भारत और मालदीव के बीच आयी दरार और गहराती जा रही है.इसका असर जितना भारत में देखने को मिल रहा है उतना ही मालदीव में भी इसका असर देखा जा सकता है.सत्ता पर काबिज चीन समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु [Mohamed Muizzu]के खिलाफ अविश्वास पत्र लाने की मांग उठने लगी है.कहा जा रहा है कि Muizzu भारत भी आ सकते हैं.दरअसल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता अली अज़ीम ने सोशल मीडिया साइट x पर ट्ववीट कर अपनी पार्टी से अविश्वास पत्र लाने की बात पूछी है और साथ ही में कहा है कि हमे अपनी यानि मालदीव्स की फॉरेन पालिसी को मजबूत रखना है.
मालदीव के कई बड़े नेता लक्षद्वीप और प्रधान मंत्री पर किये ट्वीट का विरोध कर रहे हैं. मालदीव की पूर्व उपसभापति और सांसद ईवा अब्दुल्लाह ने कहा है कि मालदीव को आधकारिक तौर पर भारत के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए।मालदीव की पूर्व रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी का कहना है कि ये मालदीव प्रशासन की नाकामी है.
बहरहाल,आज का वीडियो एक्सप्लेनेर होगा भारत और मालदीव के रिश्तों पर और हम जानेंगे कि आखिर मालदीव में एंटी इंडिया सेंटीमेंट्स के पीछे का पूरा बैकग्राउंड क्या है.सबसे पहले बात कर लेते हैं मालदीव्स की दो बड़ी पोलिटिकल पार्टीज की.पहली है प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव्स[Progressive party of maldives] , जो प्रो चाइना है और अभी सत्ता में है और दूसरी है मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी[maldivian democratic party]जो भारत की हितैषी मानी जाती है.अब पीछे की ओर जाते हैं यानि साल 2018. इस वक्त मालदीव पे रूल कर रही है थी प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव्स, प्रेसिडेंट थे अब्दुल्लाह यमीन। उस वक्त मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के लीडर मोहम्मद नसीद पर कार्यवाई की गई और वो अपराधी सिद्ध हो गए.इसलिए मोहम्मद नसीद श्री लंका भाग गए और अभी भी वो वहीँ रह रहे हैं.अब आते हैं 2018 के चुनाव।इस वक्त राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यमीन पूरी तरीके से निश्चिंत थे कि चुनाव वही जीतने वाले हैं क्योंकि मोहम्मद नसीद देश से बाहर थे और कोई बड़ा लीडर उन्हें अपने खिलाफ लग नहीं रहा था लेकिन अब आता है कहानी में ट्विस्ट।
कैसे? याद करिये हमने शुरू में ही बताया था कि अब्दुल्लाह यमीन की पार्टी,प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव प्रो चाइना है.अपने पूरे कार्यकाल में अब्दुल्लाह यमीन ने चीन को सारे इंफ्रास्ट्रचर से जुड़े काम दिए और ढेर सारे प्रोजेक्ट्स के निर्माण में खूब करप्शन हुआ और चीन से पैसे भी खाए गए.चीन के इस बढ़ते इंटरफेरेंस से मालदीव की आम जनता बहुत परेशान थी.अब सवाल उठता है कि अगर चीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कर रहा था तो इसमें नाराज़गी कैसी? वो ऐसे कि चीन की पॉलिसी ऐसी है कि जब भी वो कोई प्रोजेक्ट बाहर के देश में एस्टब्लिश करता है तो उसके निर्माण में जो लेबर फाॅर्स है वो भी उसके होते हैं. ऐसे में इन प्रोजेक्ट्स से मालदीव के लोगों को जो एम्प्लॉयमेंट जेनेरेट होनी चाहिए थी वो नहीं हुई जिससे लोगों में सत्ता के खिलाफ नाराज़गी थी.इसी बात का फायदा मिला मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी को, जो प्रो इंडिया पार्टी है.अब भारत की फॉरेन इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ ने श्रीलंका में बैठे मोहम्मद नासिद को इस बारे में बताया।
