केंद्र सरकार ने किन-किन कानूनों को बदल दिया? नई धाराएं जान लीजिए

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Amit Shah on New Criminal Law: तीन नए क्रिमिनल लॉ पर लोकसभा में बोले कि राजद्रोह कानून अब खत्म हो जाएगा। सशस्र प्रदर्शन करने वाले भी अब जेल जाएंगे। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पहले 485 धाराएं थी अब वह 531 हो जाएंगी। राजद्रोह की धारा 124 को खत्म कर दिया गया. मर्डर की धारा 302 की बजाय अब 101 हो जाएगी।

New Criminal Law in Hindi: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानूनों के मुताबिक मॉब लिंचिंग के अपराध के लिए मौत कि सजा का प्रावधान होगा। केंद्र के अनुसार नए विधेयकों का उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पुनर्जीवित करना है, जिसमें दंड की जगह न्याय पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 बिल लोकसभा में पास हो गया है.

भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पहली बार मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए थे. गृहमंत्री ने शीतकालीन सत्र के दौरान विधेयकों का संशोधित संस्करण पेश किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्तावित कानून पुलिस की जवाबदेही को मजबूत करने के लिए एक प्रणाली लाएंगे।

लोकसभा में 3 नए विधेयक लोकसभा में पास हो गए हैं. अब इसे राज्य सभा में पेश किया जाएगा। वहां से पास होने के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इसे पेश करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के समय का राजद्रोह कानून खत्म किया गया है. नाबालिक से रेप और मॉबलिंचिंग जैसे क्राइम में फांसी की सजा दी जाएगी।

सशस्त्र विद्रोह करने वालों को होगी जेल

गृहमंत्री ने लोकसभा में बिल पर कहा कि अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून, जिसके चलते तिलक, गांधी, पटेल, समेत देश के कई सेनानी कई बार 6-6 साल जेल में रहे. वो कानून अब तक चलता रहा. पहली बार मोदी सरकार ने इस पर ऐतिहासिक फैसला लिया है. राजद्रोह की धारा 124 को खत्म कर इसे हटाने का काम किया है. हमने राजद्रोह की जगह उसे देशद्रोह कर दिया है. क्योंकि अब देश आजाद हो चुका है, लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है. यह उनका अधिकार हैं.

अगर कोई देश की सुरक्षा, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। यदि कोई सशस्त्र विरोध करता है, बम धमाके करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, उसे आजाद रहने का अधिकार नहीं है. उसे जेल जाना ही पड़ेगा।

बच्ची से रेप के आरोपी को फांसी

रेप की धारा पहले 375, 376 थी, लेकिन अब जहां से अपराधों की बात शुरू होती है उसमें धारा 63, 69 में रेप को रखा गया है. गैंगरेप को भी आगे रखा गया है. मर्डर की धारा अभी तक 302 थी, अब 101 हो गई है. गैंगरेप के आरोपी को 20 साल तक की सजा या जिंदा रहने तक जेल होगी।

18, 16 और 12 साल की उम्र की बच्चियों से रेप में अलग-अलग सजा मिलेगी। 18 साल से कम से रेप में आजीवन कारावास और मौत की सजा होगी। गैंगरेप के मामले में 20 साल की सजा या जिंदा रहने तक की सजा होगी। 18 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप में फिर फांसी की सजा का प्रावधान रखा गया है. सहमति से रेप में 15 साल की उम्र को बढ़ाकर 18 साल कर दिया गया है. अगर 18 साल की लड़की के साथ रेप करने पर नाबालिक रेप में माना जाएगा। किडनैपिंग 359, 369 था, अब 137, 140 हुआ. ह्यूमन ट्रैफिकिंग 370, 370ए था, उसे अब 143, 144 कर दिया गया है.

गैर इरादतन हत्या को कई भागों में बांटा

संगठित अपराध जैसे साइबर क्राइम, लोगों की तस्करी, आर्थिक अपराधों का भी जिक्र है. इससे न्यायपालिका का काम काफी सरल होगा। गैर इरादतन हत्या को दो हिस्सों में बांटा गया है. अगर गाड़ी चलाते समय हादसा होता है, यदि आरोपी घायल को पुलिस स्टेशन या अस्पताल पहुंचाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी। हिट एंड रन केस की सजा अब 10 साल हो गई है.

चिकित्सकों की लापरवाही से होने वाली हत्याओं को गैर-इरादतन हत्या में रखा गया है. इसकी भी सजा बढ़ गई है. मॉब लिंचिंग में फांसी की सजा और चेन स्नैचिंग के लिए कानून नहीं था, अब कानून बन गया है. किसी के सिर पर लाठी मारने वाले को सजा तो मिलेगी ही, लेकिन इससे यदि ब्रेन डेड की स्थिति होती है तो आरोपी को 10 साल की सजा मिलेगी।

गिरफ्तारी की जानकारी परिवार को देनी होगी

शाह ने कहा कि नए कानून में अब पुलिस की भी जवाबदेही तय होगी। पहले किसी की गिरफ्तारी होती थी, तो उसके परिवार के लोगों को जानकारी ही नहीं दी जाती थी. लेकिन अब आरोपी के गिरफ्तार होने पर परिवार को जानकारी देनी होगी। जांच और केस के विभिन्न चरणों की जानकारी पीड़ित और परिवार को भी देने के लिए कई पॉइंट जोड़े गए हैं.

तीन दिन के अंदर रिपोर्ट दर्ज करानी होगी

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-देश में न्याय मिलने में गरीबों को मुश्किल होती है. लेकिन गरीबों के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है. पुलिस की ओर से दंडित कार्रवाई CRPC में कोई समय निर्धारित नहीं है. पुलिस 10 साल बाद भी जांच कर सकती है. तीन दिन के भीतर रिपोर्ट दर्ज करनी होगी। 3 से 7 साल की सजा में 14 दिन के भीतर जांच करके FIR दर्ज करानी होगी।

बिना देर किए रेप पीड़िता की रिपोर्ट को भी 7 दिन के भीतर पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजना होगा। पहले 7 से 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने का प्रावधान था. अब 7 से 90 दिनों के अंदर चार्जशीट रखी जाएगी। 180 दिनों तक आप चार्जशीट लटकाकर नहीं रख सकते हैं. यदि कोई आरोपी तय होने के 30 दिन के भीतर ही आरोप स्वीकार कर लेगा तो सजा कम हो जाएगी।

आधी सजा काटने पर मिल सकती है रिहाई

गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है. फैसला सालों तक नहीं लटकाया जा सकता। मुकदमा समाप्त होने के बाद जज को 43 दिन में फैसला देना होगा। निर्णय देने के 7 दिन के भीतर सजा सुनानी होगी।

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