Bangladesh Chinmaya Bail : बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका चट्टोग्राम की अदालत ने खारिज कर दी। कोर्ट ने चिन्मय दास की याचिका पर सुनावई कड़ी सुरक्षा के बीच की। चट्टोग्राम मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश एमडी सैफुल इस्लाम ने तीस मिनट तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। जिसके बाद जज ने ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
चिन्मय कृष्ण दास को नहीं मिली जमानत | Bangladesh
गुरुवार को मेट्रोपॉलिटन लोक अभियोजक एडवोकेट मोफिजुल हक भुइयां ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिक खारिज होने की जानकारी दी। चिन्मय दास को जमानत नहीं मिलने से भारत में हिंदु समाज के लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है। फिलहाल, चिन्मय नवंबर से जेल में बंद हैं।
वकील ने बताया – चिन्मय को नहीं लाया गया कोर्ट
बांग्लादेशी मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, हिंदू संत चिन्मय कृष्ण ब्रह्मचारी के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्जी कोर्ट में चिन्मय दास की ओर से पेश हुए और उन्होंने जमानत याचिका पर दलीलें दी। जमानत याचिका खारिज होने की पुष्टि करते हुए वकील भट्टाचार्जी ने बताया कि सुरक्षा कारणों के कारण चिन्मय कृष्ण दास को हाईकोर्ट नहीं लाया गया था। अब वह हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
25 नवंबर से जेल में बंद हैं चिन्मय | Bangladesh Chinmaya Bail
गौरतलब है कि 25 नवंबर को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को शाम 4:30 बजे गिरफ्तार किया था। 38 वर्षीय हिंदू संत चिन्मय को हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया था। तब से वह जेल में बंद हैं। जिसके बाद से ही शाहबाग और चटगांव में हिंदू समाज के लोगों ने प्रदर्शन किया।
चिन्मय दास पर है देशद्रोह का आरोप | Chinmaya Krishna Das
बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह के गंभीर आरोप लगे हैं। जिसके चलते उनकी गिरफ्तारी की गई है। दरअसल, चिन्मय मूल रूप से चटगांव के सतकनिया उपजिला के निवासी हैं। चिन्मय 2007 से चटगांव के हथाजारी स्थित पुंडरीक धाम के प्रमुख रहें हैं। चिन्मय दास सनातन जागरण मंच के संस्थापक हैं। लेकिन उनपर प्रशासन की तलवार तब लटकी जब उन्होंने बांग्लादेश के एक मंच से हिंदुओं के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद ही उनपर देशद्रोही होने का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया।
इस्कॉन ने चिन्मय का किया समर्थन
चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद इस्कॉन मंदिर उनके समर्थन में आगे आया। इस्कॉन ने चिन्मय पर लग रहें आरोपों को निराधार बताते हुए तत्काल रिहाई की मांग की है। इस्कॉन संगठन ने शांतिपूर्ण सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि संगठन का आतंकवाद से किसी भी तरह का संबंध है। यह बेबुनियाद आरोप लगाना अपमानजनक है कि इस्कॉन का दुनिया में कहीं भी आतंकवाद से कोई लेना-देना है।
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