Site icon SHABD SANCHI

आत्ममंथन: रोज़ी रोटी जब परदेस बुलाए

Atmamanthan In Hindi | न्याज़िया बेगम: आज की इस दौड़ती-भागती ज़िंदगी में रोज़ी रोटी की तलाश में, बहोत कुछ पीछे छूट जाता है और जब ये नसीब भी होती है, तो ज़्यादातर अपने देस में नसीब नहीं होती। जिससे घर परिवार तो छूटता ही है, नई ज़िम्मेदारियां भी एक चुनौती बन जाती हैं। शुरुआत में तो खर्चा निकालना भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि बाहर रहने के हिसाब से अक्सर आपकी कमाई कम होती है। और अगर आप फ्रेशर हैं तो ये चुनौतियां और भी बढ़ जाती हैं, दुनिया की भीड़ में हम शामिल तो हो जाते हैं, पर कहीं पिस के रह जाते हैं हमारे अरमान, हमारी आंखों से सुकून की नींद गायब हो जाती है, जिनमें सुहाने ख्वाब बसते थे कभी, बस ये धुन है कि किसी भी हाल में पैसे कमाना है क्योंकि हमारा वक़्त का तकाज़ा ही यही है।

धैर्य न खोएँ, सही फैसला लें

ये मजबूरी बहोत से युवाओं के सामने आती है और ख़ुद के बारे में सही फैसला लेने की सलाहियत के बावजूद कुछ ऐसे फैसले हमें लेने पड़ते हैं जो समय की मांग होते हैं तो क्या करें किस रोज़ी को सही समझें उस वक़्त भी जब हमारे परिवार को हमारी और हमारी कमाई की बहोत ज़रूरत हो।

क्या है सबसे अहम

शायद पहले ये समझना बहोत ज़रूरी है कि हमारे परिवार को उस वक़्त हमारी ज़्यादा ज़रूरत है, या पैसों की अगर पैसों की ज़्यादा ज़रूरत है, तो आप जा सकते हैं, घर परिवार छोड़कर पैसे कमाने के लिए। पर एक वक़्त के बाद हमेशा अपने परिवार के साथ रहने की कोशिश करें। क्योंकि उनके लिए आप ही जीने का सहारा हैं, और आपका भी इस भरी दुनिया में मां बाप से सगा कोई नहीं हो सकता। फिर अगर आपकी और पैसों की दोनों की ज़रूरत बराबर है यानी आपकी जगह कोई नहीं ले सकता। तो थोड़े कम पैसों में गुज़ारा कर लें, लेकिन अपने परिवार को छोड़कर न जाएं, कोशिश करें कि उनके पास रहकर ही आपको कोई अच्छी नौकरी मिल जाए।

अपनी योग्यता को पहचाने

लेकिन अगर ये मुश्किल है, तो एक नज़र खुद की काबिलियत और अपनी जमा पूंजी पर डालें। हो सकता है कि आप खुद कई लोगों को नौकरी दे पाएं, और घर परिवार के साथ रहने से आपको मानसिक सुख तो मिले ही, आर्थिक रूप से भी आप मज़बूत बन पाए। क्योंकि घर पर रहने से आप काफी पैसे बाहर की बनिस्बत बचा पाएंगे। रहना, खाना और भी ज़रूरतें आपकी सबके साथ रहकर बिना किसी एक्स्ट्रा खर्च के पूरी हो जाएंगी। माता-पिता की नज़रों के सामने रहेंगे, तो उनको भी सुकून रहेगा। घर में खुशहाली रहेगी फिर उनका आशीर्वाद और अनुभव तो आपको मिलेगा ही। जो आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा जिससे आज नहीं तो कल कामयाबी आपके क़दम चूमेगी।

छोटे शहर में भी होता है बड़ा स्कोप

अगर आपको लगता है कि आपका शहर छोटा है, तो भी न घबराएं क्योंकि छोटे शहर में कुछ नया करना, बड़े शहर के मुक़ाबले आसान होता है और लोग उसके लिए उत्साहित और उत्सुक भी होते हैं। इसलिए अगर आप बड़े शहरों जैसे-थोड़ा भी कर पाए, तो भी आप लोगों को आकर्षित कर लेंगे और धीरे धीरे बड़े शहरों की तर्ज़ पर आप भी कुछ हूबहू कर लेंगे। भले ही आपका काम धीमा होगा पर आप इतिहास ज़रूर रच लेंगे, अपनी अलग पहचान बना ही लेंगे। तो सोचिएगा ज़रूर इस बारे में, क्योंकि ऐसी रोज़ी में जो संघर्ष होगा, उसे आप आसानी से फेस कर लेंगे, इसलिए कि न केवल आप खुश होंगे बल्कि आपका हर चाहने वाला खुश होगा और आप पूरे जोश के साथ आगे बढ़ते जाएंगे। फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।

Exit mobile version