Amla Navami 2025 : अक्षय नौमी को क्यों ज़रूरी है आंवले के पेड़ के नीचे भोजन ? जानिए कथा-परंपरा का राज़

Amla Navami 2025 : अक्षय नौमी को क्यों ज़रूरी है आंवले के पेड़ के नीचे भोजन ? जानिए कथा-परंपरा का राज़ – आंवला नवमी का महत्व की बात करें तो जनश्रुतियों के आधार पर कहा जाता है कि आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन धन और आरोग्य की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित माना जाता है। आंवले के पेड़ को इस दिन विशेष रूप से पूजने की परंपरा है क्योंकि यह पेड़ भगवान विष्णु और शिव दोनों के गुणों का प्रतीक माना गया है। आंवला न केवल धार्मिक रूप से पूजनीय है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी फल है। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे पूजा और भोजन करने की परंपरा आज भी पूरे भारत में आस्था और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।

देवी लक्ष्मी और आंवले के पेड़ की पौराणिक कथा
माता लक्ष्मी की अनोखी इच्छा – एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थीं। तब उनके मन में विचार आया कि वे एक ही स्थान पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की एक साथ पूजा करें। परंतु उन्हें ऐसा कोई स्थान नहीं मिला जहाँ दोनों की पूजा साथ हो सके।

आंवले का चयन – तब माता लक्ष्मी को ध्यान आया कि आंवले के वृक्ष में तुलसी (विष्णु प्रिय) और बेलपत्र (शिव प्रिय) दोनों के गुण पाए जाते हैं। इसलिए उन्होंने आंवले के पेड़ को ही दोनों देवों का प्रतीक मानकर उसकी पूजा शुरू की।

भगवानों का आशीर्वाद – माता की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके बाद माता लक्ष्मी ने उसी पेड़ के नीचे भोजन तैयार किया और भगवानों को भोग लगाया, फिर स्वयं प्रसाद ग्रहण किया।

परंपरा की शुरुआत – यह घटना कार्तिक शुक्ल नवमी को हुई थी। तभी से आंवले के पेड़ की पूजा करने और उसके नीचे भोजन करने की परंपरा की शुरुआत हुई। इस दिन से यह विश्वास जुड़ा कि आंवले के वृक्ष के नीचे किया गया भोजन सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।

अन्य धार्मिक और लोक मान्यताएं
अमृत की बूंदें – एक मान्यता के अनुसार, आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ से अमृत की बूंदें टपकती हैं, जो शरीर और मन को पवित्र करती हैं। इस दिन पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से सेहत अच्छी रहती है और रोग दूर होते हैं।

पितृ दोष निवारण – इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पितरों के लिए तर्पण और भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में शांति का वास होता है।

अन्य लाभ – आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने से मानसिक तनाव दूर होता है, मन में शांति आती है, और व्यक्ति को अखंड सौभाग्य, आरोग्य और सुख की प्राप्ति होती है।

स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण – आंवला विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स से भरपूर होता है। यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, त्वचा को चमकदार बनाने और पाचन सुधारने में सहायक है। ठंड के मौसम की शुरुआत में आंवले का सेवन शरीर को मौसम के बदलाव से बचाता है, इसलिए यह त्योहार ऋतु परिवर्तन और स्वास्थ्य सुरक्षा से भी जुड़ा है।

निष्कर्ष – आंवला नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति, प्रकृति और स्वास्थ्य का सुंदर संगम है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे भोजन करना न सिर्फ देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का मार्ग है, बल्कि यह हमें पर्यावरण संरक्षण, आध्यात्मिक संतुलन और आत्मिक शांति का भी संदेश देता है।

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