Amitabh Bhattacharya: तौबा तेरा जलवा तौबा तेरा प्यार तेरा इमोशनल अत्याचार … ये गाना जैसे ही रिलीज़ हुआ हिट हो गया क्योंकि न केवल इसके बोल हट के थे बल्कि इसे गाया भी अत्याचार की फीलिंग के साथ गया था बिल्कुल आपने सही पहचाना हम बात कर रहे हैं अमिताभ भट्टा चार्य की जिन्होंने फिल्म देव. डी के लिए ये गीत लिखा और “बैंड मास्टर रंगीला और रसीला” के नाम से अमित त्रिवेदी के साथ गाया भी बस फिर क्या था तब से वे लगातार कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए गीत लिख रहे हैं और उनमें से कुछ को गाते भी रहते हैं हालांकि उनकी पहली फिल्म आमिर थी उनके गीतों की खासियत को एक्सप्लेन करने के लिए”फ्रिलफ्री” और “स्मार्टली वर्डेड” नाम दिए गए हैं आप भी ज़रा ग़ौर से सुन के देखिए फ़िल्म- ये जवानी है दीवानी का ये गीत जो जवां दिलों की धड़कन बन के उभरा :-
शामे मलंग सी, रातें सुरंग सी
बागी उड़ान पे ही ना जाने क्यूँ
इलाही मेरा जी आये आये..
कल पे सवाल है, जीना फिलहाल है
खानाबदोशियों पे ही जाने क्यूँ
इलाही मेरा जी आये आये
16 नवंबर 1976 को बंगाली परिवार में जन्में
अमिताभ भट्टाचार्य लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद ही गायक बनने का सपना लेकर मुंबई आ गए थे जहां आकर फिल्मों में खूब काम की तलाश में भटके लंबी कतार में लगे लेकिन कुछ हासिल न हुआ और तब उन्होंने विज्ञापन जिंगल्स के लिए गीत लिखना शुरू कर दिया फिर उनकी मुलाक़ात प्रीतम से हुई जिन्होंने उन्हें बतौर असिस्टेंट कुछ काम दिया इसी तरह आगे बढ़ते हुए एक दिन वो मिले अमित त्रिवेदी से जो उस वक्त राहुल के साथ टेलीविजन चैनलों के लिए संगीत तैयार करते थे और जल्द ही ये दोस्त बन गए जिसके बाद उनके एक प्रोग्राम में डमी सिंगर बनकर चल दिए जहां अमित ने उनसे रफ लिरिक्स लिखने को यूं ही कह दिया और अमिताभ जी ने गीत लिखते समय, ही धुनों को शब्दों में ढाल दिया ये देखकर सब हैरान रह गए और अमिताभ को भी ये एहसास हो गया कि ये हुनर उनके अंदर कुदरती तौर पर मौजूद है और इसके बाद ही उन्हें अनुराग कश्यप की फिल्म देव.डी मिली जिसने उनकी कामयाबी के परचम लहरा दिए और 8 साल के संघर्ष का अंत हो गया और उनके इस नए सफर से हमें मिले कुछ मोती नुमा बेशकीमती नगमों का ज़िक्र हम ज़रूर करना चाहेंगे जैसे :-
“अभी मुझमें कहीं”,”इकतारा”,” चन्ना मेरेया “,
” ऐ दिल है मुश्किल “,”बुल्लेया”,” कबीरा “,
” बालम पिचकारी “,”बदतमीज़ दिल”,
” मस्त मगन “,” राब्ता “,”ज़हनसीब”,
” अभी मुझमें कहीं “,” नैना “,”खैरियत”,
“मांजा”,” जनम जनम ” ,”जिंदा हूँ”,
” गेरुआ “,” ज़ालिमा “,”सपना जहान”,
“जानेमन”और”अपना बना ले” , हमारे दिल में जगह बनाते हुए इन गीतों ने उन्हें कई सम्मान भी दिलाए।
पुरस्कारों का सफ़र :- उन्होंने 2010 की फिल्म आय एम के गीत “अगर जिंदगी” के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार जीता फिर 2012 में अग्निपथ के गाने ” अभी मुझ में कहीं ” गीत के लिए अपना पहला फिल्मफेयर पुरस्कार जीता और हम आपको ये भी बता दें कि उन्होंने अभी तक के अपने करियर में ऐ दिल है मुश्किल के गीत ” चन्ना मेरेया ” के लिए सबसे अधिक 9 पुरस्कार जीते हैं । आज के दिन की मुबारकबाद के साथ हमारी यही दुआ है कि उनका ये दिलनशीं कारवां यूं ही चलता रहे ।