Arvind Kejriwal Bail : दिल्ली हाई कोर्ट में बुधवार को केजरीवाल की दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई. फिलहाल अदालत ने फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया है. केजरीवाल के वकील सिंघवी की दलीलों के सामने सीबीआई बेबस नजर आयी.
आबकारी घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. अदालत ने कहा है कि फैसला लिखने में 5-7 दिनों का समय लगेगा. सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील ने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी ED मामले में अंतरिम ज़मानत दे दी है.
आज वो बाहर होते, अगर सीबीआई इंश्योरेंस अरेस्ट नहीं करती. सीबीआई की तरफ से स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर डी. पी. सिंह ने अपनी दलील में कहा कि जांच एजेंसी होने के नाते हमारे पास अपने अधिकार है. बता दें कि मुहर्रम की छुट्टी के दिन भी याचिका पर सुनवाई के लिए स्पेशल व्यवस्था की गई थी. अदालत ने सीबीआई के वकील से पूछा, “बचाव पक्ष का कहना है कि जिस सामग्री के आधार पर गिरफ़्तारी की बात की जा रही है, वो तो मार्च में भी थे, तो उस समय गिरफ़्तार क्यों नहीं किया गया? जून तक इंतज़ार क्यों किया गया?”
सिंघवी की दलीलें
सिंघवी ने अदालत के सामने मजबूत दलीलें पेश की उन्होंने कहा कि केजरीवाल एक चुने हुए मुख्यमंत्री हैं कोई आतंकवादी नहीं जो उन्हें जमानत न दी जाये। आगे उन्होंने कहा की गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं थी यह केवल इंश्योरेंस अरेस्ट था. केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ”कोर्ट चाहे तो विस्तार से सुनवाई करके अपना फैसला सुरक्षित भी रख सकती है, लेकिन उससे पहले केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर उनको अंतरिम राहत दे दी जाए.कोर्ट ने इस पर कहा कि पहले हम केजरीवाल की तरफ से गिरफ्तारी को दी गई चुनौती की याचिका पर फैसला करेंगे. कोर्ट ने कहा कि फैसला लिखवाने में मुझे 7 से 10 दिन का वक्त लग सकता है. क्या मैं (केजरीवाल) समाज के लिए खतरा हूं? इस मामले में सबको जमानत मिल रही है, मेरी पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी है, लेकिन मुझे बेल नहीं मिल रही. उन्होंने आगे कहा कि तथ्यों के आधार पर उन्हें जमानत दी जाए।
21 मार्च को ED नें किया था गिरफ्तार
दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED नें 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. निचली अदालत नें उन्हें 20 जून को जमानत दे दी थी . लेकिन उच्च न्यायालय ने अगले ही दिन उनकी रिहाई पर रोक लगा दी. इस बीच सीएम केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अंतरिम जमानत दी. सीबीआई की गिरफ्तारी की वजह से उनकी रिहाई नहीं हो सकी. इस मामले को लेकर वह दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे। जहां आज की सुनवाई उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण रही.
CBI के वकील की दलीलें
CBI के वकील ने कहा, “जो कुछ भी मैटेरियल था, वह कोर्ट को दिखा दिया गया है. हमने यह नहीं कहा कि वह हमारी बात से सहमत नहीं है. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो दोषारोपण योग्य नहीं होती हैं. अगर मैं उनसे पूछूं कि क्या वह बैठक में थे, तो उन्हें हां या ना में जवाब देना होगा. लेकिन हम उनसे पूछते हैं कि शराब के कारोबार को प्राइवेटाइज करने का विचार किसका था, तो केजरीवाल कहते हैं कि यह मेरा विचार नहीं था. वह खुद को छोड़कर सभी को दोषी ठहराने के लिए तैयार हैं… जबकि वो सीएम हैं.
सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध किया. सीबीआई ने अरविंद की याचिका को खारिज करने की मांग की. सीबीआई ने कहा, “याचिकाकर्ता ने मामले में आगे की प्रगति को रोकने के लिए कानून की जटिलताओं का दुरुपयोग करके न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया है.