Awareness, Prevention Measures & Right Time to Begin – आज की दुनिया में बच्चियों की सुरक्षा एक संवेदनशील और गंभीर विषय है। हर साल हजारों बच्चियां यौन शोषण (Sexual Abuse) का शिकार बनती हैं – और यह अपराध केवल सुनसान जगहों या अजनबियों द्वारा ही नहीं, बल्कि कई बार अपनों के बीच भी होता है। यही वजह है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही ‘गुड टच-बैड टच’, आत्म-सुरक्षा और सीमाओं की समझ देना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम जानेंगे कि बच्चियों को यौन शोषण से कैसे बचाया जा सकता है, इसके लिए कौन-कौन से जागरूकता उपाय अपनाने चाहिए और यह प्रक्रिया कितनी कम उम्र से शुरू करनी चाहिए।
यौन शोषण को समझें
Understand What is Sexual Abuse
- जब कोई व्यक्ति बच्चे को उसकी इच्छा के विरुद्ध अनुचित ढंग से छूता या व्यवहार करता है।
- यह केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक शोषण भी हो सकता है।
- शोषण करने वाला व्यक्ति परिचित, रिश्तेदार या स्कूल-कॉलोनी से जुड़ा कोई भी हो सकता है।
जागरूकता की शुरुआत कब से करें ?
- उम्र 3-5 साल से ही बच्चे को “गुड टच-बैड टच” की सीख देना शुरू करें।
- स्कूल जाने वाले बच्चों को आत्म-सुरक्षा, निजी अंगों की पहचान और अलर्टनेस सिखाना जरूरी है।
- 10 साल की उम्र तक बच्चा आत्मविश्वास से “ना” कहना और मदद मांगना सीख सकता है।
बच्चियों को सिखाएं ये 5 जरूरी बातें जैसे –
निजी अंगों की पहचान और सुरक्षा – बच्चों को बताएं कि शरीर के कौन से अंग ‘प्राइवेट पार्ट्स’ हैं जिन्हें कोई भी नहीं छू सकता।“Underwear Rule” का पालन सिखाएं।
गुड टच और बैड टच में फर्क – सरल भाषा में समझाएं कि कौन सा स्पर्श उन्हें अच्छा लगता है और कौन सा अजीब या डरावना।बैड टच की स्थिति में जोर से “ना” बोलना और वहां से भागना सिखाएं।
राज़ नहीं रखने की आदत – उन्हें सिखाएं कि अगर कोई कहे “ये सीक्रेट है, किसी को मत बताना”, तो तुरंत मम्मी-पापा या भरोसेमंद बड़े से बताएं।
हेल्प लेना कोई शर्म की बात नहीं – बच्चियों को भरोसा दें कि वे आपसे कुछ भी कह सकती हैं।उन पर गुस्सा नहीं करें, बल्कि शांत होकर सुनें और साथ दें।
ऑनलाइन सेफ्टी – इंटरनेट और मोबाइल की बढ़ती पहुंच के साथ बच्चियों को ऑनलाइन फ्रेंडशिप, चैटिंग और फेक आईडी से सावधान करना जरूरी है।
माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका
- खुला संवाद बनाएं – बच्चियों से खुलकर बात करें। डराएं नहीं।
- स्कूलों में “पॉक्सो एक्ट” और सुरक्षा सत्र – नियमित रूप से हों इस बात की जानकारी अभिभावक जरूर रखें।
- पर्यवेक्षण करें – बच्चियों के आसपास के लोगों और गतिविधियों पर नजर रखें।
- पर्सनल सेफ्टी एजुकेशन – को स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
कानूनी सुरक्षा और रिपोर्टिंग के अधिकार
POCSO Act Protection of Children from Sexual Offences Act के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का यौन उत्पीड़न अपराध है। साथ ही चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 – पर शिकायत की जा सकती है और FIR दर्ज करवाने में संकोच न करें।
बच्चियों में आत्मविश्वास और आत्मरक्षा
सेल्फ डिफेंस क्लासेस – बेटियों को जरूर ज्वाइन कराएं, कराटे, जूडो, मार्शल आर्ट आदि। आत्मबल बढ़ाने के लिए उन्हें मोटिवेशनल सेशंस, पॉजिटिव बॉडी इमेज और बोलने की हिम्मत देना जरूरी है।
विशेष – Conclusion
बच्चियों की सुरक्षा केवल एक अभियान नहीं, बल्कि निरंतर ध्यान देने वाली जिम्मेदारी है – हर माता-पिता, शिक्षक, समाज और सरकार की। बच्चियों को यौन शोषण से बचाने के लिए सही उम्र में शिक्षा, सही भाषा में समझ और सही समय पर हस्तक्षेप जरूरी है। याद रखें – एक जागरूक बच्चा ही सुरक्षित बच्चा बन सकता है।