हालाँकि भारत ने मोहम्मद नासिद को उस वक्त यही सलाह दी कि उनके ऊपर सीरियस केसेस लगे हैं ऐसी स्थिति में अगर वो मालदीव्स जाते हैं तो उनका अरेस्ट होना तय है.ऐसे में अब रास्ता ये निकाला गया कि पार्टी चुनाव में किसी और लीडर को खड़ा किया जाए और 2018 के चुनाव में अब्दुल्लाह यमीन के खिलाफ खड़े हुए मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और मोहम्मद नासिद के दोस्त इब्राहिम सोली और वो ये चुनाव जीत गए.तख्ता पलटा और अब शुरुआत हुई बदले की राजनीति की.मोहम्मद नासिद श्री लंका में बैठकर मालदीव्स की सरकार चला रहे थे.उन्होंने इब्राहिम सोली पर जोर डाला कि वो अब्दुल्लाह यमीन पर कार्यवाई करें।हालाँकि भारत ने इस बारे में इन लोगों को मना किया था क्योंकि उसे पता था कि सत्ता बदलेगी तो हालात फिर बदलेंगे इसीलिए भारत ने पार्टी को इन सब चक्करों में पड़ने से मना किया लेकिन बात नहीं सुनी गयी और अब्दुल्लाह यमीन पर कार्यवाई हुई और वो दोषी पाया गया. उसे 11 साल की जेल हो गयी. अब मालदीव के दोनों मुख्य लीडर्स मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स से बाहर थे। एक जेल में, दूसरा देश से बाहर.अब चीन को लगने लगा कि इब्राहिम सोली सत्ता में हैं और ये भारत के लिए फायदा होगा और भारत का इन्फ्लुएंस धीरे धीरे मालदीव पर बढ़ता जाएगा।
इसीलिए चीन ने एक एंटी इंडिया नैरेटिव फैलाना शुरू किया और इसमें उसका साथ दिया मालदीव के एक अख़बार ने जिसकी इंटेलेक्चुअल विंग का एक व्यक्ति जिसका नाम आज़ाद अजान है और वो कई बार चाइना से पैसे खाते हुए पकड़ा भी गया है.इनका एक PERIODICAL चलता था द मालदीवियन जर्नल।ये अखबार मालदीव की 75 फ़ीसदी जनता पढ़ती थी और इसका लोकल सर्कुलेशन काफी ज्यादा था.ये नैरेटिव लगातार चलाया गया .जिसमे वकायदा ऐसी रिपोर्ट्स बनाई गयी जिसमे अब्दुल्लाह यमीन को निर्दोष बताया गया और ऐसा नैरेटिव फैलाया गया कि सब कुछ भारत के इशारे पर हो रहा है.मतलब अब्दुल्लाह यमीन के किये धरे को सीधा भारत पर थोप दिया गया.फिर आया 2022 का इंटरनेशनल योगा डे. इस दिन भारतीय एम्बेसी के द्वारा एक स्टेडियम में योग का कार्यक्रम रखा गया जिसमे चीन के इशारे पर प्रोग्रेसिव पार्टी के लोगों ने प्रोटेस्ट कर दिया और प्रोटेस्ट का बेसिस था कि योग एक एंटी इस्लामिक और एंटी मुस्लिम एक्ट है जिसके बाद काफी हड़कंप मचा और प्रोग्राम को रद्द करना पड़ा. इसमें पुलिस भी इन्वॉल्व हुई.अब आप देख सकते हैं कि कैसे धीरे धीरे चीन के प्रभाव में एंटी इंडिया सेंटीमेंट फैलाया गया जिसका नतीजा 2023 में जब चुनाव हुए देखा गया.प्रोग्रेसिव पार्टी के लीडर अब्दुल्लाह यमीन तो जेल में थे उनके बदले उन्होंने खड़ा किया मोहम्मद मुइज़्ज़ु को.चीन ने इनपे इतना पैसा इसलिए लगाया क्योंकि ये यंग थे.राजनीती में इनका लम्बा अनुभव भी नहीं था.इन्हे अपने हिसाब से चलाया जा सकता था.दरअसल इनकी जगह पहले वाहिद हसन का नाम सामने आ रहा था जो एक अनुभवी लीडर हैं और उनकी उम्र भी ज्यादा थी.बहरहाल, मुइज़्ज़ु चुनाव जीते और तबसे ही इंडिया आउट का नारा दिया जाने लगा.अभी का पूरा मामला कोई नया नहीं है.मालदीव में चीन के संरक्षण में एंटी इंडिया सेंटीमेंट एक लम्बे समय से चल रहा है.
सबसे बड़ी बात Mohamed Muizzu कहते हैं कि भारत को मालदीव से अपनी सेना हटा लेनी चाहिए।दरअसल भारत की सेना मालदीव में इसलिए है क्योंकि दोनों देशों के बीच एक ट्रीटी साइन हुई थी जिसके अंदर भारत की सेना मालदीव की सेना को ट्रेनिंग भी देती है.इसके अलावा मालदीव से सोमालिया काफी करीब है और वहां के मेरीटाइम बिजनेस पर नज़र रखना जरुरी है क्योंकि वहां समुद्री लूटेरों का खतरा लगातार बना रहता है.