राजस्थान में पुरातत्व विभाग को खुदाई में मिले महाभारत काल के अवशेष

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Bharatpur ASI Excavation Survey: पुरातत्व शोधार्थी पवन सारस्वत ने मीडिया को बताया कि बहज गांव में एक प्राचीन नदी के चैनल की खोज हुई है। यह राजस्थान में ASI का सबसे बड़ा खुदाई प्रोजेक्ट है। ASI जयपुर के प्रमुख पुरातत्वविद विनय गुप्ता ने बताया कि यह प्राचीन जल प्रणाली सरस्वती नदी के किनारे पनपी सभ्यता की नींव थी।

Rajasthan ASI Excavation Survey News: राजस्थान में भरतपुर से करीब 37 किलोमीटर दूर डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को बड़ी सफलता मिली है। साल 2024 में चार महीने तक चली खुदाई और सर्वेक्षण में मिले पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर ASI का दावा है कि यहां 3500 से 1000 ईसा पूर्व की सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। पुरातत्व शोधार्थी पवन सारस्वत ने मीडिया को बताया कि बहज गांव में एक प्राचीन नदी के चैनल की खोज हुई है। 23 मीटर की गहराई पर एक प्राचीन नदी तंत्र (पैलियो चैनल) मिला, जिसे इतिहासकार ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी से जोड़कर देख रहे हैं।

सरस्वती नदी के कारण पनपी सभ्यता

नदी के प्राचीन चैनल के संकेत 15 मीटर की गहराई पर मिले, जिनकी खोज मई 2025 में हुई। यह राजस्थान में ASI का सबसे बड़ा खुदाई प्रोजेक्ट है। खुदाई में चांदी और तांबे के प्राचीन सिक्के भारी मात्रा में प्राप्त हुए। साथ ही, 3500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व तक की सभ्यता के प्रमाण मिले। ASI जयपुर के प्रमुख पुरातत्वविद विनय गुप्ता ने बताया कि यह प्राचीन जल प्रणाली सरस्वती नदी के किनारे पनपी सभ्यता की नींव थी। मथुरा से 50 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थल सरस्वती बेसिन की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाली कड़ी है।

खुदाई में मिट्टी के खंभों से बनी इमारतें, परतदार दीवारों वाली खंदकें (सुरक्षा के लिए बनाई गई खाई) और भट्टियां मिलीं, जो उस समय की सभ्यता में वास्तु कला के उन्नत ज्ञान को दर्शाती हैं। लोहे और तांबे की वस्तुओं से पता चलता है कि तत्कालीन लोग धातु विज्ञान में निपुण थे। इसके अलावा, हड्डी से बने औजार, अर्ध-कीमती पत्थरों के मनके और शंख की चूड़ियां भी प्राप्त हुईं।

भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियां

खुदाई स्थल से 15 यज्ञ कुंड, शक्ति पूजा के लिए बनाए गए पवित्र टैंक और शिव-पार्वती की टेराकोटा मूर्तियां मिली हैं, जिनकी आयु 1000 ईसा पूर्व से अधिक है। ब्राह्मी लिपी की मुहरें भारतीय उपमहाद्वीप में इस लिपि के अब तक के सबसे पुराने नमूने हैं। महाजनपद काल के यज्ञ कुंडों में रेत भरी मिट्टी और छोटे बर्तनों में तांबे के सिक्के भी मिले।

विनय गुप्ता का कहना है कि बहज की यह खोज भारत के प्राचीन इतिहास के कई अनछुए पहलुओं को उजागर करती है। यह न केवल सरस्वती नदी के रहस्य को खोलती है, बल्कि प्राचीन सभ्यता की सांस्कृतिक और तकनीकी उन्नति को भी सामने लाती है। खुदाई और अवशेषों से संबंधित रिपोर्ट केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय को भेजी गई है।

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