Ashtabharya | कौन थीं भगवान श्रीकृष्ण की 8 पत्नियाँ, कैसे हुआ उनसे विवाह

Ashtabharya Story In Hindi: हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को राधा जी के साथ ज्यादा याद किया जाता है। लेकिन पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पत्नी थीं। जिनमें रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविंदा, नाग्नजिती (सत्या), भद्रा और लक्ष्मणा 8 सबसे प्रमुख थीं। इन्हीं को अष्टभार्या कहा जाता था। भगवान की सभी प्रमुख पत्नियों से 10-10 पुत्र था। भगवान श्रीकृष्ण का अपनी आठ पत्नियों से विवाह की कथा अत्यंत रोचक हैं।

Ashtabharya | अष्टभार्या

(1) रुक्मिणी | Ashtabharya

रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की कन्या थीं। उनको वैदर्भी, भैष्मिकी और विशलाक्षी नामों से भी जाना जाता था। कथाओं के अनुसार वह देवी लक्ष्मी की अवतार कहीं जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण से मन ही मन प्रेम किया करती थीं। उनके पिता को तो श्रीकृष्ण से कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन उनका भाई रुक्मी उनका विवाह चेदि देश के राजा शिशुपाल से करना चाहता था। देवी रुक्मिणी ने एक ब्राम्हण के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के पास प्रेम निवेदन भेजा। और उनसे विवाह का निवेदन किया। भगवान श्रीकृष्ण ने भी संदेश के माध्यम से रुक्मिणी को आश्वस्त किया। और तय दिन और योजना के अनुसार द्वारिका पहुँच गए जहां रुक्मिणी के विवाह की तैयारियां चल रहीं थी, देश भर के राजा महाराज इत्यादि सब जुटे थे। नियमानुसार रोज रुक्मिणी प्रतिदिन देवी पार्वती का पूजन करने मंदिर जाया करती थीं, भगवान श्रीकृष्ण उन्हें मंदिर में ही मिले, और क्षत्रियों में प्रचलित विवाह विधि के अनुसार उनका हरण करके द्वारिका चलने का आग्रह कर अपने रथ पर बैठाकर द्वारिका की तरफ चले। अंगरक्षकों द्वारा रुक्मी को यह संदेश प्राप्त हुआ तो वह अपनी सेना सहित श्रीकृष्ण के पीछे दौड़ा और उनसे युद्ध करने लगा। भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मी को पराजित कर उसका वध करना चाहा पर देवी रुक्मिणी के आग्रह पर उसे छोड़ दिया। द्वारिका पहुँच कर भगवान ने देवी रुक्मिणी से विवाह कर लिया, उनके प्रद्युम्न सहित दस पुत्र हुए।

(2) जांबवती | Ashtabharya

वह रीक्षराज जांबवान की पुत्री थीं, वह जांबवती, जांबवंती इत्यादि नामों से जानी जाती थीं। कथाओं के अनुसार द्वारिका के यादव सरदार सत्राजित की भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उसे एक मणि प्रदान की थी। जो नित्य 8 मन सोना देती थी। एक दिन सत्राजित उस मणि को धारण कर यादव सभा में गए, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने उसे मणि राजा उग्रसेन को दे देने के लिए कहा, लेकिन सत्राजित ने इंकार कर दिया था। एक दिन उस मणि को धारण करके सत्राजित का छोटा भाई प्रसेनजीत आखेट के लिए गया। जहाँ वह स्वयं हिंसक सिंह का शिकार हो गया। सिंह ने उसे मार उस मणि को लेकर एक गुफा की तरफ गया जहाँ रीक्षराज जांबवान रहता था। उसने सिंह को मार वह मणि लेकर अपनी पुत्री जांबवती को खेलने के लिए दे दी।

इधर द्वारिका में सत्राजित ने अपने भाई की हत्या और मणि चोरी का आरोप भगवान श्रीकृष्ण पर लगाया। अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कुछ यादव युवकों के साथ उस वन की तरफ गए जहाँ प्रसेनजीत गया था। वहां से पदचिन्हों का पीछा करते-करते उस गुफा तक गए जहाँ जांबवंत रहते थे। मणि वापस मांगने को लेकर भगवान श्रीकृष्ण और जांबवंत के बीच भयंकर मल्लयुद्ध छिड़ गया, जो निरंतर 28 दिनों तक चलता रहा। जांबवंत महाबली थे, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा हुए एक मुक्के के प्रहार से वह धराशायी हो गए साथ ही वह बेहद थक भी गए थे। इस स्थिति में उन्हें अपने प्रभु भगवान राम की याद आ गई, जब भगवान ने उन्हें अपने साथ युद्ध करने का वरदान दिया था। जांबवंत जी समझ गए, प्रभु के अतिरिक्त और कोई उन्हें नहीं हरा सकता है। वह उनके चरणों में लेट गए और उनकी पूजा की और वह स्यामांतक मणि भी दे दी, इसके साथ ही उन्होंने अपनी पुत्री जाम्बवती को भी भगवान कृष्ण को दे दिया, भगवान ने जाम्बवती से विवाह किया, उनके सांब समेत दस पुत्र हुए।

