Baba Bageshwar Dham Dhirendra Shastri | Congress | Mukesh Nayak | Madhya Pradesh | कांग्रेस एक विचारधारा या विचारों की खिचड़ी? धर्मनिरपेक्षता का झंडा उठाने वाली कांग्रेस के नेता जब सनातन और हिंदू राष्ट्र की बात करने वालों के सामने माथा टेकते दिखें, तो ये सवाल उठना लाज़मी है। और जब इसी पार्टी के दूसरे नेता उसी संत पर “उचक्का” का तमगा लगा दें, तो यह सवाल और भी तीखा हो जाता है! कांग्रेस, आज अपने ही विचारों के भंवर में फंसी हुई है। जिसके नेता एक-दूसरे के बयानों को काटते रहते हैं, और सबसे बड़ा सवाल ये क्या कांग्रेस का ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ अब उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन गया है?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेताओं की बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री को लेकर जारी बयानबाज़ी, कांग्रेस के भीतर गहरे वैचारिक टकराव को उजागर कर रही है। एक तरफ कमलनाथ और जयवर्धन सिंह सनातनी झंडा बुलंद कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ मुकेश नायक जैसे नेता धार्मिक व्यक्तित्वों पर खुला हमला बोल रहे हैं। कभी नेहरू और इंदिरा गांधी के दौर में कांग्रेस का चेहरा साफ़ था, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद। लेकिन आज हालात क्या हैं? कांग्रेस के एक धड़े को लगता है कि भाजपा के हिंदुत्व के मुकाबले सॉफ्ट हिंदुत्व ही रास्ता है, तो दूसरा धड़ा इसे आत्मघाती मानता है।
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कमलनाथ बागेश्वर धाम की आरती उतारते हैं, उनके बेटे नकुलनाथ भी साथ खड़े होते हैं। जयवर्धन सिंह तो यहां तक कह देते हैं कि भारत स्वाभाविक रूप से हिंदू राष्ट्र है! यह वही कांग्रेस है, जो भाजपा को ‘हिंदू राष्ट्र’ के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करती रही है! मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रमुख मुकेश नायक ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर निशाना साधा। उन्होंने शास्त्री को ‘उचक्का’ तक कह डाला। मुकेश नायक, बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को खुली चुनौती दे देते हैं कि वह उनसे ‘शास्त्रार्थ’ करें, उन्होंने कहा कि अगर मैं शास्त्रार्थ में हार जाता हूँ तो राजनीति छोड़ दूंगा। लेकिन यहां सवाल यह है कि क्या यह बयान कांग्रेस की वैचारिक एकता को दिखाता है? या फिर यह सिर्फ उस अंतर्द्वंद का नतीजा है, जिसमें कांग्रेस फंसी हुई है?