अयोध्या। भगवान राम की जन्ममूमि अयोध्या धाम एक बार फिर से सज गई है। 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वजा फहराया जा रहा है। पीएम मोदी मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर पहली बार ध्वजा फहराएंगे। इस आयोजन को उत्सव का रूप दिया गया है, तो वही अयोध्या नगरी हाई सिक्योरिटी में तब्दील हो गई है।
अयोध्या में 100 दानदाता कार्यक्रम में आमत्रित
सीएम योगी सोमवार को समारोह की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचेंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कार्यक्रम में शामिल हो रहे है। समारोह में उन 100 दानदाताओं को आमंत्रित किया गया है, जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण में 2 करोड़ से ज्यादा दान दिया था।

तैनात किए गए कमांडो, हेलीकाप्टर से निगरानी
अयोध्या के राम लला मंदिर समेत पूरे क्षेत्र की हेलिकॉप्टर से निगरानी की जा रही है। एनएसजी कमांडो ने मंदिर को घेर रखा है। एसपीजी, सीआरपीएफ और पीएसी जवान भी तैनात किए गए है।

ऐसा है धर्मध्वजा
राम मंदिर के शिखर पर जिस केसरिया रंग की धर्म ध्वजा को फहराया जाएगा उसमें ॐ, सूर्यदेव और कोविदार वृक्ष का चित्र अंकित है. इन तीनों ही चिन्हों का बड़ा धार्मिक महत्व है।
सूर्यवंशी थे भगवान राम
राम मंदिर के ध्वज पर बने यदि प्रत्यक्ष देवता सूर्य की बात करें तो इन्हें स्वयं नारायण माना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी थे. सूर्य देवता के पुत्र वैवस्वत मनु से यह सूर्यवंश प्रारंभ हुआ था. मान्यता है कि अयोध्या में जब रामलला का जन्म हुआ तो सूर्य का रथ रुक गया था। रामायण काल में भगवान श्री राम के द्वारा भगवान सूर्य की साधना करने का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि भगवान राम ने रावण पर विजय पाने से पहले महर्षि अगस्त्य की सलाह पर सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना किए थें।
ॐ से होता है ईश्वर से जुड़ाव
सनातन शब्द में ॐ को अत्यंत ही शुभ और पवित्र शब्द माना गया है. यह हिंदू धर्म में उन शुभ प्रतीकों में से एक है, जिसके प्रभाव से स्थान विशेष पर सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. सनातन परंपरा में प्रत्येक देवी-देवता के मंत्र के पहले इसका उच्चारण किया जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार ॐ सिर्फ शब्द नहीं बल्कि इसमें पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान समाहित है।
अयोध्या का राजचिन्ह है कोविदार वृक्ष
राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर बने कोविदार वृक्ष का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है. यह पावन वृक्ष त्रेतायुग में अयोध्या का राजवृक्ष था, जिसे उस समय ध्वज पर अंकित किया जाता था।
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