MP: कांग्रेस ने वरिष्ठ पत्रकारों की गिरफ्तारी पर जताया विरोध, पत्रकारों ने भी की निंदा

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Arrest of Bhopal Journalists: भोपाल के दो वरिष्ठ पत्रकारों, आनंद पांडे और हरिश दिवेकर, को राजस्थान पुलिस ने हिरासत में लिया है। उन पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के खिलाफ कथित तौर पर झूठी खबरें प्रकाशित करने का आरोप है। कांग्रेस नेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

Arrest of Bhopal Journalists: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के दो वरिष्ठ पत्रकारों, आनंद पांडे और हरिश दिवेकर को शुक्रवार को राजस्थान पुलिस ने हिरासत में लिया। उन पर आरोप है कि उनके डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ने राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी के खिलाफ झूठी और अपमानजनक खबरें प्रकाशित कीं। दोनों पर कथित ब्लैकमेलिंग का भी आरोप लगाया गया है। राजस्थान पुलिस ने भोपाल पहुंचकर दोनों पत्रकारों को हिरासत में लिया और जयपुर ले गई। इस कार्रवाई की कांग्रेस नेताओं और पत्रकारों ने कड़ी निंदा की है, इसे लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।

‘सच बोलने वालों को जेल, लोकतंत्र खतरे में’

कांग्रेस नेता अरुण यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब सच बोलने वाले पत्रकार जेलों में हों और झूठ फैलाने वाले आज़ाद घूमें, तो समझिए लोकतंत्र खतरे में है। आनंद पांडे और हरिश दिवेकर की गिरफ्तारी सीधे लोकतंत्र पर हमला है। उनके संस्थान की टैगलाइन ‘हम सिर्फ भगवान से डरते हैं’ सत्ता को डराती है, क्योंकि सच्चा पत्रकार सत्ता से समझौता नहीं करता।”

‘चौथे स्तंभ पर अशोभनीय प्रहार’

कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा, “आनंद पांडे और हरिश दिवेकर मध्यप्रदेश में पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी गिरफ्तारी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है। सत्ता का अहंकार ज्यादा दिन नहीं टिकता। यह भाजपा की तालिबानी संस्कृति का हिस्सा है, जो पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठाता है।”

‘अघोषित आपातकाल, दमनकारी कार्रवाई’

वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र तिवारी ने इसे “अघोषित आपातकाल” बताते हुए कहा, “राजस्थान सरकार का यह दमनकारी रवैया लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। इस तरह की कार्रवाई अस्वीकार्य है।”

‘प्रेस की आवाज दबाने का प्रयास’

इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष दीपक कर्दम ने कहा, “यह कार्रवाई लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की आवाज को दबाने की कोशिश है। इंदौर की पत्रकार बिरादरी इसकी कड़ी निंदा करती है। यदि राजस्थान सरकार पत्रकारों को दबाएगी, तो हमें मैदान में उतरना होगा।”

‘पत्रकारों को एकजुट होने की जरूरत’

वरिष्ठ पत्रकार प्रखर श्रीवास्तव ने कहा, “आनंद पांडे जैसे सम्मानित पत्रकार की गिरफ्तारी सत्ता का हथकंडा है। मैं भी कर्नाटक पुलिस की कार्रवाई का भुक्तभोगी रहा हूं। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, इस तरह की कार्रवाइयां बंद होनी चाहिए। सभी पत्रकारों को इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा, वरना अगला नंबर किसी का भी हो सकता है।” मामला अभी जांच के दायरे में है, लेकिन इस कार्रवाई ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सत्ता के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मध्यप्रदेश पुलिस ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जबकि विरोध की आवाजें तेज हो रही हैं।

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