Azam Khan on Akhilesh Yadav : समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद आजम खान लगभग 23 महीने जेल में रहने के बाद मंगलवार को रिहा हो गए हैं। इस मौके पर उनके समर्थक काफ़ी खुश दिखाई दिए। लेकिन आज़म खान की रिहाई से समाजवादी पार्टी में टेंशन बढ़ गई है। आज़म खान के जेल से बाहर आते ही यूपी की सियासत में हलचल मच गई। चर्चा है कि अब आज़म खान सपा का दामन छोड़ कर बसपा में शामिल होंगे। लेकिन जब आज़म खान का स्वागत करने समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं में से एक शिवपाल यादव और सांसद रुचिवीरा पहुंचे तो चर्चाओं की दिशा ही बदल गई।
राजनीति में दूसरा विकल्प तलाश रहें आज़म खान
आज जेल से बाहर आने के बाद आज़म खान के एक अलग ही अंदाज़ में दिखे। वो चुपचाप गाड़ी में बैठकर कर घर की ओर रवाना हो गए। इस दौरान उन्होंने किसी से बात तक नहीं की। लेकिन, आजम खान ने जो बातें कहीं हैं, उससे पता चलता है कि वे समाजवादी पार्टी में रहेंगे या नहीं, यह साफ नहीं है। पिछले दिनों से ऐसी खबरें हैं कि वे बसपा में जाने का मन बना रहे हैं। उनकी पत्नी तजीन फातमा ने भी मायावती से मुलाकात की है। अब, जो बातें उन्होंने कही हैं, उससे यह संकेत मिल रहे हैं कि उनका रिश्ता समाजवादी पार्टी के साथ अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा।
रिहाई के बाद आज़म खान ने क्या कहा?
दरअसल, रिहाई के तुरंत बाद, आज़म खान ने कहा कि उन्होंने जेल में किसी से मुलाकात नहीं की, और कोई फोन भी नहीं किया। इससे साफ होता है कि जेल में वे पूरी तरह अकेले थे। उनकी पत्नी ने भी पहले ही कहा था कि पार्टी ने उनका समर्थन नहीं किया। अब, उनके बयानों से यह भी पता चलता है कि वे राजनीति की दूसरी राह देख रहे हैं।
सपा के मजबूत स्तंभ थे आज़म खान
आजम खान का नाम उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधि और सामाजिक न्याय की लड़ाई से जुड़ा है। वे 1951 में रामपुर के स्वरूप नगर में जन्मे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत मुलायम सिंह यादव के साथ की। वे रामपुर से विधायक और सांसद भी रहे। मुलायम सरकार में मंत्री रहे, और अखिलेश यादव की सरकार में भी महत्वपूर्ण पद संभाला। लेकिन, उनकी भूमिका हमेशा विवादों में रही। वे गरीब मुस्लिमों के नेता के रूप में जाने जाते थे, पर कई आरोपों ने उनके कद को कमजोर किया।
सपा ने कहा – ‘ये राजनीतिक साजिश है’
2017 में, जब योगी सरकार बनी, तो उन पर कई मामले दर्ज किए गए। उनके खिलाफ दर्जनों एफआईआर हुईं। कई मामलों में उन्हें दोषी भी ठहराया गया। इन सबके बीच पार्टी ने कहा कि ये सब राजनीतिक साजिश है और सरकार ने कहा कि कानून का राज कायम किया जा रहा है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया है। आज 23 सितंबर को वह जेल से बाहर आए।
आज़म खान की रिहाई न्याय की जीत – अखिलेश यादव
इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खान की रिहाई न्याय की जीत है। वे कह रहे हैं कि पार्टी की सरकार बनने पर वे सारे फर्जी मुकदमों को वापस लेंगे। लेकिन, पार्टी का यह समर्थन देर से आया। जेल में रहते समय, पार्टी ने चुप्पी साधी, जिससे आजम को अलग-थलग महसूस हुआ। शिवपाल यादव ने कहा कि आजम को झूठे मुकदमों में फंसाया गया है, और पार्टी उनका साथ देगी। लेकिन, बयानों से ऐसा लगता है कि आजम का मन पार्टी से हट रहा है। वे नई राह देख रहे हैं।
क्या वे मायावती के पास जाएंगे?
मायावती ने कहा है कि बसपा आजम खान का स्वागत करेगी। पहले खबरें आई थीं कि प्रियंका गांधी भी आजम को समर्थन देना चाहती हैं। उनके करीबी नेता का कहना है कि अब आजम समाजवादी पार्टी में नहीं रहेंगे। अगर ऐसा हुआ, तो 2027 के चुनाव में पार्टी कमजोर हो सकती है। आजम के बयानों से साफ है कि उनका भविष्य समाजवादी पार्टी में तय नहीं है। बसपा में जाने की अटकलें मजबूत हैं। मायावती पहले ही मुस्लिम और दलित गठबंधन की बात कर चुकी हैं। अगर वे बसपा में शामिल हो गए, तो इस क्षेत्र में चुनावी लड़ाई और भी तेज हो जाएगी। उनकी पत्नी की मायावती से मुलाकात ने इन अटकलों को बढ़ाया है।
अगर आजम बसपा में जाते हैं, तो उत्तर प्रदेश में पार्टी-सरकार की लड़ाई फिर से तेज हो सकती है। बीजेपी कह रही है कि उसने आजम की रिहाई का कोई फायदा नहीं किया है। असली वजह राजनीति में किसी की भूमिका को बदलना हो सकती है।
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