रीवा। देश के सहकारिता एवं गृहमंत्री अमित शाह ने रीवा के बसामन मामा की भूमि पर प्राकृतिक खेती के लिए किसानों का आवाहन करते हुए कहा कि बीमारी से बचने के लिए जरूरी है किसान केमिकल को छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनाए। सहकारिता एवं गृहमंत्री अमित शाह रीवा के बसामन मामा में किसान सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी की जंयती है। वे रीवा और यहां की बघेली बोली से बहुत गहरा लगाव रखते थे। उन्होने कहा कि रीवा अब वो रीवा नही रह गया। अब इस धरती पर एशिया का सबसे बड़ा सोलर बिजली प्लांट है। रीवा में हवाई जहाज की सुविधा हो गई है। रात में भी रीवा से हवाई जहाज सफर कर रहे है।
बसामन मामा आने की इच्छा हुई पूरी
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने उन्हें बसामन मामा गोधाम के बारे में बताया था और तभी उन्होंने यहां आने का संकल्प लिया था। आज वो बसामन मामा की भूमि और गौधाम को देख कर प्रफुल्लित है। उन्होने कहा कि जिन बसामन मामा ने पीपल के वृक्ष को बचाने के लिए अपना जीवन न्यौक्षवर कर दिया, उनका समर्पण तभी पूरा होगा जब हर कोई कंम-से-कंम पीपल के 5 वृक्ष तैयार करेगा। इस वृक्ष को कोई काटता भी नही है।
प्राकृतिक खेती को अपनाए किसान
अमित शाह ने कहा कि बसामन मामा गोधाम प्राकृतिक खेती का बेहतरीन उदाहरण है। यहां गाय के गोबर से खेती की जा रही है, जिसमें दलहन, चावल, चना, सरसों जैसी फसलें उगाई जा रही हैं। अगर इसको किसान अपनाते है तो विंध्य क्षेत्र में तरक्की और द्वार खुलेगे। अमित शाह ने कहा कि एक देशी गाय से 21 एकड़ तक बिना रासायनिक खाद के खेती संभव है। केमिकल फर्टिलाइजर से बीपी, शुगर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। प्राकृतिक खेती न केवल जमीन, बल्कि इंसान की सेहत के लिए भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि देश में 40 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं और उन्होंने खुद भी अपने खेत में इसका प्रयोग किया है। उन्होंने सभी 5 पीपल के पेड़ लगाने और प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प लेने की अपील की।
ये अतिथी रहे मौजूद
बसामन मामा में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, रीवा के प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल समेत अन्य मंत्री एवं सांसद, विधायक आदि मौजूद रहे।
बसामन मामा की गौशाला है आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर
ज्ञात हो कि 52 एकड़ में फैला बसामन मामा गौ-अभ्यारण्य अब गायों के लिए आश्रय केन्द्र के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बनाने में अपना अंहम भूमिका निभा रहा है। यहां वर्तमान समय में 9 हजार से ज्यादा बेसहारा और बीमार गायों की सेवा 100 से अधिक कर्मचारी कर रहे हैं। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि गौशाला से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र से यहां जैविक खाद, गो-काष्ठ (लकड़ी का विकल्प) और गोनाइल (फिनाइल) जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इसे आर्ट ऑफ लिविंग और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से चलाया जा रहा है।
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