लूट लिया, और फिर कहते हैं कि यह इजराइल के खिलाफ है। भाई, मेरे पास तो न इजराइली जूते थे, न अमेरिकी पिज़्ज़ा!”
इन प्रदर्शनों की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जो लोग बहिष्कार का नारा दे रहे हैं, वे खुद लूटे हुए सामान का इस्तेमाल कर रहे हैं। बाटा के जूते पहनकर, केएफसी का चिकन खाकर और कोल्ड्रिंक पीकर ये लोग किसे मूर्ख बना रहे हैं? खुद को या दुनिया को? एक सोशल मीडिया यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, “बांग्लादेश में बहिष्कार का मतलब है—पहले लूटो, फिर इस्तेमाल करो, और फिर कहो कि हमने दुश्मन को सबक सिखा दिया।” सचमुच, इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?
इस हिंसा का असर बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। विदेशी कंपनियाँ पहले ही यहाँ निवेश करने से हिचक रही हैं, और अब यह हालत है कि स्थानीय कारोबार भी खतरे में पड़ गए हैं। एक व्यापारी ने बताया, “हमारा रोजगार छिन रहा है, लेकिन इन लोगों को सिर्फ तोड़फोड़ से मतलब है।” बांग्लादेश सरकार ने भी इस पर सख्ती दिखाने की बात कही है, लेकिन हालात काबू में आते नहीं दिख रहे। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने कहा, “हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है,” लेकिन उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है।
इस पूरे घटनाक्रम में एक और चौंकाने वाला पहलू है—कट्टरपंथ का बढ़ता प्रभाव। ISIS की तस्वीरें और ओसामा बिन लादेन के नारे यह साफ करते हैं कि यह प्रदर्शन सिर्फ गाजा के समर्थन में नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ और भी है। क्या बांग्लादेश धीरे-धीरे कट्टरपंथ की आग में झुलसने जा रहा है? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है जो इस देश की बेहतरी चाहता है। लेकिन जब तक लोग अपने ही देश को नष्ट करने में लगे रहेंगे, जवाब मिलना मुश्किल है।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि बांग्लादेशी मुसलमानों ने इस बार बेवकूफी की सारी हदें पार कर दी हैं। अमेरिका और इजराइल को सबक सिखाने के चक्कर में वे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। लूटपाट को बहिष्कार कहना और आतंकवादियों को हीरो मानना—यह सब देखकर लगता है कि अगर दुनिया में मूर्खता का कोई अवॉर्ड होता, तो बांग्लादेश इसे जरूर जीत लेता। शायद अब वक्त आ गया है कि ये लोग अपने “क्रांतिकारी” जोश को थोड़ा ठंडा करें और सोचें कि असली दुश्मन बाहर है या भीतर।