चित्रांगन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शब्द साँची की टीम की मुलाकात हुई कला समीक्षक और पूर्व प्रोफेसर सत्यदेव त्रिपाठी से.सत्यदेव त्रिपाठी साहित्य,सिनेमा और नाटक में विशेष रूचि रखते हैं.जब हम उनसे बात करने पहुंचे उस वक्त उनके हाथों में साहिर लुधियानवी की किताब थी.उन्होंने हमे बताया कि साहिर से उनका प्रेम बचपन से है और उन्होंने कहा कि जो भी साहिर के बारे में नहीं जानता उसे वो साहित्य और सिनेमा का व्यक्ति नहीं मानते।
हमने उनसे साहिर,अमृता और इमरोज़ की कहानी की लम्बी बातचीत हुई.त्रिपाठी जी कहते हैं कि इमरोज़ का प्रेम आज के दौर में भी कोई पुरुष तक नहीं कर सकता।
किताबों और सोशल मीडिया के बारे में बात करते हुए सत्यदेव त्रिपाठी कहते हैं कि आज का युवा भले ही सोशल मीडिया से पढ़ रहा हो लेकिन किताबों से मिली जानकारी फर्स्ट हैंड और रॉ होती है और उसका कोई तोड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि किताबों का बिकना कम हो गया है बस ऑनलाइन मटेरियल इतना ज्यादा है कि किताबें छिप सी गयी हैं.
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