हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई.प्राण प्रतिष्ठा देश भर के लिए गौरव का विषय था.लम्बे इंतज़ार के बाद देश के हज़ारों करोड़ो हिन्दू और उनकी आस्था को जैसे एकरूप मिल गया.रामलला की मूर्ति का रूप देखते ही बनता है.इन सब के बीच एक और खबर अब लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है.तेलंगाना की सीमा के पास कर्नाटक के रायचूर जिले के एक गाँव में कृष्णा नदी से काफी पुरानी भगवान विष्णु की मूर्ति मिली है जो दिखने में अयोध्या में विराजमान रामलला की मूर्ति से मिलती है.इसके साथ ही एक शिवलिंग भी मिला है. मूर्ति और शिवलिंग को साफ़ करके मन्त्रों के उच्चारण के साथ स्नान भी कराया गया.
खड़ी मुद्रा में है मूर्ति
मूर्ति की संरचना की बात करें तो ये खड़ी स्थिति में है और इसके चारों ओर एक आभामंडल है जो श्री विष्णु के दस अवतारों को दर्शाता है.इतिहासकार पद्मजा देसाई ने बताया कि मूर्ति के चारों तरफ विष्णु के दशावतार अंकित हैं। प्रतिमा में विष्णु की चार भुजाएँ हैं, इसमें ऊपर के दो हाथों में शंख और चक्र जबकि नीचे के हाथ वरदान देने की मुद्रा में हैं।
क्या कहना है इतिहासकारों का?
इतिहासकारों की मानें तो ये मूर्ति 11 वीं या 12 वीं शताब्दी की है.पद्मजा देसाई रायचूर विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास और पुरात्तव की व्याख्याता हैं.उनका कहना है कि ये मूर्ति और शिवलिंग सम्भवतः किसी गर्भ गृह में स्थापित रही होगी और इस्लामी आक्रांताओं के हमले से बचाने के लिए इसे नदी में फेंक दिया गया होगा।
ASI को सौंप दी गयी है मूर्ति।
मूर्ति पुरातत्व विभाग को सौंप दी गयी है और इसकी उम्र का पता लगाने के लिए फ़िलहाल काम चल रहा है.
रामलला की मूर्ति बनाने के लिए खुद को कर लिया था सबसे दूर
अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित रामलला की मूर्ति मनमोहक है इसको बनाने के पीछे का किस्सा भी यकीनन अलग होगा।मूर्ति के निर्माणकर्ता योगिराज अरुण बताते हैं कि जब वो मूर्ति पर काम कर रहे थे वो हर चीज़ से अलग हो गए थे और 7 महीने के उस समय में वो सिर्फ रामलला के रूप के बारे में सोचते रहते थे.अब ऐसे में इस मूर्ति के मिलने और उसके रामलला के जैसे होने पर लोग इस चमत्कार का रूप मान रहे हैं.