Anurag Kashyap Left Bollywood : Anurag Kashyap ने किया बॉलीवुड को अलविदा,अब साउथ की फिल्मों में करेंगे काम?

Anurag Kashyap Left Bollywood : ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘ब्लैक फ्राइडे’ और ‘देव-डी’ जैसी यादगार जमीनी हकीकत वाली फिल्में बनाने वाले अनुराग कश्यप ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया है। हिंदी फिल्म दर्शकों को अब उनकी कमी खलेगी। अनुराग अपनी फिल्मों में अपराध और वासना की प्रेम कहानियों का कॉकटेल परोसने के लिए मशहूर रहे हैं। उन्हें अपने लिए नया दर्शक वर्ग मिल गया था। अब हिंदी लोगों को ऐसा सिनेमा देखने को नहीं मिलेगा। बॉलीवुड को अलविदा कहने से पहले उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को जहरीला और पैसे के पीछे भागने वाला बताया है। उनकी नजर में आज बॉलीवुड में रचनात्मकता को महत्व नहीं दिया जा रहा है। अब कलाकारों का मिशन सिर्फ सैकड़ों करोड़ रुपये कमाना रह गया है। कोई भी सिनेमा बनाना नहीं चाहता, हर कोई तमाशा करके अंधाधुंध पैसा कमाना चाहता है।

अनुराग कश्यप ने खुद को बॉलीवुड के लिए समर्पित कर दिया।

हालांकि, बॉलीवुड के बारे में ये दोनों ही बातें नई नहीं हैं। यह पहले से ही जहरीला और पैसे के पीछे भागने वाला रहा है। लेकिन जैसे-जैसे इसके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, अनुराग कश्यप का धैर्य जवाब दे गया है। अब उन्होंने खुद को पूरी तरह से साउथ सिनेमा के लिए समर्पित कर दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि अनुराग की फिल्में नई पीढ़ी के फिल्मकारों के लिए सबक हैं। आज ओटीटी पर जो वेब सीरीज या शॉर्ट फिल्में दिखाई जा रही हैं, जिनकी पृष्ठभूमि अपराध है, उनके निर्माता अनुराग कश्यप की फिल्मों से प्रेरित रहे हैं। क्योंकि अनुराग के पास सिनेमा की ऐसी भाषा है, वे स्क्रीन पर ऐसा माहौल बनाते हैं, जहां समाज पूरी जीवंतता के साथ मौजूद दिखता है। वहां कोई बनावटी दुनिया नहीं होती।

देवदास जैसी क्लासिक कहानी में भी नया प्रयोग। Anurag Kashyap Left Bollywood

रामू के साथ अनुराग ने सिनेमा की नवीनतम भाषा सीखने और समझने के लिए खूब ट्रेनिंग ली। जिससे उन्होंने प्रयोग के तौर पर गैंग्स ऑफ वासेपुर और ब्लैक फ्राइडे जैसी शुरुआती फिल्में बनाईं। कोई आश्चर्य नहीं कि जब यह प्रयोग सफल हुआ, तो इसे उनका अपना सिनेमा कहा जाने लगा। वे समाज के धूसर पक्ष को उसी रूप में दिखाने में माहिर हो गए। अनुराग कश्यप ने देवदास जैसी क्लासिक प्रेम कहानी में भी नया प्रयोग किया। कहानी के भावनात्मक पहलू को हटाकर वास्तविकता में उतारा गया। कहानी की पृष्ठभूमि बंगाल से पंजाब में शिफ्ट की गई। इस तरह देव डी सिनेमाई भावनात्मक उत्पीड़न के खिलाफ एक कड़वी प्रेम कहानी बन गई। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसकी बुनियाद अपराध से शुरू होती है और अपराध पर ही खत्म होती है।

अनुराग के सिनेमा का मतलब जमीनी हकीकत है।

अनुराग के सिनेमाई संसार में अपराध की दुनिया को सुरक्षित स्थान प्राप्त है। वे अपराध को क्राइम थ्रिलर के रूप में प्रस्तुत नहीं करते बल्कि उसे परिवेश से चिपकाकर उसकी जड़ तक जाते हैं और उसे उसके स्वाभाविक निष्कर्ष तक ले जाते हैं। इस लिहाज से उन्होंने कई फिल्में बनाईं- मसलन, मुक्केबाज, गुलाल, अगली, रमन राघव 2.0, नो स्मोकिंग, मनमर्जियां आदि। अनुराग के सिनेमा का मतलब जमीनी हकीकत है। जाहिर है कि मौजूदा दौर में जिस तरह की हिंदी फिल्में प्रचारित हो रही हैं और बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों कमा रही हैं, उसमें अनुराग शैली की फिल्मों के लिए जगह कम होती जाती है। क्योंकि वे सिर्फ मनोरंजन के लिए कल्पना नहीं बुनते।

आगे क्या करेंगे अनुराग कश्यप? Anurag Kashyap Left Bollywood

बॉलीवुड से निकलने के बाद अनुराग कश्यप ने साउथ सिनेमा में अपना नया ठिकाना बनाया है। अहम सवाल यह है कि क्या अनुराग को यहां अपनी पसंद की पूरी जगह मिल पाएगी? हालांकि, यह उनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। हाल के वर्षों में साउथ सिनेमा या साउथ के अभिनेताओं ने पूरे भारत में प्रशंसा बटोरी है। उनकी फिल्म महाराजा इसका ताजा उदाहरण है। अनुराग को लगता है कि बॉलीवुड में रहकर उन्हें या उनकी फिल्मों को वो तवज्जो नहीं मिलेगी जो साउथ की फिल्मों को मिलती है। इसलिए वह साउथ सिनेमा के जरिए ही अखिल भारतीय पहुंच बनाए रखना चाहते हैं।

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