Delhi Election : झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव अभी अभी खत्म हुए हैं उसके बाद दिल्ली की सियासत गरमाने लगी है आज दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2025) के लिए कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार किया। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party) किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इस कदम को विपक्षी पार्टी ‘भारत’ के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसका गठन केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बाहर करने के मकसद से किया गया था। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में जिस तरह से भारत गठबंधन की हार हुई है।
आप अकेले चुनाव क्यों लड़ना चाहती है? Delhi Election
अब सवाल यह है कि भारत गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party) कांग्रेस से अलग चुनाव क्यों लड़ना चाहती है। वो भी तब जब दोनों ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। दरअसल, अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) हाल के चुनावों से सबक लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने हरियाणा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन देखा है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन करके अरविंद केजरीवाल भी अपनी हालत देख चुके हैं। जानकारों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन करने में कोई फायदा नहीं दिख रहा है। साथ ही उनके सामने दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections) के आंकड़े भी हैं, जिसमें कांग्रेस की मजबूती दिख रही है।
दिल्ली में कांग्रेस की ताकत कितनी है। Delhi Election
आपको बता दें अगर दिल्ली में हुए पिछले तीन चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो समझ में आ जाएगा कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कांग्रेस के साथ गठबंधन से क्यों परहेज कर रहे हैं। पिछले तीन विधानसभा चुनावों से कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगातार गिर रहा है। दिल्ली में हुए 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर 25 फीसदी था। 2015 में यह घटकर 10 फीसदी रह गया। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 4.26 फीसदी रह गया है। इस तरह देखा जाए तो दिल्ली के अंदर कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। हाथ की ताकत कम होती जा रही है।
आप और बीजेपी का वोट शेयर कितना है। Delhi Election
वहीं अगर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi party)और बीजेपी की बात करें तो वोट शेयर के आंकड़े बताते हैं कि मुकाबला इन दोनों के बीच ही है। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 2015 और 2020 के चुनावों में कमोबेश एक जैसा ही है। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 2013 में 29 फीसदी, 2015 में 54 फीसदी और 2020 में 53.57 फीसदी रहा। वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो उसका वोट शेयर 2013 में 34 फीसदी, 2015 में 32 फीसदी और 2020 में 38.51 फीसदी रहा। दिल्ली में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। अरविंद केजरीवाल की पार्टी (AAP) ने कई सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी है। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक चुनावी बिगुल नहीं बजाया है।
आप ने लोकसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई है।
इससे पहले अक्टूबर में आम आदमी पार्टी ने ‘भारत’ गठबंधन से अलग होकर हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ा था। हरियाणा में आप और कांग्रेस ने गठबंधन बनाने की कोशिश की थी, लेकिन सीट बंटवारे पर बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। कांग्रेस और आप ने ‘भारत’ गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के लिए प्रचार भी किया था। दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से आप ने 4 और कांग्रेस ने 3 पर चुनाव लड़ा था। हालांकि, दोनों में से कोई भी पार्टी खाता नहीं खोल पाई क्योंकि शहर की सभी 7 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। अरविंद केजरीवाल का यह फैसला इसी महीने महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की हार के बाद आया है।
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