Assistant Professor Without NET: UGC का नया नियम, बिना NET के बनें सहायक प्राध्यापक

कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब न तो PHD होना जरूरी है और न ही NET क्वालिफाइड होना अनिवार्य है. फर्क नहीं पड़ता कि आप नेट क्वालिफाइड हैं या JRF हैं या SRF, असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए अब ऐसी किसी क्वालिफिकेशन की जरूरत नहीं है सिर्फ आप पोस्ट ग्रेजुएट होने चाहिए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में भर्ती और प्रमोशन को लेकर UGC की नई गाइडलाइंस जारी की हैं. जिसके अनुसार अब कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए नेट क्वालिफाइड होना जरूरी नहीं रह गया है।

गौरतलब है कि पहले असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी होना अनिवार्य था, बाद में असिस्टेंट प्रोफेसर पोस्ट के लिए PHD की अनिवार्यता हटा दी गई थी, इसके बाद २018 की गाइडलाइन के अनुसार कैंडिडेट को उसके PG वाले सब्जेक्ट से नेट क्वालिफाइड होना जरूरी किया गया था. लेकिन अब ऐसा नहीं है , नई गाइडलाइन के अनुसार कैंडिडेट को PG सब्जेक्ट से अलग NET करने की आज़ादी मिल गई है और बिना नेट के भी कोई भी पोस्ट ग्रेजुएट अब असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अप्लाई कर सकता है। अब कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद की भर्ती सिर्फ मेरिट लिस्ट के आधार पर होगी। इसके साथ ही कुछ और नए नियम जोड़े गए हैं. जैसे अगर कैंडिडेट का PHD सब्जेक्ट, PG सब्जेक्ट से अलग है तो वह PHD के सब्जेक्ट से भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए अप्लाई कर सकता है, वहीं अगर NET, SET का सब्जेक्ट PG से अलग है तो वह NET या SET के सब्जेक्ट से भी प्रोफेसर बन सकता है, और ये भी जरूरी नहीं रह गया है कि जिस सब्जेक्ट में PG हो उसी से NET किया जा सके, अब कोई भी PG कैंडिडेट किसी भी सब्जेक्ट से नेट दे सकता है.

इसके अलावा UGC की नई गाइडलाइन कहती है कि यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर पद के लिए अब टीचिंग एक्सपीरिएंस की कोई जरूरत नहीं है, अबतक विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए 10 साल का टीचिंग एक्सपीरियंस होना अनिवार्य था. अब कोई भी ऐसा शख्स जिसके पास अपनी फील्ड का 10 साल का एक्सपीरियंस है, जो सीनियर लेवल पर है वो वाइस चांसलर बन सकता है.

अब जाहिर है कि आपके मन में ये सवाल होगा कि जब कोई भी PG होल्डर कॉलेज में बिना नेट या PHD के असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकता है तो ऐसे में NET और PHD की वैल्यू ही खत्म हो गई! देखा जाए तो एक लेवल तक ये सही भी है, क्योंकी PHD के लिए NET भी अनिवार्य नहीं है मगर सेंट्रल यूनिवर्सिटी से PHD करनी है तो NET क्वालिफाइड होना जरूरी है. और कई राज्यों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा में NET क्वालिफाइड , NET JRF – SRF और PHD होल्डर्स को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलते हैं. तो जाहिर है नेट और पीएचडी क्वालिफाइड को असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में प्रिवलेज मिलता है इसी लिए इन एकेडमिक क्वॉलिफिकेशन्स की वैल्यू बरकार रहेगी बस अब असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की एलिजबिलिटी PG कर दी गई है। एक बात ये भी है कि अगर कोई PG होल्डर असिस्टेंट प्रोफेसर बनता है और पीएचडी नहीं करता है तो उसका कभी प्रमोशन नहीं होगा, असिस्टेंट प्रोफेसर से असोसिएट और प्रोफेसर बनने के लिए PHD अनिवार्य है.

UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार का कहना है कि नए नियम का उद्देश्य उच्च शिक्षा में फ्रीडम और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाना है जो हेयर तौर पर होगा, मगर एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि ऐसा नियम इस लिए लाया गया है ताकी UGC का राजस्व बढ़ाया जा सके, असिस्टेंट प्रोफेसर की एलिजिबिलिटी से NET की अनिवार्यता खत्म करना यानी PG होल्डर्स को भी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का फॉर्म भरने के लिए प्रोत्साहित करना है इससे उम्मीदवारों की संख्या में काफी इजाफा होगा और राजस्व में भी। वैसे UGC के नियमों में हुए बदलावों को लेकर आपकी क्या राय है हमें कमेंट में जरूर बताएं और ऐसे ही खबरों के लिए शब्द साँची के साथ बने रहें।

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