रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (Avadhesh Pratap Singh University) में संचालित विधि पाठ्यक्रम को बार काउंसिल आफ इंडिया (Bar Council of India) द्वारा नवीनीकरण की मंजूरी मिल गई है। इसके लिए लंबे समय से छात्र द्वारा धरना-प्रदर्शन भी किया जा रहा था। बतादें कि वर्ष 2006 से लेकर अब तक हर साल पाठ्यक्रम नवीनीकरण का निर्धारित शुल्क जमा नहीं किया जा रहा था। जिसके चलते बार काउंसिल आफ इंडिया (Bar Council of India) ने विश्वविद्यालय को अपनी संबद्धता सूची से हटा दिया था। इसकी वजह से स्टेट बार काउंसिल द्वारा अधिवक्ता के तौर पर किया जाने वाला नामांकन भी नवंबर 2023 से रोक दिया गया था। जिसके चलते सैकड़ों की संख्या में छात्र परेशान हो रहे थे। लगातार उठाई जा रही मांगों के बाद भी जब विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से छात्रों के हित में कदम नहीं उठाया गया तो हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की गई। कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच ही बार काउंसिल आफ इंडिया ने बड़ा कदम उठाते हुए नवीनीकरण से जुड़ी मान्यता दे दी है।
बतादें कि कुछ दिन पहले ही सैकड़ों की संख्या में विधि छात्रों ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया था और मांग उठाई थी कि विश्वविद्यालय के स्तर पर जो शुल्क बार काउंसिल आफ इंडिया में जमा नहीं कराया गया है उसे जमा कराया जाए ताकि वंचित छात्रों को अधिवक्ता के रूप में काम करने का लाइसेंस जारी हो सके। उस दौरान कुलपति और कुलसचिव ने आश्वासन दिया था कि विश्वविद्यालय के स्तर की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी। राशि जमा भी कराई गई, जिसकी वजह से अब मान्यता मिल गई है। पूर्व के पास आउट छात्रों का स्टेट बार काउंसिल द्वारा अधिवक्ता के तौर पर नामांकन किया जा रहा था। दो वर्षों से नामांकन से वंचित छात्रों को कई तरह का नुकसान उठाना पड़ा है। सबसे अधिक उन छात्रों का नुकसान हुआ जिन्होंने सिविल जज के परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। इसके लिए तीन वर्ष की अधिवक्ता प्रेक्टिस जरूरी होती है। अधिवक्ता नहीं बन पाने की वजह से छात्र इस लाभ से वंचित रह गए। साथ ही दो वर्षों तक वह अधर में रहे।