Military Rule In Pakistan History: हाल ही में खबर आई है पाकिस्तान सरकार ने अपने सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया है। पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद वहाँ के सशस्त्र बलों में सर्वोच्च होता है। पाकिस्तान के इतिहास में अब तक आसिम मुनीर से पहले केवल एक व्यक्ति को फील्ड मार्शल बनाया गया था, वे थे जनरल अयूब खान, जिन्होंने तख्तापलट करके सत्ता हासिल की थी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति और फील्ड मार्शल बन गए थे।
लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान में तानाशाही शासन की शुरुआत हो गई थी। वैसे भी पाकिस्तान में सेना ही सर्वेसर्वा है, कहीं आगे चलकर आसिम मुनीर तो ऐसा नहीं करेंगे, वो तो आगे की बात है। पर पाकिस्तान में 4 बार मार्शल लॉ या सैन्य शासन लागू हो चुका है। आइए जानते हैं मार्शल लॉ लगाने वाले जनरल्स के बारे में।
जनरल अयूब खान
पाकिस्तान में सबसे पहले मार्शल लॉ लागू हुआ वर्ष 1958 में, जब राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने देश में राजनीतिक अस्थिरता का हवाला देते हुए मार्शल लॉ लगाया और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को बर्खास्त कर दिया। और सत्ता की कमान आर्मी को सौंप दी, मार्शल लॉ लगने के 13 दिन बाद ही सेना प्रमुख अयूब खान ने राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा को हटाकर खुद ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए और वर्ष 1969 तक बने रहे, जब तक एक और जनरल याह्या खान ने उन्हें पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह पहली बार था जब पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगा।
जनरल याह्या खान
पाकिस्तान में दूसरी बार सैन्य शासन स्थापित करने वाला व्यक्ति था जनरल याह्या खान, जिसने एक और सैन्य जनरल और राष्ट्रपति अयूब खान को सत्ता से हटा खुद स्थापित हो गया। पाकिस्तान में में दूसरा मार्शल लॉ 25 मार्च 1969 को जनरल याह्या खान द्वारा लागू किया गया था। उसने तबके राष्ट्रपति जनरल अयूब खान को पद छोड़ने पर मजबूर किया। अयूब खान ने 1962 में बने देश के संविधान को रद्द कर दिया और सत्ता जनरल जनरल याह्या खान को सौंप दी। हालांकि 1971 में भारत द्वारा हारने और पूर्वी पाकिस्तान खोने के बाद पड़े दबाव के चलते उसने सत्ता छोड़ दी।
जनरल जिया-उल-हक
पाकिस्तान में तीसरी बार सैन्य शासन स्थापित करने वाला व्यक्ति था, जनरल जिया-उल-हक। उसने 5 जुलाई 1977 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से हटा कर देश में सैन्य शासन स्थापित कर दिया। बाद में जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी भी दे दी गई थी। यह शासन 29 मई 1988 तक चलता रहा, जब तक जनरल जिया की एक सैन्य दुर्घटना में मृत्यु नहीं हो गई। पाकिस्तान के इतिहास में यह अब तक का सबसे लंबा समय तक चलने वाला मार्शल लॉ है। माना जाता है जनरल जिया के दौर में पाकिस्तान का जमकर इस्लामीकरण हुआ। 1985 में उन्होंने देश में चीन की तर्ज पर एकदलीय संसद की स्थापना की लेकिन उसे 1988 में भंग करके देश में आम चुनावों की घोषणा कर दी थी।
परवेज मुशर्रफ
पाकिस्तान में चौथी बार मार्शल लॉ या सैन्य शासन स्थापित किया परवेज मुशर्रफ ने। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सत्ता से हटा दिया और देश में 12 अक्टूबर 1999 को मार्शल लॉ लगा दिया। जनरल परवेज मुशर्रफ पहले देश के मुख्य कार्यकारी बने और फिर उन्होंने राष्ट्रपति का पद भी संभाला। इस दौरान नवाज शरीफ को देश से बाहर जाना पड़ा। परवेज मुशर्रफ ने देश के संविधान को निलंबित कर दिया। इसके साथ ही सैन्य शासन को अवैध बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी बर्खास्त कर दिया। यह मार्शल लॉ 2007 तक चला था। बाद में परवेज मुशर्रफ को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा था, उन्हें बाद में कोर्ट द्वारा फांसी की सजा भी सुनाई गई थी।