(3) सत्यभामा | Ashtabharya

सत्यभामा यादव सरदार सत्राजित की कन्या थीं। पुराणों के अनुसार वह भूदेवी का अवतार थीं। उनका विवाह भी श्रीकृष्ण से स्यामांतक मणि प्रकरण के बाद ही हुआ। दरसल द्वारिका वापस आने के बाद श्रीकृष्ण ने वह मणि यादव सभा के सामने रखी और पूरी कहानी बताई। पूरी कहानी जानकार सत्राजित अत्यंत लज्जित हुआ और उस मणि को लेने से इंकार कर दिया, यही नहीं उसने अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह भी श्रीकृष्ण से कर दिया। माना जाता है देवी सत्यभामा रूप और सौन्दर्य में सभी रानियों में बढ़कर थीं। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिलकर नरकासुर की राजधानी प्रागज्योतिषपुर में आक्रमण भी किया था।

(4) कालिंदी | Ashtabharya

कालिंदी भगवान विवस्वान सूर्य की पुत्री थीं। वह भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के किनारे तपस्या किया करती थीं। एक बार भगवान श्रीकृष्ण यमुना तट पर स्थित इंद्रप्रस्थ गए थे, एक शाम वह पांडव कुमार अर्जुन के साथ यमुना तट पर भ्रमण कर रहे थे, जहाँ उन्होंने एक कन्या को तपस्यारत देखा, पता करने पर पता चला वह भगवान सूर्य की पुत्री और भगवान विष्णु के संग विवाह करने के लिए तपस्या कर रहीं हैं। अर्जुन द्वारा उन्हें जब बताया गया, श्रीकृष्ण विष्णु जी के ही अवतार हैं, तब वह उनसे विवाह करने को तैयार हो गईं और इंद्रप्रस्थ में ही उनका विवाह हो गया, बाद में वह श्रीकृष्ण से साथ द्वारिका चली गईं।

(5) मित्रविंदा | Ashtabharya

भागवत पुराण के अनुसार मित्रविंदा अवंती के राजा जयसेन की पुत्री थीं। उनकी माँ राजाधिदेवी उनकी बुआ थीं। उनके विंध्य और अनुविंध्य नाम के दो भाई थे जो उनका विवाह कुरु कुमार दुर्योधन से करना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने स्वयंवर का आयोजन किया था। लेकिन मित्रविंदा श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं और उनसे ही विवाह भी करना चाहती थीं, इसीलिए उन्होंने स्वयंवर में भगवान श्रीकृष्ण का वरण किया था।

(6) नग्नजिती (सत्या)

उसका मूल नाम सत्या था, वह कोशल के राजा नग्नजीत की कन्या थी। राजा नग्नजीत ने अपनी पुत्री का स्वयंवर रखा था, जिसकी शर्त के अनुसार जो वीर पुरुष सात बिगड़ैल बैलों को अपने वश में करके एक ही रस्सी से नाथ देगा, उससे ही वह अपनी पुत्री का विवाह करेंगे। देशभर के राजुकमारों के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण भी कौशल पहुंचे थे। लेकिन कोई भी राजा या राजकुमार बैलों को नाथना तो दूर उनको अपने नियंत्रण में नहीं ले सका। तब भगवान श्रीकृष्ण ने सातों बैलों पर नियंत्रण कर उन्हें एक ही रस्सी में नाथ दिया। स्वयंवर के शर्तों केव पालन के बाद राजा ने अपनी पुत्री का हाथ श्रीकृष्ण को सौंप दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने विधिवत उनसे विवाह कर लिया।

(7) लक्ष्मणा | Ashtabharya

लक्ष्मणा माद्र देश के राजा वृहत्सेन की पुत्री थीं। उनके पिता ने उनके लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया था। जिसमें कठिन धनुर्विद्या का प्रदर्शन करना था। देश भर के राजा और राजकुमार इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, लेकिन पराजित होते हैं। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण अपने धनुर्विद्या का प्रदर्शन कर यह स्वयंवर जीतते हैं और लक्ष्मणा से विवाह करते हैं। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान ने राजाओं के बीच स्वयंवर से लक्ष्मणा का उसी तरह अपहरण किया था, जैसे गरुण देवताओं से अमृत कलश छीनते हैं।

(8) भद्रा | Ashtabharya

वह भगवान की सबसे छोटी पत्नी थीं। कथाओं के अनुसार वह केकैय के राजा धृष्टकेतु और श्रुतिकीर्ति की पुत्री थीं। श्रुतिकीर्ति भी श्रीकृष्ण की बुआ थीं। कुछ ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने भद्रा से स्वयंवर में विवाह किया था। जबकि कुछ ग्रंथों के अनुसार उनके पाँच भाइयों ने मिलकर उनका विवाह श्रीकृष्ण से करवाया था।

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