Army Chief Upendra Dwivedi In Chitrakoot: भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (General Upendra Dwivedi) ने बुधवार को अपनी पत्नी सुनीता द्विवेदी (Army Chief Wife Sunita Dwivedi) के साथ उत्तर प्रदेश की पावन नगरी चित्रकूट की यात्रा की। यह दौरा आध्यात्मिक, सामाजिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, खासकर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में। चित्रकूट, भगवान राम की तपोभूमि के रूप में प्रसिद्ध, में जनरल द्विवेदी ने तुलसी पीठ के कांच मंदिर में पूजा-अर्चना की और पद्म विभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Jagadguru Rambhadracharya Met Army Chief ) से मुलाकात की। इस दौरान रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख को गुरु दीक्षा दी और गुरु दक्षिणा के रूप में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) (Ask POK As Gurudakshina) को भारत में शामिल करने की मांग की, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा छेड़ दी।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी की चित्रकूट यात्रा
Army Chief Chitrakoot Yatra News: जनरल द्विवेदी सुबह करीब 8:30 बजे सेना के हेलीकॉप्टर से चित्रकूट के दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर में बने हेलीपैड पर उतरे। उनके साथ दो अन्य हेलीकॉप्टर थे, और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। यूपी और एमपी पुलिस के साथ सेना के जवान तैनात थे, और कई जगह बैरियर लगाए गए, जिससे स्थानीय लोगों को कुछ असुविधा हुई। सेना प्रमुख का काफिला कड़ी सुरक्षा के बीच तुलसी पीठ पहुंचा, जहां उन्होंने कांच मंदिर में विधिवत पूजा की। इसके बाद वे रामभद्राचार्य के कक्ष में गए और उनसे आशीर्वाद लिया।
मैंने गुरुदक्षिणा में POK मांगा
मुलाकात का सबसे यादगार पल तब आया जब रामभद्राचार्य ने जनरल द्विवेदी को राम मंत्र की दीक्षा दी। यह वही मंत्र था, जो माँ सीता ने हनुमान को दिया था, जिसके बाद हनुमान ने लंका पर विजय प्राप्त की थी। दीक्षा के बाद रामभद्राचार्य ने कहा, “मैंने सेना प्रमुख से गुरु दक्षिणा में POK माँगा है। आप शस्त्र से लड़ें, मैं शास्त्र से लड़ूंगा।” उन्होंने पाकिस्तान को “कुत्ते की दुम” करार देते हुए चेतावनी दी कि यदि वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो वह विश्व के नक्शे से मिट जाएगा। यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से वायरल हुआ और लोगों ने इसकी सराहना की।
जनरल द्विवेदी ने तुलसी पीठ में आयोजित अभिनंदन समारोह में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने भारतीय सेना की वीरता की कहानियाँ साझा कीं। उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय की छात्राओं से मुलाकात की और उन्हें उपहार भेंट किए। इसके अलावा, उन्होंने सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय का दौरा किया और वहाँ के चिकित्सा कार्यों की प्रशंसा की। रामभद्राचार्य को सेना प्रमुख ने स्मृति चिह्न भेंट किया और उनके सामाजिक कार्यों को भारत की आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बताया। समारोह में देशभर से आए शिष्य और संत उपस्थित थे।
यह यात्रा धार्मिक और सामरिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी। जनरल द्विवेदी ने रामभद्राचार्य के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके सेवा कार्यों की सराहना की। यह मुलाकात देशभक्ति और आध्यात्मिकता के अनूठे संगम का प्रतीक बनी, जिसने चित्रकूट की इस यात्रा को ऐतिहासिक बना दिया।