पूर्व कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने बीते 28 अप्रैल को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में लवली ने कहा था कि वह पार्टी के दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थ हैं. शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे लवली को पिछले साल अगस्त में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
दिल्ली के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली शनिवार 4 मई को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. लवली के साथ पूर्व विधायक नीरज बसोया और नसीब सिंह के साथ ही पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है. बता दें कि अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान दोनों शीला दीक्षित सरकार में मंत्री थे.
पूर्व कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने बीते 28 अप्रैल को दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में लवली ने कहा था कि वह पार्टी के दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थ हैं. शीला दीक्षित की सरकार में मंत्री रहे लवली को पिछले साल अगस्त में दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
उन्होंने खड़गे को लिखे पत्र में कहा था कि मैंने कांग्रेस पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं की मदद करने के एकमात्र उद्देश्य से दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की भूमिका को कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार किया था, जिनके साथ मेरा बेहद करीबी और जीवनभर का जुड़ाव रहा है.
लवली ने पत्र में आगे कहा था कि मैं पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा नहीं कर सकता हूं तो मुझे इस पद पर बने रहने की कोई वजह नजर नहीं आ रही है. इसलिए अत्यंत खेद और भारी मन से मैं दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा देता हूं.
लवली ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस की इकाई आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी, फिर भी उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसका समर्थन किया और यह सुनिश्चित कर दिया कि पूरी इकाई आलाकमान के आदेश का पालन करें. उन्होंने कहा था कि पार्टी के हित में और यह सुनिश्चित करने के लिए कि अन्य वरिष्ठ नेताओं को टिकट मिल सकें, लोकसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम तक वापस ले लिया.
उन्होंने कहा, दिल्ली कांग्रेस इकाई ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर बनी पार्टी के आधे कैबिनेट मंत्री अभी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में हैं.