पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में वत्सला नामक हथिनी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उम्रदराज वत्सला 100 साल को पार करते हुए तकरीबन 109 साल तक जंगल और पर्यटकों के लिए आकर्षक बनी रही। माना जाता है कि वह एशिया की सबसे बुजुर्ग हाथिनी थी। वत्सला के निधन पर सीएम मोहन समेत कई अधिकारी एवं वन जीव प्रेमियों ने अपनी संवदेनाए व्यक्त किए है।
ऐसा रहा वत्सला का जीवन सफर
जानकारी के तहत वत्सला का जीवन संघर्ष, ममता और सेवा का प्रतीक रहा। केरल के जंगलों से शुरू हुआ सफर, नर्मदापुरम होते हुए पन्ना तक पहुंचा। यहां वह न केवल पर्यटकों की आकर्षण का केंद्र बनीं, बल्कि हाथियों के दल की दादी मां और नानी मां के रूप में जानी गई। जब भी किसी मादा हाथी ने बच्चे को जन्म दिया, वत्सला हमेशा उसकी मदद के लिए आगे रही। उनकी ममता और देखभाल ने कई हाथी शावकों को जीवन दिया।
सीएम मोहन ने जताया शोक
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पन्ना टाइगर रिज़र्व को सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला के निधन पर गहन शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि वत्सला मध्यप्रदेश के जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और हमारी संवेदनाओं की प्रतीक थी। जिसने हाथी दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथियों के बच्चों की स्नेह से देखभाल भी की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वत्सला को विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि टाइगर रिज़र्व में हाथी दल की प्रिय सदस्य के 100 वर्षों के साथ पर विराम लगा है, भले ही अब वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन वत्सला की स्मृतियां हमारे मन में सदैव जीवंत रहेंगी।