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Azam Khan News : आज़म खान ने कहा- ‘यूपी में 50 साल में कितने सीएम आये और गए होंगे’

Azam Khan News : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व रामपुर के पूर्व विधायक आजम खान की रिहाई के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। आज़म खान ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाक़ात से पहले उन्हें लेकर भी अजीब बयान दिया है, जिससे उनके सपा को छोड़ने की आशंका बनी हुई है। इस बीच आज़म खान ने मीडिया को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए। 

आज़म खान ने लिया सीएम योगी का नाम 

22 महीने जेल में रहने के बाद आज़म खान बाहर आए तो मीडिया ने उनसे खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने कई मुद्दों पर बात की। आज़म खान ने बातचीत में सीएम योगी आदित्यनाथ का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल का अभी 8 साल का समय पूरा हुआ है।

5-6 साल के तो जेल में बिता दिए – आज़म खान 

राजनीति के कार्यकाल को देखने के सवाल के जवाब में आजम खान ने कहा, “पाँच-छह साल तो हम जेल में ही बिताए, बाकी के दो साल तो हम फरारी में गुजार दिए। अब पता नहीं चल पाया कि राजनीति में हो क्या रहा है। बस यह पता चला कि हमारे घर के पास पुलिस खड़ी है, नोटिस लगाए जा रहे हैं, ढोल बज रहा है।”

मेरे साथ तो बहुत से मुख्यमंत्री रहे- आज़म खान 

उनसे पूछा गया कि सरकार को बने अभी छह महीने से ज्यादा समय हो गया है। आप उस समय का जिक्र करें, जब तिलक हॉल के पास वाली गैलरी से आप लोग अंदर जाते थे, विधानसभा में जहां से आप लोग फोटो लेते थे। जब आप सीएम का हाथ पकड़ते थे, तो उस समय का अनुभव कैसा रहा? इस पर आजम खान ने कहा, “उस समय का लिहाज सबको था। मुझे तो पता है, आखिर मुख्यमंत्री ही होता है, चाहे कोई भी हो। मेरे साथ तो बहुत से सीएम रहे हैं।”

मुझे बहुत याद आती है – आजम खान 

उन्होंने कहा, “50 साल में कितने मुख्यमंत्री आए होंगे। जो प्रधानमंत्री बने, उनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह भी थे। एक थे जो बहुत अच्छे जूते पहनते थे और अच्छा सूट भी। हाउस में तो कहा भी था कि हम तो आपसे डिजाइन लेते हैं। यूपी विधानसभा में कल्याण सिंह भी थे। वहां बहुत कड़वाहट रहती थी। जब मैं बोलता था, तो इतना जोर से बोलता था कि सुई गिर जाए, तो उसकी आवाज भी आ जाती थी। लोग इंतजार करते थे कि मैं कब बोलूंगा। मायावती जी भी थीं। मुझे बहुत याद आती है। जब बाहर निकलते थे, तो ये लोग हमारे हाथ में हाथ डाल देते थे। हम अपनी जेब में किसी काम की चिट्ठी रखते थे और दे देते थे। उनका काम हो जाता था। जो भी बातें होती थीं, वो अंदर ही रहती थीं।”

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