बांग्लादेश में हालात इतने बेकाबू हैं कि शेख हसीना सरकार को सड़कों पर सेना उतारनी पड़ी है. अब तक प्रदर्शनकारी छात्र और पुलिस के बीच भिड़ंत में 133 लोगों की मौत हो गयी है और 3000 हजार से अधिक लोग घायल हो गए है.
बांग्लादेश की शीर्ष अदालत आज उस विवादास्पद कोटा सिस्टम पर अपना फैसला सुना सकती है, जिसने विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा देशव्यापी आंदोलन को जन्म दिया है. लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है. जब से सेना ने अपने हाथों में कमान ले ली है तब से झड़प और बढ़ गयी है. सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला सुनाने वाली है कि सिविल सर्विस जॉब कोटा को खत्म किया जाए या नहीं।
जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की तरफ से की गई टिप्पणी से छात्रों में गुस्सा भड़क गया। दरअसल एक सवाल के जवाब में पीएम शेख हसीना ने कहा कि नौकरियों की बात आती है तो क्या रजाकार के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। पीएम शेख हसीना की इस टिप्पणी के बाद से नाराज छात्रों का प्रदर्शन और उग्र हो गया और वे ‘मैं कौन, तुम कौन, रजाकार, रजाकार’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। जिसके बाद से उग्र हुए प्रदर्शनकारियों ने कई सरकारी संस्थानों में आग लगा दी गई।
दरअसल 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सेनानियों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान है। इस आरक्षण को लेकर छात्रों का मानना है कि ये भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इससे ज्यादा वेतन वाली सरकारी नौकरियों में भर्ती सिर्फ बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के सगे-संबंधियों को लाभ होता है।
कौन है रजाकार ?
बांग्लादेश-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान में रजाकार नाम की एक क्रूर सेना पाकिस्तान की तरफ से गठित की गई थी। दरअसल रजाकार शब्द का अर्थ हिंदी में सहायक होता है, और पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बंटवारे के खिलाफ कई पाकिस्तानी समर्थकों ने इस तरह की सेना बनाई थी।
जिन्होंने बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान बांग्लादेशियों के खिलाफ जमकर अत्याचार किया था। इस वजह से बांग्लादेश में रजाकार शब्द एक बेहद ही अपमानजनक शब्द है, जो देशद्रोही और हिंसक प्रवृत्ति के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान रजाकारों ने ही पाकिस्तानी सेना के लिए जासूस का काम किया और बांग्लादेश के लोगों के मन में भय का माहौल पैदा किया था।
बिगड़ते हालत
रजाकार शब्द की एंट्री के बाद से बिगड़े हालात की वजह देश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाया गया है। वहीं इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत और करीब तीन हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। हिंसा की वजह से शिक्षण संस्थान, रेलवे, इंटरनेट सेवाएं रोक दी गई है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की तरफ से छात्रों के इस विरोध-प्रदर्शन और हिंसा पर लगाम लगाने के लिए सेना को भी तैनात किया गया है। इतना ही नहीं किसी भी प्रदर्शनकारी को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी किए गए हैं।