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अवध ओझा के साथ AAP ने खेल कर दिया!

Avadh Ojha Vidhan sabha Seat Name: फरवरी में होने जा रहे दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी ने रफ़्तार पकड़ ली है. अभी चुनाव की तरीकों का एलान नहीं हुआ है फिर भी आम आदमी पार्टी दिल्ली की सीटों में अपने कैंडिडेट्स (Delhi Election AAP Candidate List) के नामों का एलान करती जा रही है. आम आदमी पार्टी ने 21 नवंबर को 11 उम्मीदवारों के नाम अनाउंस (Delhi Election AAP First Candidate List) किए थे जिसमे भाजपा और कांग्रेस से आए 6 लोगों को टिकट दिया था अब पार्टी ने दूसरी लिस्ट (Delhi Election AAP Second Candidate List) में जारी कर दी है जिसमे 20 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है। इस लिस्ट के आने के बाद पार्टी के कार्यकर्ता भी हैरान रह गए क्योंकी हाल ही में पार्टी में शामिल हुए अवध ओझा (Avadh Ojha Manish Sisodiya Seat) से दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया (Manish Sisodiya) को रिप्लेस कर दिया गया, मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज (AvadhOjha Patparganj) से अवध ओझा को टिकिट मिल गई है.

मनीष सिसोदिया की विधानसभा सीट

Manish Sisodia Constituency Name: UPSC पढ़ाने वाले कथित शिक्षक अवध ओझा (Avadh Ojha Constituency Name) ने 2 दिसंबर के दिन ही आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी, इससे पहले वे दिल्ली सरकार को कोसने का ही काम करते थे. लोगों का मानना है एक हफ्ते में अवध ओझा को इतनी पॉपुलरिटी मिल गई कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें मनीष सिसोदिया वाली विधानसभा सीट देदी। वहीं अब मनीष सिसोदिया जंगपुरा (Manish Sisodia Jangpura) से चुनाव लड़ेंगे।

अवध ओझा को पटपड़गंज का टिकट क्यों मिला

Why did Avadh Ojha get Patparganj ticket: देखा जाए तो आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया की जगह अवध ओझा को पटपड़गंज का टिकट इसी लिए दिया क्योंकी वे मनीष सिसोदिया को सेफ साइड रखना चाहतीं है. मनीष सिसोदिया को जंगपुरा से टिकट दिया गया क्योंकी यहां पिछले दो चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. जंगपुरा से आम आदमी पार्टी ने प्रवीण कुमार ने पिछली बार 51 .12 फीसदी वोट हासिल किए थे और उससे पहले 48.11 % . ये पार्टी के लिए सेफ सीट है इसी लिए प्रवीण कुमार का पत्ता काटकर मनीष सिसोदिया को जंगपुरा से टिकट दिया गया. जेल जाने के बाद सिसोदिया की क्रेडिबिलिटी काफी प्रभाव पड़ा है.

मनीष सिसोदिया को जिताने का प्लान

विधायक और मंत्री बनने की चाह रखने वाले अवध ओझा के साथ एक तरह से आम आदमी पार्टी ने खेला कर दिया है. पटपड़गंज सीट पर भले ही मनीष सिसोदिया को पिछले चुनाव में जीत मिली थी मगर वो हारते – हारते बचे थे. आम आदमी पार्टी का बिग फेस होने के बावजूद, बीजेपी के रविंदर सिंह नेगी उनसे सिर्फ 3200 वोटों से पीछे रह गए थे. इस बार अगर सिसोदिया इसी सीट से चुनाव लड़ते तो शायद बीजेपी उन्हें पछाड़ देते इसी लिए अवध ओझा को बलि का बकरा बना दिया गया। हो ये भी सकता है कि अवध ओझा अपनी पॉपुलरिटी के दम पर इस सीट को मजबूत कर दें. मगर वर्तमान की स्थिति यही कहती है कि नए आम आदमी पार्टी के लिए एक कमजोर सीट है, क्योंकी 2015 में इसी सीट से मनीष सिसोदिया की जीत का मार्जिन 28 हजार से ज्यादा था. राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने पहले ही ये दावा कर दिया था कि मनीष सिसोदिया इस बार अपनी पारम्परिक सीट छोड़कर किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे और ये सच भी साबित हुई.

दिल्ली चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की रणनीति

देखा जाए तो आम आदमी पार्टी इस बार के चुनाव में अपने जिताऊ विधायकों को ड्राप कर रही है और पैराशूट लैंडर्स को तवज्जो दे रही है. इसे एंटी इंकम्बेंसी का खौफ कहें या नई रणनीति। पार्टी ने अपनी दूसरी लिस्ट में 6 दिसंबर को ही आम आदमी पार्टी में शामिल हुए पूर्व बीजेपी नेता सुरेंद्र पाल सिंह बिट्‌टू को भी तिमारपुर से टिकट दे दिया। बिट्टू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने से कार्यकर्त्ता पहले ही नाराज हो गए थे लेकिन जब उन्हें टिकट मिल गया तो तिमारपुर में मंडल और बूथ स्तर के 67 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा थमा दिया। इस नाराजगी की वजह तिमारपुर से विधायक दिलीप पण्डे का टिकट काटना है, जिन्होंने पिछले चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी. दिल्ली में इस समय आम आदमी पार्टी मुसीबतों का सामना कर रही है, दिल्ली शराब घोटाला में पार्टी के 4 बड़े नेताओं के नाम सामने आने के बाद से यहां एंटी इंकम्बेंसी बनी हुई है. वहीं बागी नेताओं को टिकट देकर पार्टी अपने ही लोगों को नाराज कर रही है.

खैर आम आदमी पार्टी इस बार 20 से 30 मौजूदा विधायकों को साइड लाइन करने वाली है. केजरीवल के लिए भी एक सुरक्षित सीट खोजी जा रही है इसी लिए अबतक उनकी सीट का अनाउंसमेंट नहीं किया गया है. पार्टी ने दिल्ली की 70 सीटों में अबतक 21 नामों का एलान कर दिया है. लोगों का मानना है कि चुनाव शुरू होने से 2 महीने पहले से ही टिकट वितरण करके आम आदमी पार्टी बाकी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को फ्रंट में आने से रोक सकती है. हालांकि ये रणनीति कितना काम आएगी ये चुनाव के बाद पता ही चल जाएगा। बता दें कि अगले साल फरवरी के दूसरे सप्ताह में दिल्ली विधानसभा चुनाव हो सकते हैं क्योंकी मालीवाल सरकार का कार्यकाल 23 फरवरी को खत्म होगा। वैसे आपको क्या लगता है, चुनाव से 2 महीने पहले टिकट बांटेंगे की ये स्ट्रैटजी आम आदमी पार्टी काम आएगी या काम तमाम कर देगी, अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं

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